पाली के कानपुरा गांव में 27 सितंबर को कुएं में काम करते वक्त मिट्टी ढहने से दबे श्रमिक मूपाराम का शव 84 दिन बाद आज बाहर निकाल लिया गया। कुआं 90 फीट गहरा था। इसकी खुदाई दिन में पूरी की गई। जिसके बाद रेस्क्यू टीम को शव नजर आया। प्रदेश में संभवत: ऐसा पहला मामला है जब कुएं में दबे हुए शव को निकालने के लिए इतना लंबा रेस्क्यू करना पड़ा।
शनिवार सुबह शव को निकालने के लिए सिर्फ 3 फीट की खुदाई बची थी। जो की दिन में 1.30 बजे तक पूरी कर ली गई। इसके बाद शव को पैक कर शव को बाहर निकाला गया। रेस्क्यू लोकेशन के पास ही शव के पोस्टमार्टम की भी व्यवस्था की गई है।
इतने लंबे रेस्क्यू में कब-क्या हुआ:
- 27 सितंबर को कुएं में दबा था मजदूर मूपाराम। पहले 31 सितंबर तक तलाश के लिए रेस्क्यू चला।
- 1 अक्टूबर को शव निकालने में सरकारी मशीनरी की इच्छाशक्ति टूटी। यानी काम बंद किया गया।
- 4 अक्टूबर को फिर मंत्री-प्रभारी सचिव की फटकार के बाद प्रशासन ने रेस्क्यू शुरू किया।
- 13 अक्टूबर से तकनीकी विशेषज्ञों की मौजूदगी मेंं नए सिरे से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया।
- 15 अक्टूबर से कुएं को नया बनाने के लिए फर्में लगाने का काम शुरू किया गया।
परिजनों को जगी उम्मीद, शव का कर सकेंगे अंतिम संस्कार
27 सितंबर को कुएं में दबे मजदूर मूपाराम मीणा के शव को निकालने के लिए कोई अधिकारी गंभीर नहीं रहा। मात्र एसडीआरएफ तथा भीलवाड़ा में कुओं व बोरवेल की खुदाई करने वाले लोगों को बुलाकर उनसे रेस्क्यू कराया गया। 5 दिन में टीम ने यह तो पता लगा लिया कि शव के ऊपर 8 से 10 फीट तक मिट्टी है। कुछ दलदल भी है। ऐसे में कभी लोहे का फर्मा बनाकर उतारा गया तो कभी लोहे के बड़े ड्रम काटकर उतारे गए, मगर शव नहीं निकला। मड पंप से प्रेशर देकर मिट्टी निकालने का प्रयास किया।
फिर इस तकनीक से शुरू हुआ रेस्क्यू, ताकि शव को नुकसान नहीं पहुंचे
इसके बाद क्षतिग्रस्त कुएं में 80 फीट तक रोड़ी-रेती से भरा गया। कुएं की चौड़ाई 9 फीट से बढ़ाकर 13 फीट की गई। कुएं से वापस रेती-राेड़ी निकालकर पक्का निर्माण शुरू किया। परत-दर-परत गहराई में खुदाई के बाद सीमेंट के फर्में भरे। कुल 55 फीट तक भरे गए सीमेंट के फर्में, ताकि कुआं पक्का हाे।