NDTV : Nov 08, 2019, 11:11 AM
रूस: 40 साल की महिला ने सोचा कि उसके प्रेग्नेंट होने का आखिरी मौका है। इसलिए उसने एक छ फीट लंबे स्पर्म डोनर से स्पर्म लिया, इस शर्त पर कि उसका होने वाला बच्चा भी इतना ही लंबा-चौड़ा हो और दिखने में भी सुंदर हो। स्पर्म लेने के बाद वह एक सक्सेसफुल आईवीएफ ट्रीटमेंट से गुज़री और मां बनी।लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया जब उसे अपनी प्रेग्नेंसी रिपोर्ट से पता चला कि उसका होने वाला बच्चा 'बौना' होगा। रिपोर्ट में पता चला कि उसके बच्चे को एक अनुवांशिक बीमारी 'एकॉड्रोप्लासिया' (Achondroplasia) है। इस बीमारी में हड्डियों की ग्रोथ रुक जाती है. इस बीमारी में खासकर मस्तिष्क का आकार बड़ा और अंगुलियां छोटी होती है।बच्चे के पैदा होने के बाद डॉक्टरों ने महिला को बताया कि उसका बच्चा 4 फीट से ज्यादा ग्रो नहीं कर पाएगा। बच्चे के चेहरे और हाथ-पैरों का साइज़ भी छोटा ही रहेगा। महिला इस बात से काफी गुस्सा हुई और उसने स्पर्म बैंक के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया। उसका कहना है 'आगे कोई महिला मेरी तरह ना फंसे, इसलिए मैं इस स्पर्म बैंक पर केस कर रही हूं।डेली मेल के मुताबिक, 'रूस के डिस्ट्रिक कोर्ट ने इस स्पर्म बैंक को बंद करने का ऑर्डर दिया। वहीं, अपना पक्ष रखते हुए स्पर्म बैंक ने कहा कि हमारे स्पर्म डोनर्स 46 कॉमन जेनेटिक बीमारियों के स्क्रीन से गुजरते हैं. इसलिए सभी स्पर्म बढ़िया क्वालिटी के ही होते हैं।वहीं, लोकल मीडियो को डॉक्टरों ने बताया कि यह जरूरी नहीं कि बच्चे में बोनापन स्पर्म की वजह से ही हो।