Vikrant Shekhawat : Nov 13, 2020, 08:05 AM
Diwali Puja 2020: दीवाली (Diwali 2020) हिन्दुओं के सबसे प्रमुख और बड़े त्योहारों में से एक है. यह खुशहाली, समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का द्योतक है. रोशनी का यह त्योहार बताता है कि चाहे कुछ भी हो जाए असत्य पर सत्य की जीत अवश्य होती है. मान्यता है कि रावण की लंका का दहन कर 14 वर्ष का वनवास काटकर भगवान राम अपने घर लौटे थे. इसी खुशी में पूरी प्रजा ने नगर में अपने राम का स्वागत घी के दीपक जलाकर किया. राम के भक्तों ने पूरी अयोध्या को दीयों की रोशनी से भर दिया था. दीवाली के दिन को मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) के जन्म दिवस के तौर पर मनाया जाता है. वहीं, यह भी माना जाता है कि दीवाली की रात को ही मां लक्ष्मी में भगवान विष्णु से शादी की थी. इस दिन श्री गणेश, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती की पूजा (Diwali Puja) का विधान है. मान्यता है कि विधि-विधान से पूजा करने पर दरिद्रता दूर होती है और सुख-समृद्धि तथा बुद्धि का आगमन होता है. हिन्दुओं के अलावा सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लोग भी दीवाली धूमधाम से मनाते हैं.दीवाली कब है?हिन्दू पंचांग के अनुसार दीवाली या दीपावली कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार दीवाली हर साल अक्टूबर या नवंबर महीने में आती है. इस बार दीवाली 14 नवंबर को है. दीवाली की तिथि और शुभ मुहूर्त दीवाली / लक्ष्मी पूजन की तिथि: 14 नवंबर 2020 अमावस्या तिथि प्रारंभ: 14 नवंबर 2020 को दोपहर 02 बजकर 17 मिनट से अमावस्या तिथि समाप्त: 15 नवंबर 2020 को सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक लक्ष्मी पूजा मुहुर्त: 14 नवंबर 2020 को शाम 05 बजकर 28 मिनट से शाम 07 बजकर 24 मिनट तककुल अवधि: 01 घंटे 56 मिनट दीवाली पूजन की सामग्री लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, लक्ष्मी जी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, लाल कपड़ा, सप्तधान्य, गुलाल, लौंग, अगरबत्ती, हल्दी, अर्घ्य पात्र, फूलों की माला और खुले फूल, सुपारी, सिंदूर, इत्र, इलायची, कपूर, केसर, सीताफल, कमलगट्टे, कुशा, कुंकु, साबुत धनिया (जिसे धनतेरस पर खरीदा हो), खील-बताशे, गंगाजल, देसी घी, चंदन, चांदी का सिक्का, अक्षत, दही, दीपक, दूध, लौंग लगा पान, दूब घास, गेहूं, धूप बत्ती, मिठाई, पंचमेवा, पंच पल्लव (गूलर, गांव, आम, पाकर और बड़ के पत्ते), तेल, मौली, रूई, पांच यज्ञोपवीत (धागा), रोली, लाल कपड़ा, चीनी, शहद, नारियल और हल्दी की गांठ. लक्ष्मी पूजन की विधिधनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की नई मूर्ति खरीदकर दीपावली की रात उसका पूजन किया जाता है. दीवाली के दिन इस तरह करें महालक्ष्मी की पूजा:मूर्ति स्थापना: सबसे पहले एक चौकरी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें. अब जलपात्र या लोटे से चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें.ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा । य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि: ।। धरती मां को प्रणाम: इसके बाद अपने ऊपर और अपने पूजा के आसन पर जल छिड़कते हुए दिए गए मंत्र का उच्चारण करें. पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठ: ग ऋषि: सुतलं छन्द: कूर्मोदेवता आसने विनियोग: ।। ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता । त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम् नम: ।।पृथ्वियै नम: आधारशक्तये नम: ।।आचमन: अब इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए गंगाजल से आचमन करें.ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम: ॐ माधवाय नम: ध्यान: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी का ध्यान करें.या सा पद्मासनस्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी, गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया ।या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितैः स्वापिता हेम-कुम्भैः,सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व-मांगल्य-युक्ता ।।आवाह्न: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी का आवाह्न करें.आगच्छ देव-देवेशि! तेजोमयि महा-लक्ष्मी !क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते !।। श्रीलक्ष्मी देवीं आवाह्यामि ।।पुष्पांजलि आसन: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए हाथ में पांच पुष्प अंजलि में लेकर अर्पित करें.नाना रत्न समायुक्तं, कार्त स्वर विभूषितम् ।आसनं देव-देवेश ! प्रीत्यर्थं प्रति-गह्यताम् ।।।। श्रीलक्ष्मी-देव्यै आसनार्थे पंच-पुष्पाणि समर्पयामि ।। स्वागत: अब श्रीलक्ष्मी देवी ! स्वागतम् मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी का स्वागत करें. पाद्य: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी के चरण धोने के लिए जल अर्पित करें.पाद्यं गृहाण देवेशि, सर्व-क्षेम-समर्थे, भो: !