Vikrant Shekhawat : Jun 19, 2023, 07:43 AM
Manipur Violence: मणिपुर में जारी हिंसा के बीच राज्य की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के उसके अपने ही सहयोगी अब सरकार के कामकाज और फैसले पर सवाल उठाने लगे हैं. मणिपुर में बीजेपी की सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने साफतौर पर कह दिया है कि अगर राज्य की एन बीरेन सिंह सरकार सुरक्षा और शांति को स्थापित करने में सक्षम नहीं होती है तो फिर गठबंधन में रहने का कोई फायदा नहीं है.इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एनपीपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व डिप्टी सीएम युमनाम जॉयकुमार ने कहा है, राज्य में अगर यही स्थिति बनी रहती है तो उनकी पार्टी को मौजूदा सरकार के साथ अपने समीकरणों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. पिछले दिनों कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने राज्य और केंद्र की सरकार पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील की थी.60 सीटों वाली विधानसभा में सात विधायकों के साथ एनपीपी मणिपुर की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. 2022 के विधानसभा चुनाव में एनपीपी सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरी थी हालांकि, बाद में सात विधायकों ने बीरेन सिंह सरकार को समर्थन देने का फैसला किया.पूर्व डिप्टी सीएम बोले- स्थिति बदतर होती जा रही हैबीजेपी के साथ अपने गठबंधन के सवाल पर पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा, राज्य में हिंसा शुरू हुई करीब डेढ़ महीने हो चुके हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ-साथ उनकी ओर से दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी होती है कि वो अपने लोगों की अच्छे से देखभाल करे.‘शांति सुनिश्चित नहीं करना सरकार की विफलता ही समझा जाएगा’उन्होंने आगे कहा, अगर राज्य सरकार अपने ही लोगों की सुरक्षा का ध्यान नहीं रख पा रही है और राज्य में शांति सुनिश्चित नहीं कर पा रही है तो इसे उनकी विफलता ही समझा जाएगा और यदि वे विफल हो गए हैं तो फिर उनके साथ रहने का कोई मतलब नहीं है. एनपीपी का सरकार का हिस्सा होने की वजह से हमारी भी बारबर की जिम्मेदारी बनती है. ऐसे में हम चुपचाप हाथ पर हाथ धरे तो नहीं बैठ सकते.जॉयकुमार ने कहा, आज के हालात देखिए, मंत्रियों के घर जलाए जा रहे हैं. दफ्तरों में तोड़फोड़ की जा रही है. स्थिति में यदि कोई सुधार नहीं हुआ तो हम इस सरकार के साथ अपने समीकरण पर पुनर्विचार और समीक्षा करने को विवश हो जाएंगे. उन्होंने इशारों-इशारों में कहा कि मेरा मतलब समर्थन वापस लेने से नहीं है (बल्कि सत्ता से हटाने के लिए). क्योंकि हमारे समर्थन के बिना भी बीजेपी सत्ता में बनी रह सकती है. बता दें कि जॉयकुमार पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं और 2007 से 2013 तक राज्य के डीजीपी भी रह चुके हैं.हिंसा की वारदात को अंजाम देने वाले उपद्रवी समूह केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आर के रंजन सिंह और मणिपुर की एकमात्र महिला मंत्री नेमचा किपगेन के आवास पर तोड़ फोड़ और आगजनी कर चुके हैं. इसके बाद हालात और भी तनावपूर्ण हो चुके हैं. संयोगवश आरके रंजन सिंह के घर जिस वक्त हमला हुआ, उस वक्त वो घर पर नहीं थे. करीब एक हजार से अधिक लोगों की भीड़ ने वहां आग लगा दी.
