Vikrant Shekhawat : May 07, 2022, 07:13 AM
नई दिल्ली: पड़ोसी देश श्रीलंका (Sri Lanka Emergency) अपनी आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट (Economic crisis in Sri Lanka ) के दौर से गुजर रहा है। इस बीच राष्ट्रपति कोटबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajapaksa) ने शुक्रवार को एक बार फिर से देश में आपातकाल लागू कर दिया है। राषट्रपति की तरफ से आधी रात से पूरे देश में आपातकाल (Emergency News) लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
आर्थिक संकट को लेकर श्रीलंका के नागरिक पिछले कई दिनों से सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। शुक्रवार को हालात तब और अधिक गंभीर हो गए जब छात्रों ने देश की संसद में धावा बोलने की कोशिश की। छात्रों के प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले के प्रयोग के साथ पानी की बौछार करनी पड़ी। हालात बिगड़ते देख राष्ट्रपति ने एक बार फिर से आपातकाल घोषित कर दिया है।वहीं दूसरी तरफ आर्थिक संकट से निपटने में नाकाम सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर व्यापार संघ ने भी मोर्चा खोल दिया। व्यापार संघ ने शुक्रवार को देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया। बीतते दिनों के साथ श्रीलंका सरकार के खिलाफ प्रदर्शन तेज हो रहे हैं और जनता सरकार से इस्तीफे की मांग कर रही है।स्वास्थ्य, डाक, बंदरगाह और अन्य सरकारी सेवाओं से जुड़े ज्यादातर व्यापार संघ हड़ताल में शामिल हैं। हालांकि सत्तारूढ़ दल के समर्थक कई व्यापार संघ इसमें शामिल नहीं हैं। श्रीलंका में इस समय व्यापार गतिविधियां ठप पड़ी हैं और उन स्थानों पर भी सड़कें सूनी दिखती हैं, जहां आम तौर पर काफी भीड़भाड़ देखी जाती थी।
आर्थिक संकट को लेकर श्रीलंका के नागरिक पिछले कई दिनों से सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। शुक्रवार को हालात तब और अधिक गंभीर हो गए जब छात्रों ने देश की संसद में धावा बोलने की कोशिश की। छात्रों के प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले के प्रयोग के साथ पानी की बौछार करनी पड़ी। हालात बिगड़ते देख राष्ट्रपति ने एक बार फिर से आपातकाल घोषित कर दिया है।वहीं दूसरी तरफ आर्थिक संकट से निपटने में नाकाम सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर व्यापार संघ ने भी मोर्चा खोल दिया। व्यापार संघ ने शुक्रवार को देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया। बीतते दिनों के साथ श्रीलंका सरकार के खिलाफ प्रदर्शन तेज हो रहे हैं और जनता सरकार से इस्तीफे की मांग कर रही है।स्वास्थ्य, डाक, बंदरगाह और अन्य सरकारी सेवाओं से जुड़े ज्यादातर व्यापार संघ हड़ताल में शामिल हैं। हालांकि सत्तारूढ़ दल के समर्थक कई व्यापार संघ इसमें शामिल नहीं हैं। श्रीलंका में इस समय व्यापार गतिविधियां ठप पड़ी हैं और उन स्थानों पर भी सड़कें सूनी दिखती हैं, जहां आम तौर पर काफी भीड़भाड़ देखी जाती थी।