COVID-19 / ये हैं दुनिया की वो 10 बड़ी फार्मा कंपनियां, जो बना रही हैं कोविड-19 की वैक्सीन

ये हैं दुनिया की वो 10 बड़ी फार्मा कंपनियां, जो बना रही हैं कोविड-19 की वैक्सीनदुनिया में फैले कोरोना संक्रमण (Covid-19) को फ़ैलने से रोकने के लिए हर देश संभव प्रयास कर रहा है। जहां एक और देश में संक्रमितों की संख्या 6 लाख 50 हजार के करीब पहुंच गई वहीं दूसरी और दुनिया में ये आंकड़ा 1 करोड़ के पार पहुंच गया है। कई देश की दिग्गज फार्मा कम्पनियां संक्रमण की वैक्सीन (Vaccine) पर काम रही है। आइए आपको बताते हैं इनके बारे में।

News18 : Jul 05, 2020, 07:04 AM
Delhi: ये हैं दुनिया की वो 10 बड़ी फार्मा कंपनियां, जो बना रही हैं कोविड-19 की वैक्सीनदुनिया में फैले कोरोना संक्रमण (Covid-19) को फ़ैलने से रोकने के लिए हर देश संभव प्रयास कर रहा है। जहां एक और देश में संक्रमितों की संख्या 6 लाख 50 हजार के करीब पहुंच गई वहीं दूसरी और दुनिया में ये आंकड़ा 1 करोड़ के पार पहुंच गया है। कई देश की दिग्गज फार्मा कम्पनियां संक्रमण की वैक्सीन (Vaccine) पर काम रही है। आइए आपको बताते हैं इनके बारे में।

ऐस्ट्राजेनेका- ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी ऐस्ट्राजेनेका ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिल कर एक वैक्सीन पर काम कर रही है। बताया जा रहा है कि यह वैक्सीन प्रीक्लिनिकल और उसके बाद के तीन चरणों में इंसानों में किए जाने वाले परीक्षण में पहला चरण पार कर चुकी है और दो अलग-अलग स्थानों पर इसे लेकर दूसरे और तीसरे चरण में परीक्षण चल रहे हैं। अगर सब ठीक रहा तो वैक्सीन अक्टूबर में आ सकती है।

मॉडर्ना- अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की वैक्सीन परीक्षण के दूसरे चरण में है और जुलाई में तीसरे चरण में प्रवेश कर सकती है। इसे लेकर जांच में कम लोगों को शामिल करना जैसे कुछ विवाद भी रहे हैं, फिर भी परीक्षण निर्विरोध चल रहे हैं। कंपनी को उम्मीद है कि 2021 के शुरूआती महीनों में टीका आ जाएगा।

बायोऐंटेक और फाइजर- जर्मन कंपनी बायोऐंटेक, अमेरिकी कंपनी फाइजर और चीनी कंपनी फोसुन फार्मा ने इस वैक्सीन को विकसित करने के लिए हाथ मिलाया है। इसके परीक्षण भी दूसरे चरण में पहुंच चुके हैं। कंपनियों को उम्मीद है कि टीका अक्टूबर तक उपलब्ध हो जाना चाहिए।

नोवावैक्स- एक और अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स भी वैक्सीन पर काम कर रही है और इसके कुछ स्थानों पर तीसरे चरण के परीक्षण चल रहे हैं। एक अंतरराष्ट्रीय पहल के तहत इस प्रोजेक्ट में 38।4 करोड़ डॉलर का निवेश किया गया है।

भारत बायोटेक, जाइडस कैडिला- भारतीय कंपनी भारत बायोटेक को सरकारी इंस्टीट्यूट आईसीएमआर के साथ मिल कर कोवैक्सिन नाम की वैक्सीन के दूसरे चरण के परीक्षण की अनुमति मिल गई है। भारतीय कंपनी जाइडस कैडिला को भी उसकी वैक्सीन के दूसरे चरण के परीक्षण शुरू करने की अनुमति मिल गई है।

एंजेस- जापानी कंपनी एंजेस ओसाका विश्वविद्यालय और एक और कंपनी तकारा बायो के साथ मिलकर एक वैक्सीन पर तीसरे चरण के परीक्षण कर रही है।

सिनोफार्म मिल - वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स और चीन की सरकारी कंपनी सिनोफार्म मिल कर इस वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। इसके तीसरे चरण के परीक्षण शुरू होने वाले हैं।

सिनोवैक- चीन की निजी कंपनी सिनोवैक बायोटेक चीन और ब्राजील में एक वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण कर रही है। कंपनी हर साल 10 करोड़ डोज उत्पादन के लिए एक फैक्टरी भी बना रही है।

चाइनीज अकेडमी- चाइनीज अकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज के इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल बायोलॉजी में भी एक वैक्सीन पर दूसरे चरण के परीक्षण चल रहे हैं। इंस्टिट्यूट को पोलियो और हेपेटाइटिस ए की वैक्सीन के आविष्कार के लिए जाना जाता है।

इम्पीरियल कॉलेज, लंदन- लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में भी शोधकर्ता एक वैक्सीन पर काम कर रहे हैं जिसके उत्पादन के लिए उन्होंने मॉर्निंगसाइड वेंचर्स से और वितरण के लिए वैक एक्विटी ग्लोबल हेल्थ नाम की कंपनी के साथ हाथ मिलाया है। इसके भी दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण शुरू हो चुके हैं।