मुश्किल डगर / यूक्रेन से आए छात्रों पर जल्दबाजी नहीं करेगी सरकार, देश के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश आसान नहीं

यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्रों के भविष्य को लेकर अब कई तरह की चर्चा शुरू हुई है। एक ओर इन छात्रों को स्वदेशी मेडिकल कॉलेजों में ही प्रवेश दिलाने की मांग उठ रही है। वहीं दूसरी ओर चिकित्सा संगठन इसके विरोध में है। इसी बीच राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) के सूत्रों ने जानकारी दी है कि फिलहाल इन छात्रों के भविष्य को लेकर फैसले में कोई जल्दबाजी नहीं की जाएगी।

Vikrant Shekhawat : Mar 09, 2022, 08:40 AM
यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्रों के भविष्य को लेकर अब कई तरह की चर्चा शुरू हुई है। एक ओर इन छात्रों को स्वदेशी मेडिकल कॉलेजों में ही प्रवेश दिलाने की मांग उठ रही है। वहीं दूसरी ओर चिकित्सा संगठन इसके विरोध में है। इसी बीच राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) के सूत्रों ने जानकारी दी है कि फिलहाल इन छात्रों के भविष्य को लेकर फैसले में कोई जल्दबाजी नहीं की जाएगी।

आयोग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यूक्रेन से लौटे अधिकांश एमबीबीएस के छात्र हैं। विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई को लेकर देश में पहले से नियम-कानून हैं। अगर जल्दबाजी के साथ संशोधन किया गया तो आगामी दिनों में यह एक बड़ा विवाद भी बन सकता है।

कई छात्रों के पास दस्तावेज भी नहीं

हालांकि दूसरी ओर एनएमसी के इसी निर्देश को लेकर छात्रों ने ऐतराज भी शुरू कर दिया है। नई दिल्ली के नजफगढ़ निवासी मिताली आहुजा बताती हैं कि एनएमसी ने अपने निर्देशों में छात्रों से डॉक्यूमेंट दिखाने की शर्त रखी है।

  • वे जब यूक्रेन से निकलने की कोशिश कर रही थीं तो उस दौरान उनके पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं था। न ही उनके कॉलेज से किसी अनुमति पत्र लेने का समय मिल पाया था।
करना होगा बड़ा बदलाव

उन्होंने बताया कि बीते चार मार्च को एनएमसी ने उन छात्रों की इंटर्नशिप पूरा करने के निर्देश दिए हैं जो हाल ही में यूक्रेन से वापस आए हैं। इनमें रूस के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे छात्र भी शामिल हो सकते हैं। देश में मौजूदा नियम यह है कि अगर किसी छात्र को एमबीबीएस के लिए एक मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलता है तो उसी कॉलेज में उसे कोर्स पूरा करना होगा। इनके कॉलेज में बदलाव नहीं किया जा सकता।

  • उन्होंने बताया कि यूक्रेन से लौटे छात्रों का मुद्दा काफी गंभीर है। इसे जल्दबाजी में नहीं बदला जा सकता। फीस के अलावा विभिन्न किताबें, अध्ययन सामग्री, परीक्षा पैटर्न इत्यादि को लेकर बदलाव करना पड़ेगा।