Vikrant Shekhawat : Apr 24, 2022, 08:52 AM
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली में गाजीपुर लैंडफिल साइट पर बार-बार आग लगने की घटनाओं पर गंभीर चिंता जताई और कहा कि ये डंप साइटें टाइम बम की तरह हैं। एनजीटी ने लैंडफिल साइटों पर आग लगने के कारणों का पता लगाने और फिर ऐसी घटना न हो, इसका समाधान सुझाने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। गाजीपुर लैंडफिल साइट पर आग लगने की घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए एनजीटी चेयरपर्स जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दिल्ली और अन्य शहरों में डंप साइटें टाइम बम की तरह हैं क्योंकि वे लगातार मीथेन जैसी विस्फोटक गैसें उत्पन्न कर रहे हैं।
पीठ ने कहा है कि यह चिंता का विषय है कि इस तरह की घटनाएं सिर्फ दिल्ली में डंप साइट पर ही नहीं, बल्कि अन्य शहरों में भी हो रही हैं। आग लगने की घटनाओं के होने की उन जगहों पर अधिक संभावना होती है जहां कचरे का समुचित तरीके से निपटान नहीं किया जाता है। एनजीटी ने कहा है कि यही कारण है कि कचरे के निस्तारण के लिए वैधानिक समय सीमा का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा है कि दिल्ली में स्थिति और खतरनाक तथा गंभीर हो सकती है क्योंकि यहां पर घनी आबादी होने के साथ लैंडफिल साइट पर कूड़े-कचरे की मात्रा काफी अधिक है। एनजीटी ने गाजीपुर लैंडफिल साइट पर बार-बार आग लगने की घटना को सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बताया है।
गाजीपुर लैंडफिल में 28 मार्च से आग लगने की तीसरी घटना
गाजीपुर लैंडफिल साइट पर बुधवार को भीषण आग लग गई थी। 28 मार्च से आग लगने की यह तीसरी वारदात थी। आग के चलते आसमान में घना धुआं छा गया और पहले से ही प्रदूषित आसपास के इलाकों की हवा और जहरीली हो गई। पिछले साल आग लगने की चार घटनाएं हुई थी और 2017 में लैंडफिल साइट का एक बड़ा हिस्सा टूटकर सड़क पर आ गया था जिसके चलते दो लोगों की जान गई थी।70 एकड़ में फैली है गाजीपुर लैंडफिल साइट : 70 एकड़ में फैली गाजीपुर लैंडफिल साइट 1984 में शुरू हुई थी। 2019 में कचरा डंप साइट 65 मीटर ऊंची हो गई थी। डीपीसीसी ने 28 मार्च को लैंडफिल में आग लगने के बाद पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एसपी गर्ग के नेतृत्व में उच्चस्तरीय समिति गठित
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने कहा कि सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद संबंधित विभागों की एक बहुविभागीय समिति के गठन करने की आवश्यकता है ताकि प्रशासन के उच्च स्तर पर त्वरित कार्रवाई हो सके। इसके साथ ही एनजीटी ने दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एसपी गर्ग के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), शहरी विकास विभाग, पूर्वी दिल्ली नगर निगम, दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और संबंधित जिलाधिकारी और पूर्वी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त को शामिल किया गया है।हफ्ते में पहली बैठक करने और एक माह में रिपोर्ट की तलब
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को समन्वय और नोडल एजेंसी बनाया गया। पीठ ने समिति को एक हफ्ते में पहली बैठक करने का निर्देश दिया है। साथ ही गाजीपुर लैंडफिल साइट का दौरा करने और सभी स्टेकहोल्डरों के साथ बातचीत कर एक महीने में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।अन्य शहरों की डंप साइट के बारे में भी जानकारी मांगी
