Vikrant Shekhawat : Jul 26, 2023, 08:07 AM
Manipur Violence: कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है. अविश्वास प्रस्ताव को मणिपुर पर चर्चा के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा. यही वजह है कि कांग्रेस की तरफ से व्हिप जारी कर कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी के सभी लोकसभा सांसदों से कहा गया है कि उन्हें आज यानी 26 जुलाई को सीसीपी ऑफिस में मौजूद रहना होगा. बताया गया है कि ऑफिस में एक बैठक होगी, जिसमें कुछ जरूरी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.दरअसल, विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA की एक बैठक होनी है. इसमें अगर इस बात सहमति बनती है कि तमाम कोशिशों के बाद भी पीएम मोदी मणिपुर पर बोलने को तैयार नहीं हैं और इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हो पा रही है. फिर पीएम को सदन में बुलवाने के लिए और मणिपुर पर लंबी चर्चा कराने के लिए आखिरी हथियार के तौर पर मोदी सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाया जाएगा. सबसे पहले कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे 10 बजे बैठक करेंगे. फिर लोकसभा में इसकी तैयारी होगी.आज होगा बैठकों का दौरसूत्रों ने बताया गया है कि विपक्ष द्वारा लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव के लिए 10.30 बजे बैठक बुलाई गई है. बताया गया है कि विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ बुधवार को ही लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है. अपनी तरफ से विपक्ष ने तैयारी शुरू कर दी है. सुबह 10.30 बजे जहां सोनिया गांधी के साथ कांग्रेस सांसदों की बैठक होगी, वहीं 10 बजे खरगे के कमरे में विपक्षी गठबंधन INDIA की बैठक चलेगी.कांग्रेस ने अपने लोकसभा सांसदों के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है, ताकि वे सदन में मौजूद रहें. बीते दिन जिस तरह राज्यसभा में विपक्ष का वॉक आउट हुआ और फिर लोकसभा में हंगामे के बावजूद सरकार ने बिल पास कराए, उसके देखते हुए विपक्ष गंभीर हो चुका है और अब अविश्वास प्रस्ताव को एक विकल्प के तौर पर देख रहा है.सदन की कार्यवाही हो रही बाधितदरअसल, विपक्ष मांग कर रहा है कि मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में चर्चा करें. इस मांग की वजह से काफी हंगामा हुआ है और पिछले चार दिनों से सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित भी हुई है. मणिपुर में हिंसा की शुरुआत मई के महीने से हुई, जो अभी तक जारी है. हाल ही में मणिपुर में दो महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न का वीडियो भी वायरल हुआ. पुलिस ने बताया कि ये घटना चार मई की है. सरकार के ऊपर इस मुद्दे को लेकर दबाव बनाया गया है.