NRI Income Tax / NRI इन तरीकों से इनकम टैक्स बचा सकते हैं, लाखों में हो सकती है सेविंग

भारत के बाहर रहने वाले NRI को भारत में अर्जित आय पर इनकम टैक्स देना पड़ता है। टैक्स बचाने के लिए टैक्स रेजीडेंसी सर्टिफिकेट (TRC) बनवाएं और फॉर्म 10F भरें। यह डबल टैक्स से बचने में मदद करता है। ई-वेरिफिकेशन आसान बनाकर टैक्स प्रक्रिया और सरल हो सकती है।

Vikrant Shekhawat : Jan 09, 2025, 06:00 AM
NRI Income Tax: भारत के लाखों अप्रवासी भारतीय (NRI) दुनिया के विभिन्न देशों में रहते हैं। ये लोग बेहतर आजीविका और कमाई के अवसरों की तलाश में अपने वतन से दूर गए हैं। हालाँकि, इनका नागरिकता का रिश्ता आज भी भारत से जुड़ा है। अक्सर देखा जाता है कि NRI विदेशों में कमाई करते हैं और अपने परिवार तथा रिश्तेदारों के माध्यम से भारत में प्रॉपर्टी या अन्य निवेश करते हैं।

भारत के इनकम टैक्स कानूनों के तहत, NRI को केवल भारत में अर्जित आय पर टैक्स देना होता है। इसमें किराये की आय, बैंक में जमा राशि से ब्याज, या प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त से होने वाली आय शामिल है। NRI के लिए इनकम टैक्स बचाना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन सही जानकारी और तकनीकों से इसे सरल बनाया जा सकता है।

1. टैक्स रेजीडेंसी सर्टिफिकेट (TRC) बनवाना

टैक्स बचाने के लिए टैक्स रेजीडेंसी सर्टिफिकेट (TRC) एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यदि कोई NRI दो देशों में निवेश कर रहा है और दोनों देशों के बीच डबल टैक्सेशन एग्रीमेंट (DTA) है, तो वह TRC के माध्यम से केवल एक देश में टैक्स भर सकता है। इससे डबल टैक्स भरने की समस्या से बचा जा सकता है, और आय पर अधिक बचत की जा सकती है।

2. फॉर्म 10F का उपयोग

फॉर्म 10F एक ऐसा दस्तावेज है, जो किसी व्यक्ति या संस्था की योग्यता को प्रमाणित करता है ताकि वह डबल टैक्सेशन एग्रीमेंट (DTAA) के तहत टैक्स लाभ उठा सके। यह फॉर्म NRI को भारत में टैक्स संबंधी लाभ प्राप्त करने के लिए अनिवार्य रूप से भरना होता है। इसमें दो मुख्य भाग होते हैं:

  • पहला भाग, जिसमें NRI द्वारा किया गया स्टेटमेंट होता है।
  • दूसरा भाग, जिसमें NRI के निवासी देश में टैक्स प्राधिकरण द्वारा सर्टिफिकेशन होता है।
    यह फॉर्म फाइनेंशियल वर्ष तक वैध होता है और इसे समय पर सबमिट करना आवश्यक है।

3. ई-वेरिफिकेशन को सरल बनाना

डिजिटलीकरण के युग में इनकम टैक्स ऑनलाइन फाइल करना आसान हो गया है। लेकिन NRI के लिए ई-वेरिफिकेशन की प्रक्रिया अब भी चुनौतियों से भरी है।

  • NRI भारतीय मोबाइल नंबर न होने के कारण ई-वेरिफिकेशन में कठिनाइयों का सामना करते हैं। इसे विदेशी मोबाइल नंबर या ईमेल के माध्यम से सक्षम किया जाना चाहिए।
  • फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए मौजूदा 30-दिन की समयसीमा को बढ़ाने की मांग की जा रही है, ताकि लॉजिस्टिक देरी के कारण परेशानी का सामना न करना पड़े।

निष्कर्ष

NRI के लिए भारत में निवेश और इनकम टैक्स प्रबंधन चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन सही योजनाओं और प्रक्रियाओं से यह आसान बन सकता है। टैक्स रेजीडेंसी सर्टिफिकेट और फॉर्म 10F का उपयोग करके NRI न केवल डबल टैक्स से बच सकते हैं बल्कि अपनी आय का बड़ा हिस्सा बचा भी सकते हैं। इसके साथ ही, सरकार द्वारा ई-वेरिफिकेशन प्रक्रिया को और अधिक सुविधाजनक बनाने से NRI को बड़ी राहत मिलेगी।

NRI के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इनकम टैक्स नियमों को समझें और समय पर आवश्यक दस्तावेज तैयार रखें। इससे न केवल वे टैक्स बचा सकते हैं बल्कि अपने वित्तीय उद्देश्यों को भी सफलतापूर्वक पूरा कर सकते हैं।