- भारत,
- 07-Apr-2025 06:00 AM IST
Trump Tariff War: डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद अमेरिकी नीतियों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। 2 अप्रैल, 2024 को ट्रंप प्रशासन ने चीन समेत कई एशियाई देशों पर भारी टैरिफ लगा दिए, जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। भारत पर 26% और चीन पर 34% का जवाबी टैरिफ लगाने से ग्लोबल ट्रेड समीकरणों में हलचल मच गई है। इन नीतियों का सबसे बड़ा असर टेक्नोलॉजी सेक्टर, खासकर Apple के iPhone पर पड़ सकता है।
iPhone मैकबुक से भी महंगा?
Apple के लिए सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उसके iPhone का अधिकांश उत्पादन चीन में होता है। ट्रंप की नई टैरिफ नीति से चीन से अमेरिका आयात होने वाले iPhone पर अतिरिक्त 34% शुल्क लग गया है। वॉल स्ट्रीट जर्नल के हवाले से द इकोनॉमिक टाइम्स ने रिपोर्ट किया है कि इसके चलते अगला iPhone मैकबुक से भी 50% तक महंगा हो सकता है। यानी जो फोन पहले ही “महंगा” माना जाता था, वह अब आम लोगों की पहुंच से पूरी तरह बाहर जा सकता है।
क्यों पड़ेगा Apple पर सीधा असर?
मार्च के अंत में Apple ने चीन और भारत से iPhone व अन्य प्रोडक्ट्स के पांच कार्गो अमेरिका भेजे थे। फिलहाल इससे कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ, लेकिन स्टॉक खत्म होते ही बढ़े हुए टैरिफ का असर साफ दिखने लगेगा। Apple ने भारत और वियतनाम में भी निर्माण शुरू किया है, पर अभी भी चीन का वर्चस्व कायम है। ट्रंप के टोटल 54% तक के टैरिफ से कंपनी की लागत में तीव्र बढ़ोतरी होगी। यदि Apple को टैरिफ में कोई राहत नहीं मिली, तो इसका सीधा असर कंपनी के मुनाफे पर पड़ेगा, जो 9% तक गिर सकता है।
ग्राहकों की जेब पर सीधा भार
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्पादन लागत बढ़ने का बोझ अंततः ग्राहकों पर डाला जाएगा। भारत जैसे देशों में भले ही निर्यात बढ़े, लेकिन iPhone की कीमतें बढ़ने से उसकी बिक्री को करारा झटका लग सकता है। Apple के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द ये है कि उसे प्रीमियम ब्रांड की छवि बनाए रखते हुए कीमतों को भी काबू में रखना है।
ट्रंप का दावा बनाम बाजार की सच्चाई
ट्रंप का दावा है कि ये टैरिफ अमेरिका की अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचाएंगे और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन विशेषज्ञों की राय इससे जुदा है। उनका कहना है कि टैरिफ से महंगाई बढ़ेगी, जिससे आम अमेरिकी उपभोक्ता की जेब पर सीधा असर होगा।
आगे क्या?
अब सबकी निगाहें Apple पर हैं कि वह इस बढ़ती लागत का समाधान कैसे निकालता है। क्या कंपनी उत्पादन भारत और वियतनाम जैसे देशों में शिफ्ट करेगी या फिर कीमतें बढ़ाकर उपभोक्ताओं से ही लागत वसूलेगी? एक बात तो तय है—ट्रंप के टैरिफ प्लान ने सिर्फ व्यापारिक रणनीतियों को नहीं, बल्कि वैश्विक उपभोक्ताओं की उम्मीदों को भी हिला कर रख दिया है।