भक्तया समर्पितं देवि, महालक्ष्मी ! नमोsस्तुते ।।।। श्रीलक्ष्मी-देव्यै पाद्यं नम: अर्घ्य: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी को अर्घ्य दें.नमस्ते देव-देवेशि ! नमस्ते कमल-धारिणि !नमस्ते श्री महालक्ष्मी, धनदा देवी ! अर्घ्यं गृहाण ।गंध-पुष्पाक्षतैर्युक्तं, फल-द्रव्य-समन्वितम् ।गृहाण तोयमर्घ्यर्थं, परमेश्वरि वत्सले !।। श्रीलक्ष्मी देव्यै अर्घ्यं स्वाहा ।।स्नान: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी की प्रतिमा को जल से स्नान कराएं. फिर दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण यानी कि पंचामृत से स्नान कराएं. आखिर में शुद्ध जल से स्नान कराएं.गंगासरस्वतीरेवापयोष्णीनर्मदाजलै: ।स्नापितासी मय देवी तथा शांतिं कुरुष्व मे ।। आदित्यवर्णे तपसोsधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोsथ बिल्व: ।तस्य फलानि तपसा नुदन्तु मायान्तरायश्र्च ब्रह्मा अलक्ष्मी: ।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै जलस्नानं समर्पयामि ।।वस्त्र: अब मां लक्ष्मी को मोली के रूप में वस्त्र अर्पित करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें.दिव्याम्बरं नूतनं हि क्षौमं त्वतिमनोहरम् ।दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके ।।उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह ।प्रादुर्भूतो सुराष्ट्रेsस्मिन् कीर्तिमृद्धि ददातु मे । ।। श्रीलक्ष्मी देव्यै वस्त्रं समर्पयामि ।।आभूषण: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी को आभूषण चढ़ाएं.रत्नकंकड़ वैदूर्यमुक्ताहारयुतानि च ।सुप्रसन्नेन मनसा दत्तानि स्वीकुरुष्व मे ।।क्षुप्तिपपासामालां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।अभूतिमसमृद्धिं च सर्वात्रिर्णद मे ग्रहात् ।। ।। श्रीलक्ष्मी देव्यै आभूषणानि समर्पयामि ।।सिंदूर: अब मां लक्ष्मी को सिंदूर चढ़ाएं.ॐ सिन्दुरम् रक्तवर्णश्च सिन्दूरतिलकाप्रिये ।भक्त्या दत्तं मया देवि सिन्दुरम् प्रतिगृह्यताम् ।।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै सिन्दूरम् सर्पयामि ।।कुमकुम: अब कुमकुम समर्पित करें.ॐ कुमकुम कामदं दिव्यं कुमकुम कामरूपिणम् ।अखंडकामसौभाग्यं कुमकुम प्रतिगृह्यताम् ।।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै कुमकुम सर्पयामि ।।अक्षत: अब अक्षत चढ़ाएं.अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुंकमाक्ता: सुशोभिता: ।मया निवेदिता भक्तया पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ।। ।। श्रीलक्ष्मी देव्यै अक्षतान् सर्पयामि ।।गंध: अब मां लक्ष्मी को चंदन समर्पित करें.श्री खंड चंदन दिव्यं, गंधाढ्यं सुमनोहरम् ।विलेपनं महालक्ष्मी चंदनं प्रति गृह्यताम् ।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै चंदनं सर्पयामि ।।पुष्प: अब पुष्प समर्पिम करें. यथाप्राप्तऋतुपुष्पै:, विल्वतुलसीदलैश्च ।पूजयामि महालक्ष्मी प्रसीद मे सुरेश्वरि ।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै पुष्पं सर्पयामि ।।अंग पूजन: अब हर एक मंत्र का उच्चारण करते हुए बाएं हाथ में फूल, चावल और चंदन लेकर दाहिने हाथ से मां लक्ष्मी की प्रतिमा के आगे रखें.ॐ चपलायै नम: पादौ पूजयामि ।ॐ चंचलायै नम: जानुनी पूजयामि । ॐ कमलायै नम: कटिं पूजयामि ।ॐ कात्यायन्यै नम: नाभि पूजयामि ।ॐ जगन्मात्रै नम: जठरं पूजयामि ।ॐ विश्व-वल्लभायै नम: वक्ष-स्थलं पूजयामि ।ॐ कमल-वासिन्यै नम: हस्तौ पूजयामि ।ॐ कमल-पत्राक्ष्यै नम: नेत्र-त्रयं पूजयामि ।ॐ श्रियै नम: शिर पूजयामि ।- अब मां लक्ष्मी को धूप, दीपक और नैवेद्य (मिष्ठान) समपर्ति करें. फिर उन्हें पानी देकर आचमन कराएं. -इसके बाद ताम्बूल अर्पित करें और दक्षिणा दें. - फिर अब मां लक्ष्मी की बाएं से दाएं प्रदक्षिणा करें. - अब मां लक्ष्मी को साष्टांग प्रणाम कर उनसे पूजा के दौरान हुई ज्ञात-अज्ञात भूल के लिए माफी मांगे. - इसके बाद मां लक्ष्मी की आरती उतारेंमां लक्ष्मी की आरतीमां लक्ष्मी की आरतीॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता ।तुमको निसदिन सेवत,हर विष्णु विधाता ॥उमा, रमा, ब्रम्हाणी,तुम ही जग माता ।सूर्य चद्रंमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥दुर्गा रूप निरंजनि,सुख-संपत्ति दाता ।जो कोई तुमको ध्याता,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥तुम ही पाताल निवासनी,तुम ही शुभदाता ।कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,भव निधि की त्राता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥जिस घर तुम रहती हो,ताँहि में हैं सद्गुण आता ।सब सभंव हो जाता,मन नहीं घबराता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥तुम बिन यज्ञ ना होता,वस्त्र न कोई पाता ।खान पान का वैभव,सब तुमसे आता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥शुभ गुण मंदिर सुंदर,क्षीरोदधि जाता ।रत्न चतुर्दश तुम बिन,कोई नहीं पाता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता ।उँर आंनद समाता,पाप उतर जाता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता ।तुमको निसदिन सेवत,हर विष्णु विधाता ॥