देश / 'अंबानी' व एक अन्य की फाइल को लेकर ₹300 करोड़ ऑफर हुए थे, सौदा रद्द कर पीएम को बताया था: मलिक

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल रहते उन्हें 'अंबानी' और खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'करीबी' बताने वाले 'आरएसएस संबंधी व्यक्ति' की दो फाइलें क्लियर करने के लिए ₹300 करोड़ रिश्वत ऑफर की गई थी। बकौल मलिक, उन्होंने सौदे रद्द कर प्रधानमंत्री को सूचित किया था जिन्होंने इस फैसले का समर्थन किया था।

Vikrant Shekhawat : Oct 22, 2021, 06:13 PM
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल व मेघालय के मौजूदा राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने गुरुवार को बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि जब वे जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे तब उन्हें 300 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की पेशकश की गई थी। यह पेशकश 'अंबानी' और 'आरएसएस से संबद्ध व्यक्ति' की दो फाइलों को मंजूरी देने के एवज में दी जाना थी, लेकिन उन्होंने यह डील निरस्त कर दी। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उस वक्त पीएम ने उनसे कहा था कि वह भ्रष्टाचार से कोई समझौता ना करें।

राजस्थान के झुंझुनू में एक कार्यक्रम में मलिक ने कहा, 'कश्मीर जाने के बाद मेरे पास दो फाइलें आईं। एक अंबानी की फाइल थी और दूसरी आरएसएस से जुड़े एक शख्स की थी जो पिछली महबूबा मुफ्ती और बीजेपी की गठबंधन सरकार में मंत्री थे। वह पीएम मोदी के भी बेहद करीबी थे।' मलिक ने आगे कहा, 'मुझे सचिवों ने सूचना दी कि इसमें घोटाला और फिर मैंने बारी-बारी से दोनों डील रद्द कर दी। सचिवों ने मुझसे कहा कि दोनों फाइलों के लिए 150-150 करोड़ रुपये दिये जाएंगे। लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं पांच कुर्ता-पायजामे के साथ आया हूं और सिर्फ उसी के साथ यहां से चला जाऊंगा।'

मेघालय के मौजूदा राज्यपाल मलिक ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन का समर्थन भी किया और कहा कि यदि किसान आंदोलन जारी रहा तो वह पद छोड़कर किसानों के साथ खड़े होने को तैयार हैं। बताया जा रहा है कि सत्यपाल मलिक के इस बयान का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।

अनिल अंबानी की कंपनी का था मामला!

मलिक ने उक्त दो फाइलों के बारे में विस्तार से नहीं बताया, लेकिन समझा जाता है एक फाइल सरकारी कर्मचारियों, पेंशनरों व मान्यता प्राप्त पत्रकारों के हेल्थ इंश्यूरेंस की योजना से संबंधित थी। इसके लिए राज्य सरकार ने अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस जनरल इंश्यूरेंस से करार किया था। अक्तूबर 2018 में मलिक ने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के नाते रिलायंस जनरल इंश्यूरेंस से यह करार निरस्त कर दिया था,

क्योंकि कर्मचारियों की इस स्वास्थ्य बीमा योजना में कुछ गोलमाल था।

लिप्त लोगों ने लिया था पीएम का नाम, इसलिए उन्हें अवगत कराया

मलिक ने कहा कि ऐहतियात के तौर पर उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से वक्त लिया और उन्हें इन दो फाइलों के बारे में बताया, क्योंकि जो लोग इसमें शामिल थे, उन्होंने पीएम का नाम लिया था। मलिक ने बताया कि उन्होंने पीएम से सीधे कहा कि पद छोड़ने को तैयार हूं, लेकिन इन फाइलों को मंजूरी नहीं दूंगा। राज्यपाल मलिक ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि पीएम ने उनसे भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं करने बात कही।

कश्मीर सबसे भ्रष्ट राज्य, देश में चार फीसदी तो कश्मीर में 15 फीसदी कमीशन

मलिक ने आरोप लगाया कि देश में कश्मीर सबसे भ्रष्ट स्थान है। पूरे देश में चार से पांच फीसदी कमीशन मांगा जाता है, लेकिन कश्मीर में 15 फीसदी की मांग की जाती है। उन्होंने कहा कि उनके रहते हुए कश्मीर में भ्रष्टाचार को कोई बड़ा केस सामने नहीं आया। उन्होंने कहा, 'चूंकि मैं गरीब आदमी हूं, इसलिए देश के किसी भी ताकतवर आदमी से लड़ सकता हूं। रिटायर होने के बाद रहने के लिए घर भी नहीं है, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है।