नॉलेज / आजकल शाम होते ही आसमान में कौन सा ग्रह सबसे ज्यादा चमकता हुआ दिखता है

अगर आजकल आप शाम होते ही आसमान की ओर नजर दौड़ाएं तो आसमान में एक चमकदार तारा चमकता हुआ नजर आता है। उसकी स्थिर चमक साफ नजर आती है। ये भी नजर आता है कि ये तारा ना केवल सबसे ज्यादा चमकदार है बल्कि बड़ा भी। कई बार हैरान होते होंगे कि ये तारा कौन सा है, जो इन दिनों इतना साफ होकर हमें नीले आकाश में नजर आ रहा है। ये तारा दरअसल शुक्र ग्रह है, जो सबसे चमकदार माना जाता है।

News18 : Apr 27, 2020, 04:01 PM
दिल्ली: अगर आजकल आप शाम होते ही आसमान की ओर नजर दौड़ाएं तो आसमान में एक चमकदार तारा चमकता हुआ नजर आता है। उसकी स्थिर चमक साफ नजर आती है। ये भी नजर आता है कि ये तारा ना केवल सबसे ज्यादा चमकदार है बल्कि बड़ा भी। कई बार हैरान होते होंगे कि ये तारा कौन सा है, जो इन दिनों इतना साफ होकर हमें नीले आकाश में नजर आ रहा है। ये तारा दरअसल शुक्र ग्रह है, जो सबसे चमकदार माना जाता है।

सूरज के ढ़लने के बाद पश्चिम में सबसे चमकदार और सबसे बड़ा दिखलाई देने वाला तारा शु्क्र ग्रह ही है। उसे शाम का तारा भी कहा जाता है। चूंकि आजकल वातावरण एकदम साफ है, लिहाजा शुक्र की चमक भी कुछ ज्यादा ही नजर आ रही है।

सूरज और चांद के बाद सबसे चमकदार

चमक की द्रष्टि से सूर्य तथा चंद्रमा के बाद अगर कोई ग्नह, तारा या आकाशीय पिंड सबसे चमकदार है तो वो शुक्र है। अंधेरी रात में इसके प्रकाश के कारण वस्तुओं की हल्की छाया भी देखी जा सकती है। जिस प्रकार यह ग्रह शाम को सबसे पहले दिखाई देता है। उसी तरह सुबह पूर्व दिशा में सबसे बाद तक दिखाई देता हैं। इसे हम भोर का तारा भी कहते हैं।

पाइथागोरस ने बताया था कि ये शुक्र यानि वीनस है

आदि काल में लोग इसे शाम को पश्चिम और सुबह पूर्व में दिखाई पड़ने के कारण दो अलग ग्रह मानते थे लेकिन वास्तव में ये एक ही है। इसे तब दो अलग नाम भी दिए गए थे। ये नाम थे – फास्फोरस तथा हैस्पैरस। बाद में गणितज्ञ पाइथागोरस ने 500 ईसा पूर्व ये पता लगा लिया कि ये दोनों तारे वास्तव में एक ही हैं।

आप मानें या मत मानें इसकी जबरदस्त चमक विशेष अवस्थाओं में इसे धूप के समय भी दिखा देती है। शायद उसकी वजह ये भी है कि ये प्रकाश का अच्छा परावर्तक भी है।

कितनी है पृथ्वी से दूरी

पृथ्वी से इसकी दूरी करीब 40 करोड़ किलोमीटर है। अगर कोई 1000 किलोमीटर प्रति घंटे गति वाले किसी यान में भी चले तो शुक्र तक पहुंचने में उसको साढे़ चार साल लग जाएंगे।

पृथ्वी और शुक्र में बहुत समानता

हमारी पृथ्वी और शुक्र में बहुत समानताएं हैं। शुक्र का व्यास लगभग बारह हजार किलोमीटर है। पृथ्वी का 12800 किलोमीटर। शुक्र और पृथ्वी की मा़त्रा का अनुपात चार और पाँच का है। इसका घनत्व 5।1 ग्राम प्रति घन सेन्टीमीटर है जो पृथ्वी के घनत्व से थोड़ा ही कम है।

इसकी घूर्णन अक्ष अपनी कक्षा से 23 डिग्री का कोण बनाती है जबकि पृथ्वी की अक्ष का झुकाव 23।5 डिग्री है। इसे पृथ्वी की जुड़वां बहन भी कहा जाता है।

शुक्र के चारों ओर घने बादलों का आवरण

शुक्र के चारों ओर तरफ घने बादलों का मोटा आवरण है जिसके कारण शक्तिशाली दूरबीन की मदद से भी इसकी वास्तविक सतह को देखना मुश्किल होता है। वैसे इस पर क्रेटर अच्छे-खासे हैं।

शुक्र का एक दिन कितना लंबा

शुक्र के एक दिन की लंबाई 243 दिन आंकी गई है। जबकि वो सूर्य की परिक्रमा 225 दिनों में पूरी करती है। शुक्र का कोई उपग्रह नहीं है।

हालैंड में हुए शोध बताते हैं कि शुक्र का एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र है। जब शुक्र सूर्य व पृथ्वी के बीच से होकर गुजरता है। तब उसका चुम्बकीय क्षेत्र सूर्य से पृथ्वी तक आने वाले आवेशयुक्त कणों पर अपना प्रभाव डालता है।

जितना सुंदर उतना ही रहस्यमय

शुक्र हमारे जितने पास हैं और जितना सुन्दर दिखाई देता है उतना ही अधिक रहस्यमय भी है इसीलिए शुक्र के बारे में केवल अनुमान ही लगाए जा सकते हैं। ये भी कहा जाता है कि ये हमारे सौर मंडल का सबसे गर्म ग्रह है।

शुक्र का वायुमंडल मुख्यरूप से कॉर्बनडाइऑक्साइड CO2से भरा हुआ है । सूरज की गर्मी इसमें प्रवेश तो करती है लेकिन निकल नहीं सकती। इस तरह से ये एक भट्टी का रूप ले लेती है। शुक्र की सतह का तापमान लगभग 462 डिग्री सेल्सियस रहता है।