टीना डाबी की दूसरी शादी / उम्र में 13 साल बड़े और घूसकांड के आरोपी हैं UPSC टॉपर के मंगेतर, जानिए प्रदीप गवांडे के बारे में सबकुछ

अक्सर अपनी निजी जिंदगी को लेकर चर्चा में रहने वालीं महिला अधिकारी आईएएस टीना डाबी एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। 2016 यूपीएससी बैच की टॉपर टीना डाबी दोबारा शादी रचाने जा रही हैं। उन्होंने प्रदीप गवांडे को अपना पति चुना है। दोनों ने सगाई कर ली है और इसकी जानकारी अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर साझा की है। ऐसे में जानते हैं प्रदीप गवांडे के बारे में सबकुछ, जिनसे टीना डाबी दूसरी शादी रचाने जा रही हैं...

Vikrant Shekhawat : Mar 29, 2022, 01:48 PM
अक्सर अपनी निजी जिंदगी को लेकर चर्चा में रहने वालीं महिला अधिकारी आईएएस टीना डाबी एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। 2016 यूपीएससी बैच की टॉपर टीना डाबी दोबारा शादी रचाने जा रही हैं। उन्होंने प्रदीप गवांडे को अपना पति चुना है। दोनों ने सगाई कर ली है और इसकी जानकारी अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर साझा की है। ऐसे में जानते हैं प्रदीप गवांडे के बारे में सबकुछ, जिनसे टीना डाबी दूसरी शादी रचाने जा रही हैं... 

राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी

महाराष्ट्र के रहने वाले प्रदीप गवांडे 2013 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। वह फिलहाल जयपुर में ही तैनात हैं और राजस्थान आर्कियोलॉजी एंड म्यूजियम डिपार्टमेंट में डायरेक्टर हैं। प्रदीप आईएएस अधिकारी टीना डाबी से तीन साल सीनियर हैं और उनकी भी यह दूसरी शादी है। 

उम्र में 13 साल बड़े हैं प्रदीप गवांडे

प्रदीप गवांडे  का जन्म नौ दिसंबर, 1980 को महाराष्ट्र में हुआ था। वह टीना डाबी से 13 साल बड़े हैं। टीना डाबी का जन्म नौ नवंबर 1993 को हुआ था। टीना ने 23 साल की उम्र में यूपीएसएसी टॉप किया था तो प्रदीप गवांडे आईएएस बनने से पहले एमबीबीएस डॉक्टर थे। वह राजस्थान के कई जिलों के कलेक्टर भी रह चुके हैं। 

रिश्वत कांड के रह चुके हैं आरोपी

प्रदीप गवांडे रिश्वत कांड के भी आरोपी रह चुके हैं। आरएसएलडीसी में एमडी रहते हुए रिश्वत केस में उनका नाम सामने आया था। एंटी करप्शन ब्यूरो ने उन पर केस भी दर्ज किया था। इसके अलावा आठ अन्य लोगों पर भी मामला दर्ज किया गया था। सितंबर, 2021 में एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने उनसे दो घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी। एसीबी की दर्ज एफआईआर के अनुसार अधिकारी पहले कौशल विकास योजनाएं चलाने वाले ट्रेनिंग सेंटर्स को ब्लैकलिस्ट करते थे, फिर उन्हें ब्लैकलिस्ट से हटाने के लिए सौदा किया जाता था।