विद्रोहियों के पास कहां से आ रहे हथियार?हालात को देखते हुए पूरे राज्य में इंटरनेट सेवा पर रोक है. गुरुवार से पहले राज्य में मंगलवार को एक झड़प में एक महिला समेत नौ लोगों की मौत हो गई थी. उपद्रवियों ने ये हमला इंफाल पूर्व में खुंद्राकपम विधानसभा क्षेत्र के खमेनलोक इलाके में किया था. पुलिस के मुताबिक भारी हथियारों से लैस विद्रोहियों ने खमेनलोक गांव पर हमला किया था. जिसमें 25 लोग घायल हो गये थे.मंगलवार और गुरुवार के हमलों के बाद पुलिस ने उपद्रवियों के बारे में जो इनपुट दिया है उसने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. मणिपुर के विद्रोही समूहों के पास भारी मात्रा हथियार देखे जा रहे हैं. सवाल ये उठ रहे हैं कि इनके पास इतने हथियार आखिर कहां से आ रहे हैं? कौन है जो इनको बैकअप दे रहा है? क्योंकि बिना बैकअप के हिंसक आंदोलन इतने दिनों तक नहीं खिंच सकता.हिंसा के पीछे म्यांमार के रास्ते चीन की चाल?मणिपुर में बेलगाम हिंसा-आजगनी की वजह को समझने के लिए राज्य के बॉर्डर के हालात को समझना जरूरी है. कई लोगों ने हमले और हिंसा को लेकर म्यांमार स्थित विद्रोही शिविरों को जिम्मेदार ठहराया है. मणिपुर की सीमा म्यांंमार से मिलती है. बताया ये जा रहा है कि म्यांमार के रास्ते मणिपुर में हिसा फैलाई जा रही है. मणिपुरी विद्रोही इस पार हिंसा फैलाते हैं और म्यांमार सीमा के पार स्थित शिविरों में छुप जाते हैं.रक्षा सूत्रों के मुताबिक म्यांमार बॉ़र्डर की संवेदनशीलता को देखते हुए बॉर्डर पर सुरक्षा चौकस कर दी गई है. पूरे क्षेत्र की हवाई निगरानी की जा रही है. रक्षा विभाग इस बात पर भी नजर बनाये हुए है कि म्यांमार के रास्ते कहीं चीन तो नहीं अपनी चालबाजी को अंजाम दे रहा है?सुरक्षा एजेंसियां चौकस हैं. मानव रहित हवाई वाहन (UAV) और हेलीकॉप्टरों को न केवल भीतरी इलाकों में बल्कि भारत-म्यांमार सीमा पर भी निगरानी के लिए कार्रवाई में लगाया गया है. यह इसलिए ज्यादा अहम है क्योंकि मणिपुरी विद्रोही समूह म्यांमार सीमा के पार शिविरों में चले जा रहे हैं. चीन इस रास्ते हिंसा को हवा देता रहा है.म्यांमार पर डोरे डालता रहा है चीनफिलहाल म्यांमार से चीन के अच्छे संबंध हैं. दोनों देश 2129 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं. इनके बीच गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं. म्यांमार चीन की विस्तारवादी मंशा को समझता है लेकिन संबंधों को सामान्य बनाये रखने के लिए भी वह बाध्य है. म्यांमार की बाध्यता को चीन भारत के खिलाफ इस्तेमाल करता है.अब म्यांमार ने बंगाल की खाड़ी में कोको आइलैंड में निगरानी केंद्र बनाने के लिए चीन को परमीशन दे दी है. इसका सीधा मतलब भारत से है. चीन यहां के जरिए भारत के बालासोर टेस्ट रेंज पर निगाह रख सकता है. जानकारी के मुताबिक म्यांमार में चीन का भारी दबदबा है. पूरे हालात पर भारत की नजर है.अमित शाह के दौरे के बाद भी हिंसामणिपुर के हालात को देखते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी 29 मई को राज्य का दौरा किया था. और घोषणा की थी कि राज्य में कुकी और मैती समुदायों के बीच के सभी मुद्दों के हल करने के लिए एक शांति समिति का गठन किया जाएगा. उन्होंने हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात भी कही थी. लेकिन हालात बताते हैं इसका कोई असर नहीं हो सका.डेढ़ महीने बाद भी क्यों जारी है हिंसा ?कुकी और नागा राज्य की आबादी में 40 फीसदी हैं. उनका कहना है कि मैती समुदाय पहले से ही समृद्ध है, इसलिए उन्हें एसटी कटेगरी में शामिल नहीं किया जाना चाहिए. वहीं पूरे हालात को लेकर घाटियों में रहने वाले मैती समुदाय भी नाराज हैं क्योंकि उन्हें पहाड़ी क्षेत्रों में बसने या जमीन खरीदने का अधिकार नहीं है. जबकि आदिवासी घाटियों में जमीन खरीद सकते हैं.
