देश / राहुल से बोले राजन, गरीबों की मदद के लिए खर्च करने होंगे 65 हजार करोड़

रघुराम ने कहा कि वैश्विक मंच पर भारत एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। भारत नए वर्ल्ड ऑर्डर में अपना स्थान बना सकता है। शक्तिहीन लोगों को शक्तिशाली नेता अच्छा लगता है। हम विभाजित समाज के साथ कहीं नहीं पहुंच सकते। उन्होंने कहा कि आज हमें स्वास्थ्य, नौकरी के लिए अच्छी व्यवस्था करने की आवश्यकता है।

AMAR UJALA : Apr 30, 2020, 11:14 AM
दिल्ली: कोरोना वायरस संकट के कारण लगभग एक महीने से देश में लॉकडाउन लागू है। देश में सब बंद है, फैक्ट्रियों पर ताले लगे हुए हैं, लोग घरों के अंदर हैं। इसका असर हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ा है और जीडीपी की रफ्तार थम गई है। अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी इन चुनौतियों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को रिजर्व बैक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से बातचीत की। चर्चा में आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि इस समय गरीबों की मदद करना जरूरी है। जिसके लिए सरकार के लगभग 65 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। 

रघुराम ने कहा कि वैश्विक मंच पर भारत एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। भारत नए वर्ल्ड ऑर्डर में अपना स्थान बना सकता है। शक्तिहीन लोगों को शक्तिशाली नेता अच्छा लगता है। हम विभाजित समाज के साथ कहीं नहीं पहुंच सकते। उन्होंने कहा कि आज हमें स्वास्थ्य, नौकरी के लिए अच्छी व्यवस्था करने की आवश्यकता है। वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था को लेकर उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि वैश्विक आर्थिक प्रणाली में कुछ गलत है। लोगों के पास नौकरी नहीं है। आय का असमान वितरण हो रहा है। यूपी-तमिलनाडु के लिए ठीक नहीं है एक नीति: राहुल

बातचीत के दौरान राहुल ने कहा कि भारतीय समाज की व्यवस्था अमेरिकी समाज से अलग है। जिसके लिए सामाजिक बदलाव जरूरी हैं। हर राज्य का अपना एक अलग तरीका है। तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश को एक ही नजरिए से नहीं देखा जा सकता। आज जिस तरह की असमानता है वह चिंता का विषय है।

निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग के लिए है चुनौती: रघुराम

रघुराम राजन ने कहा कि हमारे पास लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का तरीका है। कई राज्यों ने खाद्य, स्वास्थ्य, शिक्षा पर अच्छा काम किया है। हालांकि सबसे बड़ी चुनौती निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग को है जिनके पास नौकरी नहीं होगी। आज जरूरत है कि लोगों को केवल सरकारी नौकरी पर निर्भर न रखकर उनके लिए नए अवसर पैदा किए जाएं। अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी हुई चुनौतियों को लेकर रघुराम राजन ने कहा कि हमें जल्द से जल्द अर्थव्यवस्था को खोलने की तरफ कदम बढ़ाने होंगे क्योंकि हमारे पास दूसरे देशों की तरह व्यवस्था नहीं है। आंकड़े चिंता पैदा करने वाले हैं। सीएमआईई का कहना है कि 10 करोड़ लोग वर्कफोर्स से बाहर हो जाएंगे। हमें बड़े कदम उठाने होंगे।

गरीबों की मदद के लिए लगेंगे 65 करोड़ रुपये

बातचीत के दौरान राहुल ने रघुराम से पूछा कि गरीबों की मदद करने के लिए कितना पैसा लगेगा। जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि तकरीबन 65 हजार करोड़ रुपये। हमारा जीडीपी दो लाख करोड़ की है। यह ज्यादा नहीं है। हम ऐसा कर सकते हैं।

अर्थव्यवस्था को किस तरह खोला जाए

राहुल गांधी ने पूछा कि देश में जारी लॉकडाउन के बीच अर्थव्यवस्था को कैसे खोला जाए? इसपर राजन ने कहा कि दूसरे लॉकडाउन को लागू करने का मतलब है कि आप खोलने को लेकर कोई सही तैयारी नहीं कर पाए। लोगों के मन में सवाल है कि तीसरा लॉकडाउन भी आएगा। यदि हम सोचें की शून्य मामले होने पर इसे खोला जाएगा तो यह असंभव है।


अर्थव्यवस्था की चुनौतियों से कैसे निपटा जाए

कांग्रेस नेता ने पूछा कि अर्थव्यवस्था को लेकर काफी चिंता है। इन चुनौतियों से कैसे निपटना है इसे लेकर आपकी क्या राय है तो आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई के साथ-साथ हमें आम लोगों के रोजगार के बारे में सोचना होगा। इसके लिए कार्यक्षेत्र को सुरक्षित करना जरूरी है।


अर्थव्यवस्था खोलने के लिए करने होंगे ज्यादा परीक्षण

राहुल ने पूछा कि देश में कोरोना परीक्षण को लेकर कई तरह के सवाल हैं। हमारे यहां दूसरे देशों की तुलना में कम परीक्षण हो रहे हैं। जिसपर राजन ने कहा कि यदि हम अर्थव्यवस्था को खोलना चाहते हैं तो हमें अपनी परीक्षण क्षमता बढ़ानी होगी। हमें कोई भी एक हजार नमूने लेने होंगे और परीक्षण करना होगा। आज अमेरिका लाखों परीक्षण कर रहा है जबकि हम 20-30 हजार के बीच हैं।


भारत के पास है मौका

राहुल ने पूछा कि क्या इस तरह की स्थिति से भारत को लाभ हो सकता है। जब कोरोना का संकट खत्म होगा तो भारत को क्या करना चाहिए। इसके जवाब में रघुराम ने कहा कि इस तरह की काफी कम घटनाएं ही किसी पर अच्छा प्रभाव डालती हैं। भारत के पास मौका है कि वह अपने उद्योगों को दुनिया तक पहुंचाए और लोगों से बात करें।