NavBharat Times : Sep 10, 2019, 12:23 PM
अनियोजित तरीके से चांद की सतह पर पहुंचे विक्रम लैंडर से इसरो का संपर्क अबतक नहीं हो पाया है। इसरो ने आज ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। उसने कहा कि चंद्रयान- 2 के ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर का पता तो लगा लिया, लेकिन उससे संपर्क नहीं हो पा रहा है। इसरो ने लिखा, 'लैंडर से संपर्क स्थापित करने की सारे संभव प्रयास किए जा रहे हैं।'
गौरतलब है कि 22 जुलाई को लॉन्च हुआ चंद्रयान- 2 लगातार 47 दिनों तक तमाम बाधाओं को पार करते हुए चांद के बेहद करीब पहुंच गया था। 6-7 सितंबर की दरम्यानी रात इसके लैंडर विक्रम को अपने अंदर रखे रोवर प्रज्ञान के साथ चंद्रमा की सतह पर उतरना था, लेकिन महज 2.1 किमी की दूरी पर ही वह रास्ता भटक गया और उसका इसरो से संपर्क टूट गया। हालांकि, इसरो समेत तमाम वैज्ञानिक जगत का कहना है कि चंद्रयान- 2 ने अपना 95% तक लक्ष्य हासिल कर लिया है। इस मिशन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि ऑर्बिटर अगले 7 वर्ष तक चांद का चक्कर लगाता रहेगा और महत्वपूर्ण जानकारियां देता रहेगा।
सोमवार को खबर आई थी कि विक्रम चंद्रमा की सतह पर तिरछा पड़ा है और उसमें कोई टूट-फूट नहीं हुई है। इसरो ने बताया था कि ऑर्बिटर ने जो तस्वीर भेजी है, उसमें विक्रम का कोई टुकड़ा नहीं दिख रहा है। इसका मतलब है कि विक्रम बिल्कुल साबुत बचा है। तब वैज्ञानिकों ने विक्रम से दोबारा संपर्क साधे जाने की संभावना व्यक्त की।#VikramLander has been located by the orbiter of #Chandrayaan2, but no communication with it yet.
— ISRO (@isro) September 10, 2019
All possible efforts are being made to establish communication with lander.#ISRO
गौरतलब है कि 22 जुलाई को लॉन्च हुआ चंद्रयान- 2 लगातार 47 दिनों तक तमाम बाधाओं को पार करते हुए चांद के बेहद करीब पहुंच गया था। 6-7 सितंबर की दरम्यानी रात इसके लैंडर विक्रम को अपने अंदर रखे रोवर प्रज्ञान के साथ चंद्रमा की सतह पर उतरना था, लेकिन महज 2.1 किमी की दूरी पर ही वह रास्ता भटक गया और उसका इसरो से संपर्क टूट गया। हालांकि, इसरो समेत तमाम वैज्ञानिक जगत का कहना है कि चंद्रयान- 2 ने अपना 95% तक लक्ष्य हासिल कर लिया है। इस मिशन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि ऑर्बिटर अगले 7 वर्ष तक चांद का चक्कर लगाता रहेगा और महत्वपूर्ण जानकारियां देता रहेगा।