Vikrant Shekhawat : Apr 13, 2022, 02:29 PM
कोरोना महामारी ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। जनवरी 2022 में कोरोना की एक लहर ने दम तोड़ा और स्कूल खुले तो दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर में दो साल से घर पर बैठकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे बच्चों के चेहरे खिल गए। अभिभावकों ने भी राहत की सांस ली, लेकिन कोरोना के असर से स्कूलों का बाजार अभी भी बहुत सहमा हुआ है। दिल्ली-एनसीआर के तीन स्कूलों में मिले कोरोना के ताजा मामले ने मुसीबत और बढ़ा दी है।हालत यह है कि तमाम नामी पब्लिक स्कूलों के छात्र-छात्राओं को कॉपी-किताब और यूनिफार्म के लिए भटकना पड़ रहा है। स्कूलों के पास भी इसका जवाब नहीं है। अब दिल्ली-एनसीआर के तीन स्कूलों में मिले कोरोना के ताजा मामले ने मुसीबत और बढ़ा दी है।पूरी सप्लाई चेन बाधितदिल्ली के दर्जनों नामी स्कूल की ड्रेस तैयार कराने वाले सोनी यूनिफॉर्म के मालिक का कहना है कि पुराना माल बेचकर स्टॉक खाली कर रहे हैं। तैयार माल नहीं आ रहा है और छात्रों की ड्रेस तैयार करने वाली कंपनियों ने अभी तक ड्रेस का काम ही शुरू नहीं किया है। जनता यूनिफॉर्म के अश्विन ने बताया कि स्कूल अचानक खुल गए। जबकि स्कूल ड्रेस बनाने वाली फैक्टरियों ने पहले से इस तरह की तैयारी नहीं की थी। लिहाजा पूरी सप्लाई चेन ही बाधित है। स्कूल बसों के अनुबंध महंगे हुएहार्पर कलिंस की पाठ्यपुस्तकों के डीलर जनता बुक डिपो का कहना है कि इस बार स्कूल अचानक खुल गए हैं, लेकिन पिछले साल के अनुभव के कारण अभी किताबें ही उपलब्ध नहीं हैं। एक नामी स्कूल की प्राचार्य का कहना है कि समस्या यही नहीं है। दो साल से स्कूलों की बसें खड़ी थीं। अधिकांश स्कूल बस सेवा को अनुबंध के आधार पर रखते थे। अब छात्रों के घर से स्कूल आने-जाने में नाको चने चबाने पड़ रहे हैं। एयर फोर्स बाल भारती स्कूल लोदी इस्टेट के प्रबंधन से जुड़े सूत्र की मानें तो स्कूल की बस से लेकर हर अनुबंध करीब सवा और डेढ़ गुना कीमत पर हो रहा है। बताते हैं कि बढ़ी कीमत के बाद भी अभी स्कूली शिक्षा का बाजार कोई रिस्क नहीं लेना चाहता।डीटीसी ने भी बसें देने से हाथ खड़े किएबाराखंबा रोड के नामी स्कूल के प्रबंधन ने जानकारी दी कि उनके यहां डीटीसी की बसें सेवाएं देती थीं। यह अनुबंध पर आधारित सेवा होती थी, लेकिन इस बार डीटीसी ने भी हाथ खड़े कर दिए। लिहाजा पब्लिक स्कूल ने निजी बसों का सहारा लिया है, लेकिन यह अनुबंध पहले की तुलना में अधिक कीमत पर हो रहा है। दूसरी तरह स्कूल के बच्चों को किताब और यूनिफॉर्म के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।तीन स्कूल बंद हो गए, हम अभिभावक से क्या कहें?दक्षिणी दिल्ली की एक नामी स्कूल की प्रिंसिपल की सुनिए। उनका कहना है कि मीडिया में कोरोना संक्रमण की अगली लहर आने की खबरें आने लगी हैं। इसको लेकर अभिभावकों के फोन, उनका डर सामने आने लगा है। दूसरी ओर, कॉपी-किताब, ड्रेस समेत हर चीज के दाम काफी बढ़ गए हैं। जैसे कोरोना ने पूरे बाजार को ही संवेदनहीन बना दिया हो और हर तरफ लोग कह रहे हैं कि कच्चे माल की कीमत काफी बढ़ गई है। फिर ऑन लाइन पढ़ाई शुरूसूत्र का कहना है कि स्कूलों को भी टीचर समेत स्टाफ की तनख्वाह और स्कूल संचालन के खर्च जुटाने में काफी दिक्कत आ रही है। मौजूदा फीस संरचना पर्याप्त नहीं है, नई फीस संरचना को लेकर अभिभावक पहले से ही काफी परेशान हैं। प्राचार्या का कहना कि आगामी कोरोना लहर की संभावना को देखकर नई फीस की रूपरेखा भी नहीं तय हो रही है। सूत्र का कहना है कि नोएडा के खेतान पब्लिक स्कूल में एक साथ कोरोना संक्रमण के 16 मामले मिले। इनमें 13 बच्चे और तीन शिक्षक संक्रमित पाए गए। इसी तरह से दो और स्कूलों में संक्रमितों के मिलने के बाद तीनों पब्लिक स्कूलों ने ऑन लाइन पढ़ाई की व्यवस्था पर जाने का निर्णय ले लिया है।बच्चों में गजब का उत्साह, लेकिन करें तो क्या?सरदार पटेल समेत तमाम स्कूलों ने अपने जूनियर और सीनियर विंग में पढ़ाई शुरू कर दी है। माडर्न पब्लिक, जीडी गोयनका, स्टेप बाइस्टेप, डीपीएस, एयरफोर्स बाल भारती समेत सभी स्कूलों ने बेहद सावधानी के साथ बच्चों के लिए स्कूल खोला है। नामी स्कूल के शिक्षक संजय पाठक, अमित मलिक, सुदेश शर्मा और शिक्षिका मीनाक्षी, नेहा भारद्वाज, श्वेता चावला आदि कहती हैं कि स्कूल खुलने के बाद छात्र-छात्राओं का उत्साह देखते ही बन रहा है। विद्यार्थी अपने दोस्तों के साथ भी घुल मिल रहे हैं, लेकिन हमें भी कोरोना की अगली लहर डरा रही है। हालांकि पिछली लहर कम घातक थी, लेकिन आगे का कुछ कह नहीं सकते। संजय पाठक कहते हैं कि स्कूल तो हमेशा चाहता है कि कक्षाएं चलें। वह कहते हैं ऑन लाइन माध्यम से ठोस और प्रभावी शिक्षा संभव नहीं है। काम चलाऊ शिक्षा भी नहीं हो पा रही है, लेकिन कोरोना संक्रमण का कुछ नहीं कर सकते। यह महामारी जानलेवा है।