Delhi Air Pollution: दिल्ली-NCR इन दिनों प्रदूषण के गंभीर संकट से जूझ रहा है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार खतरनाक स्तर पर बना हुआ है, और बुधवार को भी यह 421 के आंकड़े पर पहुंचा। बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने ऑनलाइन क्लासेज, वर्क फ्रॉम होम और कृत्रिम बारिश जैसे कदमों की योजना बनाई है। लेकिन क्या यह पर्याप्त होगा?
ऐसे में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन एक प्रेरणा के रूप में सामने आई है। दुनिया का सबसे साफ शहर माने जाने वाले कोपेनहेगन ने अपने मॉडल से साबित किया है कि प्रदूषण को हराना संभव है। दिल्ली को भी अपने प्रदूषण संकट से निपटने के लिए कोपेनहेगन से सीख लेनी चाहिए। आइए, जानते हैं 7 उपाय जो दिल्ली को कोपेनहेगन जितना स्वच्छ बना सकते हैं।
1. साइकिल फ्रेंडली इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाएं
कोपेनहेगन को ‘साइकिल फ्रेंडली कैपिटल’ कहा जाता है। यहां 50% से अधिक लोग साइकिल का उपयोग करते हैं। 400 किलोमीटर से अधिक लंबी साइकिल लेन और पार्किंग की सुविधा के कारण यातायात और प्रदूषण दोनों कम हैं। दिल्ली में भी यदि लोग साइकिल को अपनाएं और इसके लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जाए, तो प्रदूषण में बड़ी कमी आ सकती है।
2. नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग
कोपेनहेगन में बिजली का उत्पादन पवन और सौर ऊर्जा से होता है। यहां पवन ऊर्जा और जैव ऊर्जा का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। इसके विपरीत, दिल्ली अब भी कोयला और पेट्रोलियम जैसे प्रदूषणकारी स्रोतों पर निर्भर है। सौर पैनल और पवन ऊर्जा जैसे विकल्प दिल्ली में भी तेजी से लागू किए जाने चाहिए।
3. कचरे से ऊर्जा बनाएं
कोपेनहेगन का 'कचरे से ऊर्जा' मॉडल प्रेरणादायक है। यहां का अमेगर बके प्लांट कचरे को जलाकर स्वच्छ ऊर्जा में बदलता है। इससे 400,000 घरों को बिजली और गर्म पानी मिलता है। वहीं दिल्ली में कचरा प्रबंधन एक बड़ी समस्या है। सड़कों और गली-मोहल्लों में फैला कचरा प्रदूषण का बड़ा कारण है। यदि दिल्ली में भी इस नीति को अपनाया जाए, तो कचरा प्रबंधन और ऊर्जा उत्पादन दोनों में सुधार हो सकता है।
4. हरित क्षेत्रों का विस्तार
कोपेनहेगन में 20% से अधिक क्षेत्र हरित है। छोटे-छोटे पार्क, हरित छतें, और गार्डन अनिवार्य हैं। दिल्ली में भी हरित क्षेत्रों का विस्तार और नए निर्माणों में हरित छत अनिवार्य करना जरूरी है। इसके अलावा, लोगों को अपने घरों और बालकनियों में पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
5. प्रदूषणकारी उद्योगों का स्थानांतरण
कोपेनहेगन में प्रदूषणकारी उद्योग शहर से बाहर स्थित हैं और अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हैं। दिल्ली-NCR में भारी उद्योग और ईंट भट्ठे शहर के अंदर हैं, जो वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं। इन उद्योगों को शहर से बाहर स्थानांतरित करना और आधुनिक तकनीक अपनाने पर जोर देना आवश्यक है।
6. कृषि अपशिष्ट का प्रबंधन
कोपेनहेगन में किसान कृषि अपशिष्ट को बायोगैस और खाद में बदलते हैं। जबकि दिल्ली में पराली जलाने की समस्या हर साल प्रदूषण को चरम पर पहुंचा देती है। पराली प्रबंधन के लिए किसानों को आर्थिक सहायता और आधुनिक तकनीक उपलब्ध कराना जरूरी है।
7. मॉनिटरिंग सिस्टम का विस्तार
कोपेनहेगन में शहर के हर कोने में वायु और जल गुणवत्ता मॉनिटरिंग सिस्टम है। दिल्ली में मॉनिटरिंग स्टेशन सीमित हैं। व्यापक मॉनिटरिंग सिस्टम से प्रदूषण के स्रोतों की पहचान और निवारण में मदद मिलेगी।
मौसम वैज्ञानिकों की राय
स्काईमेट के मौसम वैज्ञानिक महेश पलावत के अनुसार, जब तक हवा की गति तेज नहीं होगी, प्रदूषण के स्तर में सुधार की संभावना कम है। अगले कुछ दिनों में हवा और बारिश से स्थिति में सुधार की उम्मीद है।
निष्कर्ष
दिल्ली का प्रदूषण एक जटिल समस्या है, जिसका समाधान केवल सरकार के प्रयासों से संभव नहीं। हमें कोपेनहेगन से प्रेरणा लेते हुए व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर योगदान देना होगा। हरित ऊर्जा का उपयोग, कचरा प्रबंधन, और साइकिल को अपनाने जैसे कदम दिल्ली को स्वच्छ और रहने योग्य बना सकते हैं।दिल्ली को स्वच्छ बनाने का सपना तभी साकार होगा जब सरकार, उद्योग और आम लोग मिलकर ठोस कदम उठाएंगे।