Vikrant Shekhawat : Mar 25, 2022, 09:01 AM
दिल्ली के तीनों नगर निगमों का विलय करने के लिए दिल्ली नगर निगम अधिनियम-1957 में संशोधन करने संबंधी दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक-2022 शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में प्रस्तुत करेंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को दिल्ली के तीनों नगर निगमों के विलय के विधेयक को मंजूरी दे दी थी।लोकसभा की शुक्रवार की कार्यसूची में तीनों नगर निगमों का विलय करने के लिए दिल्ली नगर निगम अधिनियम-1957 में संशोधन करने संबंधी दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक-2022 शामिल है। सूत्रों के अनुसार तीनों नगर निगमों का विलय होने के बाद अस्तित्व में आने वाली नगर निगम में 250 से अधिक वार्ड नहीं होंगे। इस तरह वार्डों का परिसीमन किया जाएगा और नगर निगम के चुनाव छह से एक साल के बाद होने की संभावना है।इसके अलावा नगर निगम के चुनाव नहीं होने तक उसकी कमान संभालने के लिए किसी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी या फिर सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी को प्रशासक नियुक्त किया जाएगा। तीनों नगर निगमों को अब किसी भी समय भंग किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार विधेयक में प्रस्ताव है कि एकीकृत नगर निगम में सामान्य पार्षदों और अनुसूचित जाति के पार्षदों के वार्डों की कुल संख्या का निर्धारण केंद्र सरकार अधिसूचना के माध्यम से करेगी। वार्डों की संख्या जनगणना के आधार पर तय की जाएगी। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार नगर निगम में वार्डों की कुल संख्या किसी भी स्थिति में 250 से अधिक नहीं होगी। वर्ष 2007 में एकीकृत नगर निगम में वार्डों की संख्या 134 से बढ़ाकर 272 की गई थी और वर्ष 2012 में नगर निगम का विभाजन के बाद अस्तित्व में आई उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में भी 272 वार्ड है। उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में 104-104 वार्ड, जबकि पूर्वी दिल्ली नगर निगम में 64 वार्ड हैं।हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाबहाईकोर्ट ने आगामी नगर निगम (एमसीडी) चुनाव मतदान सत्यापन पर्ची (वीवीपैट) वाले इलेक्ट्रानिक मशीन (ईवीएम) से ही करवाने के मामले में हाईकोर्ट ने भारत के निर्वाचन आयोग व राज्य निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने दोनों चुनाव निकायों को नोटिस जारी कर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा जिससे यह स्पष्ट हो सके कि एम-2 ईवीएम वीवीपीएटी के अनुकूल हैं या नहीं। अदालत ने मामले की सुनवाई सात अप्रैल तय की है। चुनाव आयोग की और से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि याचिका विचारणीय नहीं है।