Vikrant Shekhawat : Oct 01, 2024, 11:40 AM
Rahul Gandhi News: मंगलवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दिल्ली पुलिस द्वारा जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और उनके समर्थकों को सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में लिए जाने की कड़ी आलोचना की। राहुल गांधी ने इस कदम को "अस्वीकार्य" करार दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि "मोदी जी, जैसे किसानों का ‘चक्रव्यूह’ टूटा था, वैसे ही आपका अहंकार भी टूटेगा।"राहुल गांधी की तीखी प्रतिक्रियाराहुल गांधी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि, "पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से मार्च कर रहे सोनम वांगचुक और सैकड़ों लद्दाखियों को हिरासत में लेना अस्वीकार्य है।" उन्होंने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराते हुए सवाल किया कि आखिर क्यों लद्दाख के भविष्य के लिए खड़े होने वाले बुजुर्गों को दिल्ली की सीमा पर हिरासत में लिया जा रहा है। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि "लद्दाख की आवाज़ को अनसुना नहीं किया जा सकता।"हिरासत में सोनम वांगचुक और उनके समर्थकसोमवार देर रात दिल्ली पुलिस ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और उनके 150 से अधिक समर्थकों को सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में लिया। वांगचुक ने एक्स पर पोस्ट कर इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि "दिल्ली की सीमाओं पर 1,000 से अधिक पुलिस बल ने हमें हिरासत में लिया है। इसमें 80 साल से ज़्यादा उम्र के बुजुर्ग और सेना के पूर्व सैनिक भी शामिल हैं।" उन्होंने कहा कि यह शांतिपूर्ण मार्च महात्मा गांधी की समाधि की ओर था।लद्दाख के लिए संवैधानिक अधिकारों की मांगसोनम वांगचुक और उनके समर्थक लेह से नई दिल्ली तक पैदल मार्च कर रहे थे, जिसकी शुरुआत 1 सितंबर को हुई थी। उनकी मुख्य मांग लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना है। यह स्थानीय लोगों को उनकी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए कानूनी सुरक्षा प्रदान करेगा।वांगचुक का यह कदम लद्दाख की पारिस्थितिकी और स्वदेशी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था, लेकिन लद्दाख के लोगों को तब से कई अधिकारों से वंचित महसूस किया जा रहा है।नौ दिनों का उपवास और लद्दाख की पारिस्थितिकीसोनम वांगचुक ने इससे पहले लद्दाख की नाजुक पहाड़ी पारिस्थितिकी और स्वदेशी लोगों की सुरक्षा के लिए अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से लेह में नौ दिनों का उपवास भी किया था। उनके अनुसार, लद्दाख की पारिस्थितिकी गंभीर संकट में है, और सरकार से इसे बचाने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।निष्कर्षसोनम वांगचुक और उनके समर्थकों की गिरफ्तारी ने लद्दाख के संवैधानिक अधिकारों की मांग को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया है। राहुल गांधी और विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार लद्दाख की आवाज़ सुनती है या नहीं, और इस शांतिपूर्ण आंदोलन का भविष्य क्या होगा।