Vikrant Shekhawat : Oct 16, 2023, 11:58 AM
Election Commission of India: प्रवासियों का मतदान सुनिश्चित करवाने को भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने समाधान तलाश लिया है. अब दिल्ली में रह रहे मोहन को वोट देने के लिए बिहार और कुशल दास को ओडिशा नहीं जाना पड़ेगा. समाधान की प्रक्रिया अंतिम चरण से गुजर रही है. इसके लिए बनी मशीन का टेस्ट भी हो चुका है. आयोग को उम्मीद है कि इस व्यवस्था के लागू होने से वोट प्रतिशत बढ़ जाएगा. बस कानून में मामूली परिवर्तन के साथ ही आयोग इसे लागू कर सकता है.नई वोटिंग मशीन कैसी होगी? इससे चुनाव आसानी से कराया जा सकता है या नहीं? इसके आने के बाद भारत निर्वाचन आयोग के सामने क्या-क्या चुनौतियां होंगी? जनरल नॉलेज और करेंट अफेयर्स की तैयारी के लिए इन सभी सवालों के जवाब नीचे देख सकते हैं.कौन सी होगी नई वोटिंग मशीन?भारत निर्वाचन आयोग ने इसके लिए रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (R-EVM) तैयार की गई है. यह मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की तरह ही है. बस इसमें कुछ जरूरी परिवर्तन किए गए हैं. यह मशीन ऐसे मतदाताओं को वोट डालने में मददगार होगी, जो चुनाव के मौकों पर वोट डालने को अपने गांव, कस्बे या शहर नहीं जा पाते.इसका इस्तेमाल करने के लिए पूर्व निर्धारित प्रक्रिया के तहत मतदाता को ऑनलाइन या ऑफ लाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. मतलब, ऐसा नहीं होगा कि उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की मतदाता सूची में नाम है और आप मुंबई में रहते हैं तो भी वोट है डाल पाएंगे. उसके लिए तय अवधि में आपको रजिस्ट्रेशन करना ही होगा. अभी तय नहीं है कि प्रक्रिया देश में कब लागू होगी, पर आयोग तैयार है. वह ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी चुनावों में चाहता है.इसके लिए आयोग को जनप्रतिनिधित्व एक्ट 1950 और 1951, द कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 तथा द रजिस्ट्रेशन इलेक्टर्स रूल्स, 1960 में बदलाव करने होंगे. इस बदलाव में प्रवासी मतदाता को अलग से डिफाइन किया जाएगा. इसमें वही लोग मान्य होंगे जो अपने मूल क्षेत्र के प्रतिनिधि को चुनने के लिए ही देश के किसी अन्य हिस्से में रहते हुए वोट देना चाहते हैं. अभी ऐसी व्यवस्था नहीं है.जब यह व्यवस्था लागू की जाएगी तो ऐसे मतदाताओं के लिए अलग से मतदान केंद्र बनेंगे. इन्हें रिमोट पोलिंग स्टेशन कहा जाएगा. इन मतदान केंद्रों पर एक साथ अधिकतम 72 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए वोट डालने की सुविधा होगी. जब ऐसे मतदाता इन केंद्रों पर पीठासीन अधिकारी के सामने पहुंचेंगे तो उन्हें अपना वॉटर कार्ड स्कैन करना होगा. ऐसा करते ही मशीन में उसके निर्वाचन क्षेत्र के कैंडीडेट्स की सूची और चुनाव चिन्ह मशीन पर डिस्प्ले होगी. इसी के साथ मतदाता अपने अधिकार का उपयोग कर सकेंगे.किसको होगा फायदा?आयोग के पास जो आंकड़े हैं उसके मुताबिक दिल्ली, मुंबई जैसे अनेक बड़े शहरों में बड़ी संख्या में प्रवासी लंबे समय से निवास तो कर रहे हैं लेकिन उनका वोटर कार्ड उनके गांव, कस्बे का ही है. चुनाव के समय इनमें से कुछ लोग चले जाते हैं लेकिन काम की व्यस्तता में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जो जा ही नहीं पाते. इस मशीन को दिल्ली की झुग्गियों में पिछले महीने टेस्ट किया गया. इसमें एक हजार से अधिक प्रवासी मतदाताओं ने हिस्सा लिया.यह टेस्ट कामयाब पाया गया. मशीन ने बिना किसी तकनीकी गड़बड़ी के उचित तरीके से काम किया. रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का उपयोग दुनिया के कई देशों में हो रहा है. फ्रांस, पनामा, आर्मेनिया, एस्टोनिया समेत कुछ और देश भी इसका उपयोग कर रहे हैं.