Vikrant Shekhawat : Feb 06, 2023, 05:55 PM
Sourav Ganguly Statement: भारत में साल 2008 में आईपीएल के पहले सीजन का आयोजन किया गया। दुनिया की पहली क्रिकेट लीग होने के साथ-साथ आईपीएल सबसे बड़ी लीग भी है। आईपीएल के बाद पूरी दुनिया भर में कई टी20 लीग का आयोजन कवाया जाने लगा। अब तो आलम यह है कि खिलाड़ी इन लीगों के कारण अपने देश के लिए नहीं खेल पाते हैं। इसी मुद्दे को लेकर बात करते हुए भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने दुनिया भर ने चल रही कई लीगों की चिंता बढ़ा दी है।ऐसा क्या बोल गए गांगुलीसौरव गांगुली ने सोमवार को कहा कि खिलाड़ियों का टी20 लीग को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट पर तरजीह देना ज्यादा लंबे समय तक टिकने वाला नहीं है क्योंकि भविष्य में आर्थिक रूप से मजबूत कुछ ही लीग चल सकेंगी। दुनिया भर में टी20 लीग की बढ़ती संख्या के बीच अब खिलाड़ी देश के लिए खेलने पर फ्रेंचाइजी क्रिकेट को तरजीह देने लगे हैं। बिग बैश लीग के बाद अब यूएई और साउथ अफ्रीका में लीग हो रही है। इसके अलावा साल के आखिर में अमेरिका में भी एक लीग का योजना है। गांगुली ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा,‘‘हम दुनिया भर में हो रही लीग के बारे में बात करते रहते हैं। आईपीएल बिल्कुल अलग तरह की लीग है। आस्ट्रेलिया में बिग बैश लीग भी अच्छा कर रही है और इसी तरह ब्रिटेन में द हंड्रेड ने अच्छा किया। साउथ अफ्रीका लीग भी अच्छा कर रही है। ये सभी लीग उन देशों में हो रही है जहां क्रिकेट लोकप्रिय है। मेरा मानना है कि आने वाले चार पांच साल में कुछ ही लीग बची रहेंगी और मुझे पता है कि वे कौन सी होंगी।’’ PSL की हालत खराबगांगुली के इस बयान के बाद आर्थिक रूप से तंग रही लीगों के टेंशन को बढ़ा दिया है। इसमें सबसे बड़ा नाम पीएसएल का है। पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक तंगी का समना कर रहा है। किसी भी लीग को विदेशी खिलाड़ी ही चमकाते हैं। पीएसएल में विदेशी खिलाड़ी भी भाग लेते हैं और उन खिलाड़ियों को डॉलर में पेमेंट करना पड़ता है। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया बेहद कमजोर है। ऐसे में इस लीग का ज्यादा दिनों तक टिक पाना मुश्किल नजर आ रहा है।जल्द समझ जाएंगे खिलाड़ीबीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष ने कहा ,‘‘फिलहाल हर खिलाड़ी नई लीग से जुड़ना चाहता है लेकिन आने वाले समय में उन्हें पता चल जाएगा कि कौन सी लीग महत्वपूर्ण है। ऐसे में देश के लिए खेलने को लीग क्रिकेट पर तरजीह दी जाएगी।’’ उन्होंने क्रिकेट प्रशासन की अहमियत पर जोर देते हुए जिम्बाब्वे का उदाहरण दिया जहां प्रशासनिक कारणों से क्रिकेट का पतन हो गया। उन्होंने कहा,‘‘मैं पांच साल बंगाल क्रिकेट संघ का अध्यक्ष रहा और फिर तीन साल बीसीसीआई का अध्यक्ष रहा। मैंने आईसीसी में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया और देखा है कि बुनियादी ढांचे और सहयोग से ही खेल संभव है।’’