देश / 8 साल में 1611 की मौत, कतर में भारतीय कामगारों के लिए RSS की संस्था ने उठाई आवाज

भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि 2014 से कतर में 1611 भारतीय प्रवासी कामगारों की मौत हुई है और मृत परिवारों को अपने प्रियजनों के शव लेने के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है। उन्होंने कहा, “इस बात पर ध्यान देना आवश्यक है कि 2014 से देश (कतर) में 1611 भारतीय प्रवासियों की मृत्यु हो गई है और उनके परिवारों को अपने प्रियजनों के शव लेने में लंबे समय का इंतजार करना पड़ा है।

Vikrant Shekhawat : Jun 14, 2022, 08:12 PM
New Delhi : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ट्रेड यूनियन शाखा भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने मंगलवार को आरोप लगाया कि "कतर में प्रवासी श्रमिकों, विशेष रूप से भारतीयों के अधिकारों का घोर उल्लंघन हो रहा है।" मंगलवार को जारी एक बयान में, बीएमएस महासचिव बिनॉय कुमार सिन्हा ने कहा कि कई मानवाधिकार संगठनों ने इस बात की सूचना दी है कि जब से कतर ने फीफा विश्व कप के आगामी संस्करण की मेजबानी के लिए बोली जीती तब से वहां "श्रमिक गुलामों जैसी स्थिति" में जी रहे हैं। 

कतर में 1611 भारतीय प्रवासियों की मौत

भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि 2014 से कतर में 1611 भारतीय प्रवासी कामगारों की मौत हुई है और मृत परिवारों को अपने प्रियजनों के शव लेने के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है। उन्होंने कहा, “इस बात पर ध्यान देना आवश्यक है कि 2014 से देश (कतर) में 1611 भारतीय प्रवासियों की मृत्यु हो गई है और उनके परिवारों को अपने प्रियजनों के शव लेने में लंबे समय का इंतजार करना पड़ा है। काफला सिस्टम भारत के साथ-साथ कतर में अन्य दक्षिण एशियाई देशों के श्रमिकों के लिए गंभीर आघात का कारण बना है।"

कामगारों से जबरन काम कराते हैं 

उन्होंने कहा, "पासपोर्ट की जब्ती, ओवरटाइम काम, कुछ समय के लिए रहने की जगह को छोड़ने की अनुमति से इनकार, तंग आवास, यौन शोषण, विशेषज्ञता के क्षेत्र से बाहर जबरन काम करना श्रमिकों के लिए बड़ी मानसिक पीड़ा का कारण है।" उन्होंने कहा कि 27 मई से 11 जून के बीच जेनेवा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के 110वें सत्र में बीएमएस प्रतिनिधियों ने कतर की सरकार और ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों के साथ इस मुद्दे को उठाया और भारत में कतर राज्य के राजदूत, श्रम मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के समक्ष भी विरोध दर्ज कराया।

... तो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उठाएंगे मुद्दा

बीएमएस ने अब मांग की है कि कतर में सभी भारतीय कामगारों को स्वस्थ काम करने की स्थिति प्रदान की जानी चाहिए और उनके मानवाधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए। इसने कतर में मरने वालों के परिवारों के लिए "उपयुक्त मुआवजे" का भी आह्वान किया है और शव वापस आने पर परिवहन लागत कतर सरकार या जनशक्ति आपूर्ति एजेंसी द्वारा वहन की जानी है। सिन्हा ने कहा, "अगर कतर सरकार इन मोर्चों पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं करती है, तो बीएमएस को इस मुद्दे को जल्द से जल्द राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।"

बता दें कि हाल ही में भाजपा के दो निलंबित प्रवक्ताओं द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की गई कथित विवादित टिप्पणी को लेकर अरब देशों में सबसे पहले कतर ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ भाजपा के पूर्व प्रवक्ताओं की कथित अपमानजनक टिप्पणियों को लेकर विवाद पांच जून को सऊदी अरब, कुवैत, कतर और ईरान जैसे देशों के विरोध के बाद बढ़ गया था। देश-विदेश में बढ़ते विरोध को देखते हुए भाजपा ने नुपुर शर्मा को निलंबित और नवीन जिंदल को निष्कासित कर दिया था।

क्या है कतर का काफला सिस्टम (Kafala system)

कफला सिस्टम एक ऐसी प्रणाली है जिसका इस्तेमाल प्रवासी मजदूरों की निगरानी के लिए किया जाता है। यह सिस्टम उन प्रवासी मजदूरों की निगरानी करता है जो मुख्य रूप से खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के सदस्य देशों और कुछ पड़ोसी देशों, जैसे बहरीन, कुवैत, लेबनान, कतर, ओमान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में कंस्ट्रक्शन और घरेलू क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।

कफाला सिस्टम श्रमिकों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाता है। दूसरे देश से आकर यहां नौकरी करने वाले मजदूर के पास उत्पीड़न से बचने का कोई रास्ता नहीं होता। वह अपनी मर्जी से नौकरी नहीं छोड़ सकते, देश से बाहर जाने के लिए भी उन्हें अपने नियोक्ता से अनुमति लेना अनिवार्य होता है। बिना नियोक्ता की अनुमति के वह नौकरी बदल सकते हैं और न ही वापस जा सकते हैं। इतना ही नहीं कई नियोक्ता अपने मजदूरों के पासपोर्ट तक भी जब्त कर लेते हैं और आसानी से लौटाते भी नहीं हैं।