Zee News : Jul 20, 2020, 03:34 PM
नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के 'सामुदायिक स्तर' पर पहुंच जाने की खबरों का इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने खंडन किया है। आईएमए ने बयान जारी करके कहा कि उसने ऐसा कोई स्टेटमेंट नहीं दिया। संस्था ने ये भी कहा कि इस बारे में अधिकृत डेटा जारी करना सरकारी एजेंसियों का काम है, उसका नहीं। आईएमए के मुताबिक क्राउड सोर्सिंग डेटा एक छोटी चीज है, उसे सरकार के अधिकृत डेटा पर प्राथमिकता नहीं दी जा सकती है।
आईएमए के अध्यक्ष डॉक्टर राजन शर्मा और महासचिव डॉक्टर आर। वी। अशोकन ने बयान जारी करके कहा कि संस्था ने कोरोना के 'सामुदायिक स्तर' पर पहुंचने का कोई स्टेटमेंट नहीं दिया है। इस वैश्विक कोरोना महामारी की सही स्थिति का पता लगाना सरकार का काम है। यदि कोई व्यक्ति इस संबंध में अनुमान व्यक्त कर रहा है तो इसे उसका निजी विचार ही माना जाना चाहिए। उसकी ओर से इकट्ठे किए हुए क्राउड सोर्सिंग डेटा किसी भी हालत में सरकारी आंकड़ों की जगह नहीं ले सकते।आईएमए ने कहा कि सरकारी डेटा से साफ पता लग रहा है कि फिलहाल बड़े शहर ही कोरोना के क्लस्टर बने हुए हैं और देहात के इलाके अब भी महामारी से अछूते हैं। ऐसे में संस्था को पूरी उम्मीद है कि सरकारी स्वास्थ्य महकमे और मेडिकल स्टाफ हालात को काबू कर लेंगे।बता दें कि आईएमए हॉस्पिटल बोर्ड के चेयरमैन डॉक्टर वी। के। मोंगा ने दो दिन पहले कहा था कि देश में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है और रोज 30 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं। छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों में कोरोना फैलने पर नियंत्रण कर पाना मुश्किल होगा।डॉक्टर मोंगा ने कहा कि हम इसे दिल्ली में रोकने में सक्षम थे। लेकिन ये महाराष्ट्र, केरल, गोवा, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के सुदूर गांवों और कस्बों में कैसे संभव होगा। जहां नए हॉटस्पॉट बन सकते हैं। राज्यों सरकारों को इस पर ध्यान देने और रोकने के लिए केंद्र से मदद मांगनी चाहिए।उन्होंने आगे कहा कि इस बीमारी को रोकने के दो ही तरीके हैं। पहला, 70 फीसदी आबादी इस महामारी के संपर्क में आ जाए और प्रतिरक्षा विकसित हो जाए। दूसरा, बाजार में इसकी दवा आ जाए।
आईएमए के अध्यक्ष डॉक्टर राजन शर्मा और महासचिव डॉक्टर आर। वी। अशोकन ने बयान जारी करके कहा कि संस्था ने कोरोना के 'सामुदायिक स्तर' पर पहुंचने का कोई स्टेटमेंट नहीं दिया है। इस वैश्विक कोरोना महामारी की सही स्थिति का पता लगाना सरकार का काम है। यदि कोई व्यक्ति इस संबंध में अनुमान व्यक्त कर रहा है तो इसे उसका निजी विचार ही माना जाना चाहिए। उसकी ओर से इकट्ठे किए हुए क्राउड सोर्सिंग डेटा किसी भी हालत में सरकारी आंकड़ों की जगह नहीं ले सकते।आईएमए ने कहा कि सरकारी डेटा से साफ पता लग रहा है कि फिलहाल बड़े शहर ही कोरोना के क्लस्टर बने हुए हैं और देहात के इलाके अब भी महामारी से अछूते हैं। ऐसे में संस्था को पूरी उम्मीद है कि सरकारी स्वास्थ्य महकमे और मेडिकल स्टाफ हालात को काबू कर लेंगे।बता दें कि आईएमए हॉस्पिटल बोर्ड के चेयरमैन डॉक्टर वी। के। मोंगा ने दो दिन पहले कहा था कि देश में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है और रोज 30 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं। छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों में कोरोना फैलने पर नियंत्रण कर पाना मुश्किल होगा।डॉक्टर मोंगा ने कहा कि हम इसे दिल्ली में रोकने में सक्षम थे। लेकिन ये महाराष्ट्र, केरल, गोवा, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के सुदूर गांवों और कस्बों में कैसे संभव होगा। जहां नए हॉटस्पॉट बन सकते हैं। राज्यों सरकारों को इस पर ध्यान देने और रोकने के लिए केंद्र से मदद मांगनी चाहिए।उन्होंने आगे कहा कि इस बीमारी को रोकने के दो ही तरीके हैं। पहला, 70 फीसदी आबादी इस महामारी के संपर्क में आ जाए और प्रतिरक्षा विकसित हो जाए। दूसरा, बाजार में इसकी दवा आ जाए।