Chandrayaan-3 / इसरो का चंद्रयान 3 इतिहास रचने को तैयार, हाईटेक सेंसर से होगी सेफ लैंडिंग

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने चंद्रयान – 3 की लॉन्चिंग की पुष्टि की है. इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने बुधवार को स्पष्ट किया है कि चंद्रयान तीन की लॉन्चिंग की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और इसकी लॉन्चिंग 13 जुलाई को होगी. इसरो पिछले कई दिनों से इसकी लॉन्चिंग की टेस्टिंग में लगा हुआ है. इसरो ने बताया कि इसकी फाइनल डेट पर काफी समय से चर्चा चल रही थी, जो अब आ गई है.

Vikrant Shekhawat : Jun 28, 2023, 11:36 PM
Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने चंद्रयान – 3 की लॉन्चिंग की पुष्टि की है. इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने बुधवार को स्पष्ट किया है कि चंद्रयान तीन की लॉन्चिंग की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और इसकी लॉन्चिंग 13 जुलाई को होगी. इसरो पिछले कई दिनों से इसकी लॉन्चिंग की टेस्टिंग में लगा हुआ है. इसरो ने बताया कि इसकी फाइनल डेट पर काफी समय से चर्चा चल रही थी, जो अब आ गई है.

इसरो प्रमुख चंद्रयान 3 से पहले इस बारे में बता चुके हैं कि पिछली बार की तरह इस बार गलतियां नहीं दोहराईं जाएंगी. उन्होंने कहा था कि चंद्रयान 2 के वक्त विक्रम लैंडर की लैंडिंग में गड़बड़ी हो गई थी जिसकी वजह से चंद्रयान तीन से संपर्क टूट गया था. इस बार लैंडर को अपडेट किया गया है. उन्होंने बताया कि इसकी लैंडिंग तकनीक को पूरी तरह से बदला गया है. इसरो से मिली जानकारी के मुताबिक इस बार सिर्फ लैंडर और रोवर को ही अंतरिक्ष में भेजा जा रहा है.

चंद्रयान 2 से संपर्क करने की होगी कोशिश

इसके जरिए पहले से ही चंद्रमा के ऑर्बिट में घूम रहे चंद्रयान 2 से संपर्क किया जाएगा. इसमें कई सेंसर्स और ऑटोमेटिक प्रोग्राम्स का इस्तेमाल किया गया है. इसरो ने बताया है कि इस लैंडर की तकनीक ही इसे सेफ लैंडिंग कराएगी. क्योंकि इसे पत्थरों से बचाने के लिए और सुरक्षित लैंडिंग के लिए ही सेंसर्स का इस्तेमाल किया गया है. जब चंद्रयान तीन चांद की सतह के पास पहुंचेगा तो 7 किलोमीटर की ऊचांई से ही इसकी लैंडिंग से शुरू हो जाएगी, जिसके बाद 2 किलोमीटर की ऊंचाई पर सभी सेंसर्स एक्टिव हो जाएंगे.

सेंसर्स से होगी सुरक्षित लैंडिंग

इन सेंसर्स के जरिए ही यह सुनिश्चित किया जाएगा की इसकी लैंडिंग की जगह पूरी तरह से सुरक्षित हो. इसकी स्पीड लिमिट, डायरेक्शन और लैंडिंग की जगह सब ऑटोमेटिकली डिसाइड होगा. बता दें कि इससे पहले चंद्रयान 2 मिशन के दौरान चांद की सतह से कुछ ही ऊंचाई पर इसकी लैंडिंग तकनीक खराब हो गई थी, जिसकी वजह से वह चांद की जमीन पर गिर गया था.