Donald Trump US / क्या अमेरिका NATO से हटने जा रहा... , यूरोप के साथ ट्रंप का क्यों बढ़ रहा टकराव?

यूरोप में युद्धविराम को लेकर मतभेद बढ़ रहे हैं। ट्रंप-पुतिन वार्ता जारी है, जबकि नाटो में फूट स्पष्ट हो रही है। अमेरिका ने कमांडरशिप छोड़ी, फ्रांस- ब्रिटेन न्यूक्लियर शील्ड बना रहे हैं। रूस बाल्टिक देशों पर हमले की फिराक में है। यूरोप दो हिस्सों में बंटने की कगार पर है।

Donald Trump US: एक ओर युद्धविराम को लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बातचीत आगे बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर कई यूरोपीय देश अमेरिका के विरोध में उतर आए हैं। अमेरिका ने नाटो की कमांडरशिप छोड़ने की घोषणा कर दी है, जिससे यूरोप में अस्थिरता बढ़ती जा रही है। इस बीच, फ्रांस और ब्रिटेन मिलकर यूरोप में एक न्यूक्लियर शील्ड तैयार करने की योजना बना रहे हैं। इस मुद्दे पर यूरोपीय देशों में विभाजन हो चुका है, जिसका सीधा फायदा रूस को मिल सकता है।

अमेरिका के बिना कमजोर नाटो?

रूस के यूक्रेन पर कब्ज़े के बाद अब बाल्टिक देशों पर खतरा मंडराने लगा है। अमेरिका की अनुपस्थिति में नाटो कमजोर पड़ सकता है और रूस इस स्थिति का लाभ उठा सकता है। अमेरिका के इस कदम से यूरोपीय देशों में तनाव बढ़ गया है, क्योंकि अब नाटो की रक्षा रणनीति पर गंभीर प्रश्न खड़े हो गए हैं।

ट्रंप-पुतिन वार्ता और नाटो की चिंता

ट्रंप और पुतिन के बीच लगभग दो घंटे चली बातचीत में युद्धविराम को लेकर कई शर्तों पर चर्चा हुई। वार्ता जितनी लंबी खिंचती गई, नाटो देशों की चिंताएं उतनी ही बढ़ती गईं। ट्रंप युद्ध रोकना चाहते हैं, लेकिन कई यूरोपीय देश इससे सहमत नहीं हैं। यही कारण है कि यूरोपीय देशों और अमेरिका के बीच टकराव गहराता जा रहा है।

नाटो से अमेरिका का हटना: यूरोप के लिए बड़ा झटका

अमेरिका ने पहले ही नाटो की फंडिंग रोकने का ऐलान किया था, और अब कमांडरशिप छोड़ने का निर्णय लेकर उसने यूरोप को और बड़ा झटका दे दिया है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही अमेरिका नाटो में प्रमुख भूमिका निभाता आया है। अमेरिका के बिना नाटो के भविष्य को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।

यूरोप में बढ़ती दरार: कौन किसके साथ?

अमेरिका के फैसले के बाद यूरोप दो धड़ों में बंटता नजर आ रहा है। हंगरी, इटली, स्लोवाकिया, बुल्गारिया और तुर्किए अमेरिका के साथ खड़े हैं, जबकि ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, पोलैंड और बाल्टिक देश अमेरिका के विरोध में हैं। कुछ देश खुलकर विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन वे यूक्रेन को हथियार भेज रहे हैं। यह विभाजन पुतिन के लिए फायदेमंद हो सकता है।

फ्रांस की नई रणनीति: यूरोप का नया बॉस?

अमेरिका के पीछे हटने के बाद फ्रांस यूरोप की नई नेतृत्वकारी शक्ति बनने की कोशिश कर रहा है। फ्रांस एक न्यूक्लियर शील्ड बनाने की योजना पर काम कर रहा है, जिसमें जर्मनी और अन्य यूरोपीय देश शामिल हो सकते हैं। शुरुआत में 40 राफेल जेट तैनात करने की योजना है, जिन्हें हाइपरसोनिक मिसाइलों से लैस किया जाएगा।

यूरोप में न्यूक्लियर तैनाती और बढ़ती चिंता

अमेरिका ने अब तक यूरोप में पांच स्थानों पर न्यूक्लियर हथियार तैनात किए हुए हैं। पोलैंड में भी न्यूक्लियर फाइटर जेट की तैनाती हुई थी, लेकिन अमेरिका अब पीछे हट रहा है। इससे यूरोप दो हिस्सों में बंट सकता है और सुरक्षा को लेकर नए विवाद खड़े हो सकते हैं।

यूरोप में नई सुरक्षा रणनीति

यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लियेन ने सभी यूरोपीय देशों से ज्यादा हथियार उत्पादन करने की अपील की है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि सभी यूरोपीय देशों को अपनी सुरक्षा का अधिकार है। जर्मनी ने भी पहली बार एक बड़ा रक्षा बजट पास किया है, जिसमें 1 ट्रिलियन यूरो सुरक्षा और हथियारों पर खर्च किए जाएंगे।

निष्कर्ष: यूरोप में बढ़ता तनाव

अमेरिका के नाटो से अलग होने और यूरोपीय देशों में बढ़ते मतभेदों से स्थिति बेहद जटिल हो गई है। रूस इस विभाजन का लाभ उठाकर अपने रणनीतिक लक्ष्यों को पूरा करने की कोशिश कर सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यूरोप और अमेरिका की नीतियां किस दिशा में आगे बढ़ती हैं और क्या यह विवाद एक नए वैश्विक संकट की ओर इशारा कर रहा है।