- भारत,
- 19-Apr-2025 09:27 AM IST
US-China Tariff War: विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं – अमेरिका और चीन – के बीच लंबे समय से चला आ रहा टैरिफ युद्ध अब समाप्ति की ओर बढ़ता दिख रहा है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए संकेत दिए कि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता "बहुत अच्छी" चल रही है। उन्होंने यह स्पष्ट तो नहीं किया कि समझौता कब होगा, लेकिन यह जरूर कहा कि टैरिफ डील के बेहद करीब हैं।
इस सकारात्मक बयान ने वैश्विक बाजारों में उम्मीद की एक नई किरण जगा दी है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अगर अमेरिका और चीन के बीच यह बहुप्रतीक्षित समझौता होता है, तो इसका असर केवल दोनों देशों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक वित्तीय परिदृश्य पर भी व्यापक प्रभाव डालेगा।
शेयर बाजार में उत्साह, सोने में गिरावट!
टैरिफ डील की संभावना से शेयर बाजार में जोश की लहर है। निवेशकों को विश्वास है कि इससे वैश्विक व्यापार पर छाए अनिश्चितता के बादल छंटेंगे, जिससे बाजार में स्थिरता आएगी। वहीं, इसका विपरीत प्रभाव सेफ हेवन असेट्स, खासकर सोने पर पड़ सकता है।
सर्राफा बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि जब बाजार में स्थिरता आती है, तो निवेशक जोखिम वाले एसेट्स की ओर रुख करते हैं, जिससे सोने की मांग में गिरावट आती है। यदि अमेरिका-चीन टैरिफ वॉर का पटाक्षेप होता है, तो सोने में मुनाफावसूली हो सकती है और इसकी कीमतों में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है।
सोने की कीमतें कहां तक गिर सकती हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर टैरिफ वॉर खत्म होता है, तो सोने की कीमतें ₹83,700 प्रति 10 ग्राम तक गिर सकती हैं। वर्तमान में ₹89,700 के उच्च स्तर से यह गिरावट निवेशकों के लिए झटका हो सकती है। हालांकि, तकनीकी स्तर पर सोने को ₹89,700, ₹86,500 और ₹83,700 पर मजबूत समर्थन प्राप्त है, जिससे यह संभावना है कि सोने की कीमत इससे नीचे न जाए।
फिर भी क्यों बना हुआ है सोने का आकर्षण?
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में कमोडिटी और करेंसी हेड अनुज गुप्ता के अनुसार, वैश्विक स्तर पर बढ़ती महंगाई, भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अस्थिरता के चलते सोना अब भी निवेशकों के लिए एक भरोसेमंद विकल्प बना हुआ है। डॉलर की कमजोरी और अमेरिका में ब्याज दरों में संभावित कटौती भी सोने की कीमतों को सपोर्ट दे सकती है।
इसके अलावा, केंद्रीय बैंकों की मजबूत खरीदारी और गोल्ड ईटीएफ में निवेश का प्रवाह इस साल सोने को स्थायित्व देने में सहायक रहेगा। यह भी माना जा रहा है कि फेडरल रिजर्व आर्थिक मंदी से बचने के लिए दरों में कटौती कर सकता है, जो सोने के पक्ष में एक मजबूत कारक होगा।