Vikrant Shekhawat : Jul 19, 2021, 06:24 PM
नई दिल्ली: पेगासस जासूसी के कथित दावे को लेकर आज संसद के मानसून सत्र में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सरकार का पक्ष रहा। उन्होंने कहा है कि हमारे कानूनों और मजबूत संस्थानों में जांच और संतुलन के साथ किसी भी प्रकार की अवैध निगरानी संभव नहीं है। भारत में एक अच्छी तरह से स्थापित प्रक्रिया है जिसके माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक संचार का वैध तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। आईटी मंत्री ने कहा कि जब हम इस मुद्दे को तर्क के चश्मे से देखते हैं, तो यह स्पष्ट रूप से सामने आता है कि इस सनसनीखेज के पीछे कोई दम नहीं। दरअसल, रविवार को कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस सॉफ्टवेयर से भारत में कथित तौर पर 300 से ज्यादा प्रमाणित फोन नंबर हैक किए गए। इनमें दो मौजूदा केंद्रीय मंत्रियों, तीन विपक्षी नेताओं, 40 से ज्यादा पत्रकारों, एक न्यायाधीश और सुरक्षा एजेंसियों के पूर्व तथा वर्तमान प्रमुखों के अलावा कई उद्योगपतियों व कार्यकर्ताओं के फोन नंबर शामिल हैं।बदनाम करने की कोशिश लगती हैआईटी मंत्री वैष्णव ने कहा कि पहले भी पेगासस के इस्तेमाल को लेकर इसी तरह के दावे किए गए थे। उन रिपोर्टों का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सुप्रीम कोर्ट सहित सभी पक्षों द्वारा स्पष्ट रूप से इनकार किया गया था। 18 जुलाई 2021 की प्रेस रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और इसकी स्थापित संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश लगती है।सरकार पहले भी कर चुकी है खारिजहालांकि, भारत सरकार ने जांच को खारिज करते हुए इसे भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने की साजिश करार दिया था। सरकार ने 2019 में हुए उस विवाद का भी जिक्र किया है, जिसके तहत व्हॉट्सएप में मौजूद एक खामी का इस्तेमाल 20 हस्तियों के फोन में मालवेयर डालने के लिए किए जाने का दावा किया गया था। इस दावे को बाद में सभी पक्षों ने खारिज किया था।कंपनी बोली- डाटा गुमराह करने वालेइजरायली कंपनी एनएसओ ने जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल और फॉरबिडेन स्टोरीज का डाटा गुमराह करता है। यह डाटा उन नंबरों का नहीं हो सकता है, जिनकी सरकारों ने निगरानी की है। इसके अलावा एनएसओ अपने ग्राहकों की खुफिया निगरानी गतिविधियों से वाकिफ नहीं है।