Vikrant Shekhawat : Sep 13, 2021, 12:09 PM
इंदौर: अंदरूनी अंगों की असामान्य स्थिति वाली जन्मजात विकृति से जूझ रहे 26 वर्षीय आईटी पेशेवर ने इंदौर के एक अस्पताल में जटिल ऑपरेशन के दौरान अपने लिवर का हिस्सा दान कर पिता की जान बचाई।परमार्थिक क्षेत्र के चोइथराम अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक, लिवर प्रतिरोपण की यह सर्जरी चिकित्सा जगत में दुर्लभ है। क्योंकि अंगदान करने वाले 26 वर्षीय आईटी पेशेवर प्रखर कौशल का लिवर व अन्य महत्वपूर्ण अंग सामान्य स्थिति की तुलना में उल्टी दिशा में हैं।अस्पताल के अंग प्रतिरोपण सर्जन सुदेश शारदा ने शनिवार को बताया, मनुष्य के शरीर में आमतौर पर लिवर शरीर में दाईं ओर होता है। लेकिन जन्मजात विकृति के कारण यह अंग कौशल के जिस्म में बाईं ओर है। उन्होंने बताया कि चार सर्जनों समेत डॉक्टरों के सात सदस्यीय दल ने 28 अगस्त को कई घंटे चले जटिल ऑपरेशन के दौरान युवक के लिवर का हिस्सा उसके शरीर से निकाला और फिर उसे लिवर सिरोसिस रोग से जूझ रहे उसके 59 वर्षीय पिता के शरीर में प्रतिरोपित किया। शारदा ने बताया, अगर यह प्रतिरोपण समय रहते नहीं किया जाता, तो लिवर सिरोसिस पीड़ित मरीज की जान को खतरा हो सकता था।---अंदरूनी अंगों की ऐसी स्थिति एक लाख में 10डॉ. शारदा ने बताया कि मानवीय शरीर में अंदरूनी अंगों की ऐसी स्थिति एक लाख में से केवल 10 लोगों में होती है। इस दुर्लभ जन्मजात विकृति को चिकित्सकीय भाषा में ‘साइटस इन्वर्सस टोटेलिस कहते हैं।--दुनिया में अब तक ऐसे सिर्फ 5 ऑपरेशनशारदा के मुताबिक, चोइथराम अस्पताल में हुए ऑपरेशन से पहले दुनियाभर में इस तरह के लीवर प्रतिरोपण की केवल पांच सर्जरी हुई हैं, जिनमें ‘साइटस इन्वर्सस टोटेलिस से जूझ रहे व्यक्तियों ने जरूरतमंद मरीजों को उनके लिवर का हिस्सा दान किया है। उन्होंने बताया कि अपने पिता को लिवर का हिस्सा दान करने करने वाले आईटी पेशेवर प्रखर कौशल की अस्पताल से छुट्टी हो चुकी है, जबकि उनके पिता को अगले दो दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है।