कार्रवाई / भारतीयों को अवैध ऋण जाल में फंसाने वाले दो चीनी और 115 नेपाली गिरफ्तार, काठमांडो-भक्तपुर में पड़े छापे

नेपाल में चीन द्वारा स्थानीय युवकों का इस्तेमाल भारतीयों के खिलाफ कर्ज धोखाधड़ी के लिए भी किया जा रहा है। बुधवार को नेपाल की पुलिस ने भारतीयों को लक्ष्य बनाकर ऑनलाइन ऋण योजना चलाकर धोखाधड़ी के मामले में दो चीनी और 115 नेपाली नागरिकों की गिरफ्तार किया है। इस संबंध में नेपाल पुलिस ने काठमांडो घाटी के काठमांडो व भक्तपुर जिलों में सोमवार-मंगलवार को छापे डाले थे।

Vikrant Shekhawat : Feb 24, 2022, 11:41 AM
नेपाल में चीन द्वारा स्थानीय युवकों का इस्तेमाल भारतीयों के खिलाफ कर्ज धोखाधड़ी के लिए भी किया जा रहा है। बुधवार को नेपाल की पुलिस ने भारतीयों को लक्ष्य बनाकर ऑनलाइन ऋण योजना चलाकर धोखाधड़ी के मामले में दो चीनी और 115 नेपाली नागरिकों की गिरफ्तार किया है। इस संबंध में नेपाल पुलिस ने काठमांडो घाटी के काठमांडो व भक्तपुर जिलों में सोमवार-मंगलवार को छापे डाले थे।

पुलिस ने दो अलग-अलग छापों में जिन लोगों को गिरफ्तार किया है उन पर साइबर गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए काठमांडो मेट्रोपॉलिटन पुलिस रेंज ने सोमवार की रात 37 लोगों के एक समूह को पकड़ा जिसमें ओल्ड बनेश्वर से एक चीनी नागरिक चांग हू बाओ भी शामिल था।

चांग ने नेपाली युवाओं की मदद से भारतीयों को निशाना बनाकर अवैध व्यावसायिक गतिविधियां संचालित कीं। उसने राजधानी में व्यापारिक घरानों के लिए आईटी सेवाएं देने के लिए लेवान ग्रुप नामक कंपनी को आधिकारिक रूप से पंजीकृत भी किया था। इसके बाद पुलिस ने भक्तपुर जिले के सानो थिमी से एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया। यहां वांग जिनाओ नामक चीनी नागरिक समेत 80 नेपाली युवक गिरफ्तार किए गए। यहां से 48 लैपटॉप और 14 डेस्कटॉप पीसी भी जब्त किए गए।

धोखाधड़ी में लड़कियों का भी इस्तेमाल

नेपाल पुलिस ने काठमांडो से जिन नेपाली नागरिकों को गिरफ्तार किया उनमें 23 लड़के व 13 युवतियां शामिल थे। जबकि भक्तपुर में तीन मंजिला कार्यालय की इमारत पर हुई दूसरी छापेमारी में 47 लड़कियां और 32 लड़के गिरफ्तार किए गए। पुलिस ने बताया कि इन कार्यालयों में लड़कियों का भी धोखाधड़ी में इस्तेमाल किया गया।

खातों में चीन से ट्रांसफर की गई रकम

चीनी नागरिकों ने कथित तौर पर काठमांडो व भक्तपुर में डेढ़ माह पहले ही कारोबार शुरू किया था। यहां उन्होंने भारतीयों को 2.5 से 3.5 फीसदी ब्याज दरों के साथ ऑनलाइन अल्पकालिक ऋण देने की पेशकश की। बिना गारंटी कर्ज लेने वाले भारतीयों को राशन कार्ड व संपर्क नंबर की फोटो प्रतियां जमा करानी होती थीं। ब्याज सहित रकम न लौटाने पर नेपाली लड़के-लड़कियों को फोन पर धमकाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इन कर्मचारियों को 15,000 से 20,000 रुपये का मासिक वेतन दिया जाता था, जबकि चीनी अफसर लाखों की कमाई करते थे। वेतन तथा अन्य लाभ चीन से कर्मचारियों के खातों में ट्रांसफर किए गए।