BrahMos Missile / भारत की डिफेंस एक्सपोर्ट में धमक, 85 देशों में इतने हजार करोड़ के हथियारों की बिक्री हुई

दुनिया में डिफेंस एक्सपोर्ट में भारत की धमक अब सुनाई देने लगी है। आपको बता दें कि भारत ने रक्षा निर्यात (डिफेंस एक्सपोर्ट) में पिछले 10 वर्षों में 30 गुना लंबी छलांग लगाई है, जो वित्त वर्ष 2013-14 के मात्र 686 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपये हो गया है। यह भारतीय रक्षा उत्पादों और प्रौद्योगिकियों की दुनिया में स्वीकार्यता को दर्शाता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, दक्षिण पूर्व

Vikrant Shekhawat : Jul 16, 2024, 08:30 AM
BrahMos Missile: दुनिया में डिफेंस एक्सपोर्ट में भारत की धमक अब सुनाई देने लगी है। आपको बता दें कि भारत ने रक्षा निर्यात (डिफेंस एक्सपोर्ट) में पिछले 10 वर्षों में 30 गुना लंबी छलांग लगाई है, जो वित्त वर्ष 2013-14 के मात्र 686 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपये हो गया है। यह भारतीय रक्षा उत्पादों और प्रौद्योगिकियों की दुनिया में स्वीकार्यता को दर्शाता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में 85 से अधिक देशों तक निर्यात के साथ, भारत के रक्षा उद्योग ने दुनिया को डिजाइन और विकास की अपनी क्षमता दिखाई है। देश में इस समय लगभग 100 कंपनियां रक्षा उत्पादों का निर्यात कर रही हैं।

मेक इन इंडिया से बूस्ट मिला

रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने "मेक इन इंडिया" जैसी कई नीतिगत पहल की है और पिछले 10 वर्षों में इसमें कई आर्थिक सुधार किए हैं। उन्होंने कहा कि निर्यात प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है और एंड-टू-एंड ऑनलाइन निर्यात प्राधिकरण के साथ उद्योग-अनुकूल बनाया गया है। जिससे व्यापार करने में आसानी हुई है। इसके अलावा आत्मनिर्भर भारत पहल ने देश में रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिजाइन, विकास और निर्माण को प्रोत्साहित करके देश की मदद की है। जिससे लंबे समय में आयात पर निर्भरता कम हो गई है।

इन कंपनियों ने बाजी मारी

लार्सन एंड टुब्रो, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और भारत फोर्ज जैसी कंपनियां प्रमुख रक्षा उपकरण निर्माता कंपनियों के रूप में उभरने के साथ रक्षा उपकरणों के आपूर्तिकर्ता के रूप में निजी क्षेत्र का उदय हुआ है, जो एक महत्वपूर्ण विकास रहा है। 2023-24 में उत्पादन के कुल मूल्य में लगभग 79.2% का योगदान डीपीएसयू/अन्य पीएसयू द्वारा और 20.8% निजी क्षेत्र द्वारा किया गया है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि डीपीएसयू/पीएसयू और निजी क्षेत्र दोनों ने रक्षा उत्पादन में लगातार वृद्धि दर्ज की है।

इन हथियारों की दुनिया में बिक्री

भारत के रक्षा उत्पादों के निर्यात में मिसाइलें, रडार, नौसेना प्रणाली, हेलीकॉप्टर और निगरानी उपकरण शामिल हैं। भारत ने उन्नत नौसैनिक प्रणालियों के स्वदेशी उत्पादन में पर्याप्त प्रगति की है, जो निर्यात बाजार की भी पूर्ति करती है। आईएनएस विक्रांत विमानवाहक पोत जैसे उन्नत प्लेटफार्म इस क्षेत्र में हमारी उपलब्धि को उजागर कर रहे हैं।