Vikrant Shekhawat : Jul 08, 2023, 07:09 AM
Sourav Ganguly Career: खिलाड़ी के करियर में कई तरह के उतार चढ़ाव आते हैं. कभी वह अच्छी फॉर्म में होता है तो दुनिया में उसका नाम गूंजता है, नहीं होता है तो आलोचकों के निशानों पर होता है. विवाद भी खिलाड़ी के साथ चलते रहते हैं. इन उतार चढ़ाव में कई खिलाड़ी खो जाते हैं तो कई निखर कर आते हैं और उदाहरण बनते हैं. भारतीय क्रिकेट में एक शख्स ऐसा रहा जिसके करियर में सबकुछ हुआ. इस को टीम से बाहर भी किया गया, लौटा तो कप्तान भी बना, टीम की तस्वीर बदली फिर विवादों में घिरा, बाहर गया, फिर लौटा और अपना लोहा मनवाया. ये खिलाड़ी कोई और नहीं बल्कि हिन्दुस्तान के क्रिकेट की तस्वीर को बदलने वाला कप्तान सौरव गांगुली है. दादा के नाम से मशहूर पश्चिम बंगाल के गांगुली का आज जन्मदिन है. उनका जन्म आठ जुलाई 1972 को हुआ था.
गांगुली की गिनती दुनिया के सफलतम कप्तानों में होती है. उन्हें वो कप्तान कहा जाता है जिसने टीम इंडिया में नई जान फूंकी और उसे एक ऐसी टीम बनाया जो विदेशों में जीत दर्ज करने की काबिलियत रखती थी. गांगुली ने ये काम तब किया जब भारतीय क्रिकेट बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा था. क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद गांगुली बीसीसीआई अध्यक्ष बने. खिलाड़ी और प्रशासक, दोनों रूप में गांगुली ने भारतीय क्रिकेट की सेवा की.एक मैच के बाद हुए बाहरगांगुली ने टीम इंडिया के लिए अपना पहला मैच 11 जनवरी 1992 को वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे मैच के रूप में खेला था. इस मैच में तीन रन बनाने के बाद गांगुली को चार साल के लिए टीम से बाहर कर दिया गया था. वह वनडे टीम में 1996 में लौटे और 26 मई 1996 को उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 46 रनों की पारी खेली. लेकिन गांगुली ने सुर्खियां बटोरीं अपने टेस्ट डेब्यू से. क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स में गांगुली ने इंग्लैंड के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया और अपने पहले ही टेस्ट में शतक जमा दिया. गांगुली ने इस मैच में 131 रनों की पारी खेली. यहां से गांगुली ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.गांगुली यहां से वनडे और टेस्ट में टीम इंडिया के बल्लेबाजी क्रम की जान बन गए. सचिन तेंदुलकर के साथ उनकी ओपनिंग जोड़ी ऐसी हिट हुई की सामने वाली टीमें कांपने लगी. आज भी इस जोड़ी को सर्वश्रेष्ठ ओपनिंग जोड़ियों में गिना जाता है. 1999 वर्ल्ड कप में गांगुली ने शानदार खेल दिखाया और बताया कि वह किस स्तर के बल्लेबाज हैं.मुश्किल स्थिति में संभाली कप्तानी1999-2000 में भारतीय क्रिकेट में भूचाल मच गया. भारतीय टीम के उस समय के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन मैच फिक्सिंग में फंस गए. साथ ही अजय जडेजा और मनोज प्रभाकर जैसे खिलाड़ियों का नाम भी इसमें आया. ये दाग भारतीय क्रिकेट की छवि को धूमिल कर रहे थे. मैदान के बाहर जहां भारतीय क्रिकेट बदनामी झेल रहा था वहीं मैदान के अंदर टीम पर संकट था कि इससे कैसे निपटा जाए और इससे भी बड़ा ये कि अजहर की जगह किसे कप्तान बनाया जाए. ऐसे मुश्किल समय में गांगुली को कप्तानी का न्योता मिला जिसे उन्होंने कबूल कर लिया और फिर शुरुआत हुई भारतीय क्रिकेट के नए इतिहास की. नई टीम इंडिया की.गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया में आक्रामकता, जुझारूपन, हार न मानने की जिद, अंत तक लड़ने की ललक दिखने लगी. टीम इंडिया के खेल से पता चलने लगा था कि ये नई टीम है जिसे हराना आसान नहीं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण 2001 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच कोलकाता के ईडन गार्डन्स स्टेडियम में खेला गया टेस्ट मैच था जिसमें भारत ने फॉलोऑन खेलने के बाद भी ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को पिछड़ने के बाद दमदार वापसी करते हुए हरा दिया था. गांगुली ने टीम इंडिया की सीरत बदल दी थी.नई पौध की तैयारलीडर वही है जो भविष्य के लिए खिलाड़ी तैयार करे. गांगुली ने अपनी कप्तानी में कई नए खिलाड़ियों को मौका दिया. वह युवाओं को टीम में शामिल करने के पुरजोर समर्थक थे. युवाओं को उन्होंने काफी मौके भी दिए. गांगुली के दौर में ही, वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, मोहम्मद कैफ, जहीर खान, आशीष नेहरा, हरभजन सिंह जैसे खिलाड़ी पनपे और नतीजा दुनिया ने देखा. भारत ने 1983 के बाद 2003 में पहली बार वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में कदम रखा. ऑस्ट्रेलिया ने हालांकि साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में खेले गए फाइनल में भारत को हरा दिया था लेकिन टीम इंडिया के नए दौर की शुरुआत की ये बानगी थी. आगे जाकर युवराज, सहवाग, जहीर, नेहरा, हरभजन ने 2007 और 2011 में भारत को विश्व विजेता बनाया.ये काम भी उस खिलाड़ी की कप्तानी में हुआ जिसे गांगुली लेकर आए और तैयार किया. वो नाम है महेंद्र सिंह धोनी. धोनी की कप्तानी में भारत ने 2007 में पहला टी20 वर्ल्ड कप जीता और फिर 2011 में वनडे में विश्व चैंपियन बना.चैपल ने किया बाहरलेकिन गांगुली के लिए सबकुछ आसान नहीं रहा.टीम इंडिया की तस्वीर बदलने वाले इस कप्तान को बुरे दिन भी देखने पड़े. टीम से बाहर भी जाना पड़ा. जॉन राइट के मुख्य कोच पद से इस्तीफा देने के बाद गांगुली ने ग्रैग चैपल को टीम इंडिया का मुख्य कोच बनाने में बड़ी भूमिका निभाई लेकिन इन्हीं चैपल के कोच रहते गांगुली से कप्तानी छीनी गई और उन्हें टीम इंडिया से बाहर किया गया.चैपल ने राहुल द्रविड़ को कप्तान बनाया और इस दौरान गांगुली बाहर गए. जनवरी 2006 में उन्हें टेस्ट टीम से बाहर कर दिया गया, लेकिन इसी साल दिसंबर में साउथ अफ्रीका दौरे पर उनकी टीम में वापसी हुई और इस खिलाड़ी ने पहली पारी में अर्धशतक जमा दिया.गांगुली फिर 2008 तक खेले और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर टेस्ट में बंगाल टाइगर नाम से मशहूर गांगुली ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया. बाएं हाथ के इस दिग्गज बल्लेबाज ने भारत के लिए 113 टेस्ट मैचों में 42.17 की औसत से 7212 रन बनाए जिसमें 16 शतक और 35 अर्धशतक शामिल रहे. वनडे में उन्होंने भारत के लिए 311 टी20 मैच खेले और 41.02 की औसत से 11,363 रन बनाए. वनडे में उनके बल्ले से 22 शतक और 72 अर्धशतक निकले. गांगुली एक अच्छे गेंदबाज भी थे. उन्होंने टेस्ट में कुल 32 और वनडे में 100 विकेट लिए.बीसीसीआई के बने बॉससंन्यास लेने के बाद गांगुली आईपीएल खेले लेकिन ज्यादा सफल नहीं रहे. उन्होंने कॉमेंट्री में भी हाथ आजमाए. जगमोहन डालमिया के निधन के बाद वह बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष चुने गए और यहां से उनकी क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर की पारी की नई शुरुआत हुई. 2019 में वह बीसीसीआई के अध्यक्ष भी बने. वह पहले क्रिकेटर थे जिसने ये पद संभाला हो. अक्टूबर 2019 में वह बीसीसीआई अध्यक्ष चुने गए और अगले तीन साल तक इस पद पर रहे. अब गांगुली आईपीएल टीम दिल्ली कैपिटल्स के साथ बतौर मेंटॉर काम कर रहे हैं.The support & love keeps us going. Few more hours to go ... pic.twitter.com/8erK12kK0a
— Sourav Ganguly (@SGanguly99) July 7, 2023