विद्रोहियों के पास कहां से आ रहे हथियार?हालात को देखते हुए पूरे राज्य में इंटरनेट सेवा पर रोक है. गुरुवार से पहले राज्य में मंगलवार को एक झड़प में एक महिला समेत नौ लोगों की मौत हो गई थी. उपद्रवियों ने ये हमला इंफाल पूर्व में खुंद्राकपम विधानसभा क्षेत्र के खमेनलोक इलाके में किया था. पुलिस के मुताबिक भारी हथियारों से लैस विद्रोहियों ने खमेनलोक गांव पर हमला किया था. जिसमें 25 लोग घायल हो गये थे.मंगलवार और गुरुवार के हमलों के बाद पुलिस ने उपद्रवियों के बारे में जो इनपुट दिया है उसने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. मणिपुर के विद्रोही समूहों के पास भारी मात्रा हथियार देखे जा रहे हैं. सवाल ये उठ रहे हैं कि इनके पास इतने हथियार आखिर कहां से आ रहे हैं? कौन है जो इनको बैकअप दे रहा है? क्योंकि बिना बैकअप के हिंसक आंदोलन इतने दिनों तक नहीं खिंच सकता.हिंसा के पीछे म्यांमार के रास्ते चीन की चाल?मणिपुर में बेलगाम हिंसा-आजगनी की वजह को समझने के लिए राज्य के बॉर्डर के हालात को समझना जरूरी है. कई लोगों ने हमले और हिंसा को लेकर म्यांमार स्थित विद्रोही शिविरों को जिम्मेदार ठहराया है. मणिपुर की सीमा म्यांंमार से मिलती है. बताया ये जा रहा है कि म्यांमार के रास्ते मणिपुर में हिसा फैलाई जा रही है. मणिपुरी विद्रोही इस पार हिंसा फैलाते हैं और म्यांमार सीमा के पार स्थित शिविरों में छुप जाते हैं.रक्षा सूत्रों के मुताबिक म्यांमार बॉ़र्डर की संवेदनशीलता को देखते हुए बॉर्डर पर सुरक्षा चौकस कर दी गई है. पूरे क्षेत्र की हवाई निगरानी की जा रही है. रक्षा विभाग इस बात पर भी नजर बनाये हुए है कि म्यांमार के रास्ते कहीं चीन तो नहीं अपनी चालबाजी को अंजाम दे रहा है?सुरक्षा एजेंसियां चौकस हैं. मानव रहित हवाई वाहन (UAV) और हेलीकॉप्टरों को न केवल भीतरी इलाकों में बल्कि भारत-म्यांमार सीमा पर भी निगरानी के लिए कार्रवाई में लगाया गया है. यह इसलिए ज्यादा अहम है क्योंकि मणिपुरी विद्रोही समूह म्यांमार सीमा के पार शिविरों में चले जा रहे हैं. चीन इस रास्ते हिंसा को हवा देता रहा है.म्यांमार पर डोरे डालता रहा है चीनफिलहाल म्यांमार से चीन के अच्छे संबंध हैं. दोनों देश 2129 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं. इनके बीच गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं. म्यांमार चीन की विस्तारवादी मंशा को समझता है लेकिन संबंधों को सामान्य बनाये रखने के लिए भी वह बाध्य है. म्यांमार की बाध्यता को चीन भारत के खिलाफ इस्तेमाल करता है.अब म्यांमार ने बंगाल की खाड़ी में कोको आइलैंड में निगरानी केंद्र बनाने के लिए चीन को परमीशन दे दी है. इसका सीधा मतलब भारत से है. चीन यहां के जरिए भारत के बालासोर टेस्ट रेंज पर निगाह रख सकता है. जानकारी के मुताबिक म्यांमार में चीन का भारी दबदबा है. पूरे हालात पर भारत की नजर है.अमित शाह के दौरे के बाद भी हिंसामणिपुर के हालात को देखते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी 29 मई को राज्य का दौरा किया था. और घोषणा की थी कि राज्य में कुकी और मैती समुदायों के बीच के सभी मुद्दों के हल करने के लिए एक शांति समिति का गठन किया जाएगा. उन्होंने हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात भी कही थी. लेकिन हालात बताते हैं इसका कोई असर नहीं हो सका.डेढ़ महीने बाद भी क्यों जारी है हिंसा ?कुकी और नागा राज्य की आबादी में 40 फीसदी हैं. उनका कहना है कि मैती समुदाय पहले से ही समृद्ध है, इसलिए उन्हें एसटी कटेगरी में शामिल नहीं किया जाना चाहिए. वहीं पूरे हालात को लेकर घाटियों में रहने वाले मैती समुदाय भी नाराज हैं क्योंकि उन्हें पहाड़ी क्षेत्रों में बसने या जमीन खरीदने का अधिकार नहीं है. जबकि आदिवासी घाटियों में जमीन खरीद सकते हैं.