Joe Biden Speech / जो बाइडेन का संयुक्त राष्ट्र में विदाई भाषण, भारत और चीन किया खास जिक्र

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतिम भाषण दिया, जिसमें उन्होंने मध्य पूर्व और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर जोर दिया। उन्होंने पश्चिम एशिया में संघर्ष खत्म करने, सूडान में शांति स्थापित करने और यूक्रेन का समर्थन जारी रखने की बात की। भारत समेत विश्व चुनावों का भी जिक्र किया।

Joe Biden Speech: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अपने अंतिम भाषण में कई अहम वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। अपने संबोधन में उन्होंने मध्य पूर्व में जारी तनाव, भारत समेत विभिन्न देशों में हुए चुनावों और चीन के बढ़ते प्रभाव पर ध्यान केंद्रित किया। बाइडेन ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका के गठबंधनों और साझेदारियों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई, साथ ही चीन को कड़ा संदेश दिया कि अमेरिका इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बनाए रखेगा।

मध्य पूर्व और लेबनान में बढ़ते तनाव पर चिंता

बाइडेन ने अपने भाषण में इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच लेबनान में बढ़ते तनाव पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस संघर्ष के पूर्ण युद्ध में तब्दील होने की आशंका जताई, विशेषकर गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ इजराइल के सैन्य अभियान की पहली वर्षगांठ के करीब। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय संघर्ष को बढ़ने से रोकने के लिए वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है।

पश्चिम एशिया और सूडान के संकट पर जोर

बाइडेन ने पश्चिम एशिया में संघर्ष को समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया और सूडान में 17 महीने से चल रहे गृहयुद्ध को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सभी देशों को एकजुट होकर काम करना चाहिए। उनका मानना है कि वैश्विक समस्याओं का समाधान तभी संभव है जब पूरी दुनिया एक साथ मिलकर कार्य करे।

यूक्रेन के प्रति अमेरिका का अडिग समर्थन

यूक्रेन में फरवरी 2022 से रूस के आक्रमण का सामना कर रहे देश को अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों के निरंतर समर्थन का उल्लेख करते हुए बाइडेन ने कहा, "मैंने इतिहास में एक उल्लेखनीय बदलाव देखा है।" उन्होंने यह भी कहा कि कई लोग दुनिया की समस्याओं को देखकर निराश हो जाते हैं, लेकिन जब दुनिया मिलकर काम करती है, तो हम समस्याओं से कहीं अधिक मजबूत होकर उभरते हैं।

चुनावों में जनभागीदारी का जिक्र

बाइडेन ने अपने भाषण में इस साल दुनिया भर में हो रहे चुनावों पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, "हमने घाना से लेकर भारत और दक्षिण कोरिया तक दुनिया भर के लोगों को शांतिपूर्वक अपना भविष्य चुनते देखा है। विश्व की एक-चौथाई आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले देश इस साल चुनाव करा रहे हैं।" उन्होंने इसे लोकतंत्र की शक्ति का प्रतीक बताया और कहा कि इससे उन्हें भविष्य के प्रति आशावाद मिलता है। बाइडेन ने इस बात पर भी जोर दिया कि यह वैश्विक जनभागीदारी ही है जो लोकतंत्र को मजबूत करती है।

अमेरिका का नेतृत्व और वैश्विक जिम्मेदारी

अपने अंतिम संबोधन में बाइडेन ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका को वैश्विक जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका के नेतृत्व में दुनिया ने कई चुनौतियों का सामना किया है और अब भी अमेरिका को वैश्विक समस्याओं के समाधान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उनका मानना है कि अमेरिका, अपने सहयोगियों के साथ मिलकर, दुनिया की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रतिबद्ध है।

निष्कर्ष

राष्ट्रपति बाइडेन के भाषण ने न केवल वैश्विक समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका एक सशक्त और जिम्मेदार वैश्विक नेतृत्व निभाने के लिए तैयार है। उनके संबोधन से यह संकेत मिलता है कि अमेरिका भविष्य में भी अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय रहेगा और वैश्विक शांति, स्थिरता, और लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए काम करता रहेगा।