Donald Trump Victory / ना रॉकेट ना मिसाइल, ईरान का ट्रंप के जीतते ही बज गया बैंड

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद डॉलर की मजबूती से ईरान की करेंसी रियाल पर बड़ा असर पड़ा है। डॉलर के मुकाबले रियाल रिकॉर्ड निचले स्तर 7,03,000 पर आ गया है। जानकारों के अनुसार डॉलर की मजबूती से रियाल पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे ईरान की आर्थिक स्थिति और कमजोर होगी।

Vikrant Shekhawat : Nov 07, 2024, 06:00 AM
Donald Trump Victory: डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के अगले राष्ट्रपति बनने के साथ ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था और डॉलर ने मजबूती की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। उनके चुनाव जीतते ही अमेरिकी डॉलर का मूल्य तेज़ी से बढ़ा, जिसका सबसे बड़ा झटका ईरान की अर्थव्यवस्था को लगा है। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉलर में उछाल से ईरानी करेंसी रियाल में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है, जिससे देश को गंभीर आर्थिक झटके का सामना करना पड़ रहा है। आइए, जानते हैं कि कैसे डॉलर की मजबूती ने ईरानी अर्थव्यवस्था पर असर डाला है और इसका क्या अर्थ है।

रियाल में रिकॉर्ड गिरावट

ट्रंप की जीत की घोषणा के बाद बुधवार को ईरानी करेंसी रियाल ने डॉलर के मुकाबले अपना सबसे निचला स्तर छू लिया। कारोबार के दौरान रियाल की कीमत 7,03,000 प्रति डॉलर पर पहुंच गई, जो इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है। यह गिरावट ईरान के लिए एक बड़ा आर्थिक झटका है, विशेषकर ऐसे समय में जब ईरान इजराइल के साथ संघर्ष में उलझा हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि डॉलर की यह मजबूती भविष्य में और बढ़ सकती है, जिससे रियाल पर और अधिक दबाव आ सकता है।

2018 से बिगड़े हालात

साल 2015 में, अमेरिका समेत कई देशों के साथ हुए परमाणु समझौते के बाद ईरान की करेंसी रियाल की स्थिति काफी मजबूत हुई थी। उस समय 1 अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रियाल की कीमत लगभग 32,000 थी। लेकिन 2018 में ट्रंप ने एकतरफा तौर पर इस परमाणु समझौते से बाहर निकलने का फैसला किया, जिसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में खटास बढ़ गई। अमेरिका ने ईरान पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए, जिससे ईरान की अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर हो चुकी थी। अब, अमेरिकी सहयोगी इजराइल के साथ ईरान का तनाव और ट्रंप की जीत से भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ने की संभावना है।

डॉलर इंडेक्स में जबरदस्त तेजी

डॉलर इंडेक्स में इस समय अच्छी-खासी बढ़त देखने को मिल रही है। मौजूदा समय में डॉलर इंडेक्स 1.75% की तेजी के साथ 105.23 के स्तर पर है, और यह अनुमान लगाया जा रहा है कि दिसंबर तक यह स्तर 106.50 तक पहुंच सकता है। डॉलर इंडेक्स में इस बढ़त का मतलब है कि दुनिया की अधिकांश करेंसीज़ के मुकाबले अमेरिकी डॉलर का दबदबा एक बार फिर कायम हो रहा है। जो लोग हालिया डीडॉलराइजेशन की बातें कर रहे थे, उनके लिए यह स्थिति उनके विचारों को चुनौती देने वाली है। बीते एक महीने में डॉलर इंडेक्स में 2.24% और पिछले तीन महीनों में करीब 2% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

जियो पॉलिटिकल तनाव में इजाफा

डॉलर की बढ़ती ताकत और ट्रंप की वापसी से अमेरिकी सहयोगियों को मजबूती मिल रही है, वहीं ईरान के साथ भू-राजनीतिक तनाव में और इजाफा होने की आशंका है। ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में ईरान के खिलाफ कठोर रुख अपनाया था और इस बार भी विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी नीतियों से ईरान की अर्थव्यवस्था और अधिक दबाव में आ सकती है। ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच ट्रंप की जीत ने जियो पॉलिटिकल स्थिरता को नया मोड़ दे दिया है।

डॉलर की मजबूती का वैश्विक प्रभाव

डॉलर की मजबूती केवल ईरान ही नहीं, बल्कि अन्य विकासशील देशों पर भी असर डाल सकती है, जिनकी अर्थव्यवस्था डॉलर के मुकाबले कमजोर होती जा रही है। ऐसे में ट्रंप के प्रशासन में डॉलर की बढ़ती शक्ति से वैश्विक व्यापार और निवेश प्रवाह में बदलाव देखने को मिल सकता है।

ट्रंप की वापसी ने अमेरिकी डॉलर को मजबूती दी है, जिससे न केवल ईरान, बल्कि दुनिया की कई अन्य अर्थव्यवस्थाओं पर भी प्रभाव पड़ेगा। ट्रंप की इस जीत से जुड़ा जियो पॉलिटिकल बदलाव और डॉलर की स्थिति आने वाले समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था को किस तरह प्रभावित करेगी, यह देखना दिलचस्प होगा।