देश / गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को लिखा पत्र, कहा- प्रवासियों के लिए चलाएं और ट्रेनें

केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुख्य सचिव अजय भल्ला ने प्रवासी मजदूरों को लेकर मंगलवार को सभी राज्यों को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने प्रवासी श्रमिकों के संकट को कम करने के लिए कई कदम उठाने के सुझाव दिए हैं। इसके अलावा राज्यों और रेलवे मंत्रालय के बीच सक्रिय समन्वय द्वारा और अधिक विशेष ट्रेनों का संचालन करने को कहा है। राज्यों एवं रेल मंत्रालय के बीच सक्रिय समन्वय के माध्यम से और विशेष रेलगाड़ियों का प्रबंध किया जाए।

AMAR UJALA : May 19, 2020, 03:24 PM
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुख्य सचिव अजय भल्ला ने प्रवासी मजदूरों को लेकर मंगलवार को सभी राज्यों को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने प्रवासी श्रमिकों के संकट को कम करने के लिए कई कदम उठाने के सुझाव दिए हैं। इसके अलावा राज्यों और रेलवे मंत्रालय के बीच सक्रिय समन्वय द्वारा और अधिक विशेष ट्रेनों का संचालन करने को कहा है।

गृह सचिव ने सुझाव दिया कि राज्यों एवं रेल मंत्रालय के बीच सक्रिय समन्वय के माध्यम से और विशेष रेलगाड़ियों का प्रबंध किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि साफ-सफाई, भोजन एवं स्वास्थ्य की जरूरत को ध्यान में रखते हुए ठहरने की जगहों की भी व्यवस्था की जानी चाहिए।

भल्ला ने कहा कि बसों एवं ट्रेनों के प्रस्थान के बारे में और अधिक स्पष्टता होनी चाहिए क्योंकि स्पष्टता के अभाव में और अफवाहों के चलते श्रमिकों में बेचैनी देखी गई है। प्रवासी श्रमिकों के बीच महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों की खास जरूरतों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के अधिकारी पैदल चल रहे मजदूरों को ठहरने के निर्धारित स्थानों पर या परिवहन के माध्यम उपलब्ध कराकर पास के बस अड्डे या रेलवे स्टेशन तक भेज सकते हैं, प्रवासियों के पते एवं फोन नंबर लिखें जो आगे संपर्कों का पता लगाने में मददगार साबित हो सकते हैं। ठहरने के स्थानों पर एनजीओ के प्रतिनिधियों को काम पर लगाया जा सकता है।

भल्ला ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों या एनजीओ कर्मियों द्वारा ठहरने के स्थान पर लंबे समय तक पृथकवास के लिए रोके जाने संबंधी धारणा को खत्म करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।

गृह सचिव ने कहा कि इसके अलावा अंतरराज्यीय सीमा पर प्रवासी मजदूरों को ले जा रही बसों को जाने की अनुमति दी जाए, श्रमिक जहां हैं उन्हें वहीं रोकने के लिए खाने, स्वास्थ्य सुविधाओं व काउंसलिंग की व्यवस्था की जाए।