एनजीटी ने सीपीसीबी से देश के अन्य शहरों खासकर महानगरों में स्थित लैंडफिल साइटों की स्थिति की जानकारी मांगी है। साथ ही, सीपीसीबी से आग लगने की घटना पर रोक लगाने के लिए तैयार दिशानिर्देशों का सख्ती से लागू कराने को कहा है। पीठ ने लुधियाना में डंप साइट पर आग लगने की घटना पर संज्ञान लेते हुए यह आदेश जारी किया है। इस घटना में 7 लोगों की मरने की खबर है।
पीठ ने कहा है कि यह चिंता का विषय है कि इस तरह की घटनाएं सिर्फ दिल्ली में डंप साइट पर ही नहीं, बल्कि अन्य शहरों में भी हो रही हैं। आग लगने की घटनाओं के होने की उन जगहों पर अधिक संभावना होती है जहां कचरे का समुचित तरीके से निपटान नहीं किया जाता है। एनजीटी ने कहा है कि यही कारण है कि कचरे के निस्तारण के लिए वैधानिक समय सीमा का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा है कि दिल्ली में स्थिति और खतरनाक तथा गंभीर हो सकती है क्योंकि यहां पर घनी आबादी होने के साथ लैंडफिल साइट पर कूड़े-कचरे की मात्रा काफी अधिक है। एनजीटी ने गाजीपुर लैंडफिल साइट पर बार-बार आग लगने की घटना को सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बताया है।
गाजीपुर लैंडफिल में 28 मार्च से आग लगने की तीसरी घटना
गाजीपुर लैंडफिल साइट पर बुधवार को भीषण आग लग गई थी। 28 मार्च से आग लगने की यह तीसरी वारदात थी। आग के चलते आसमान में घना धुआं छा गया और पहले से ही प्रदूषित आसपास के इलाकों की हवा और जहरीली हो गई। पिछले साल आग लगने की चार घटनाएं हुई थी और 2017 में लैंडफिल साइट का एक बड़ा हिस्सा टूटकर सड़क पर आ गया था जिसके चलते दो लोगों की जान गई थी।70 एकड़ में फैली है गाजीपुर लैंडफिल साइट : 70 एकड़ में फैली गाजीपुर लैंडफिल साइट 1984 में शुरू हुई थी। 2019 में कचरा डंप साइट 65 मीटर ऊंची हो गई थी। डीपीसीसी ने 28 मार्च को लैंडफिल में आग लगने के बाद पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एसपी गर्ग के नेतृत्व में उच्चस्तरीय समिति गठित
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने कहा कि सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद संबंधित विभागों की एक बहुविभागीय समिति के गठन करने की आवश्यकता है ताकि प्रशासन के उच्च स्तर पर त्वरित कार्रवाई हो सके। इसके साथ ही एनजीटी ने दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एसपी गर्ग के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), शहरी विकास विभाग, पूर्वी दिल्ली नगर निगम, दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और संबंधित जिलाधिकारी और पूर्वी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त को शामिल किया गया है।हफ्ते में पहली बैठक करने और एक माह में रिपोर्ट की तलब
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को समन्वय और नोडल एजेंसी बनाया गया। पीठ ने समिति को एक हफ्ते में पहली बैठक करने का निर्देश दिया है। साथ ही गाजीपुर लैंडफिल साइट का दौरा करने और सभी स्टेकहोल्डरों के साथ बातचीत कर एक महीने में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।अन्य शहरों की डंप साइट के बारे में भी जानकारी मांगी
एनजीटी ने सीपीसीबी से देश के अन्य शहरों खासकर महानगरों में स्थित लैंडफिल साइटों की स्थिति की जानकारी मांगी है। साथ ही, सीपीसीबी से आग लगने की घटना पर रोक लगाने के लिए तैयार दिशानिर्देशों का सख्ती से लागू कराने को कहा है। पीठ ने लुधियाना में डंप साइट पर आग लगने की घटना पर संज्ञान लेते हुए यह आदेश जारी किया है। इस घटना में 7 लोगों की मरने की खबर है।