Zee News : Aug 10, 2020, 07:34 AM
नई दिल्ली: यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने देशभर के विश्वविद्यालयों को अंतिम वर्ष की परीक्षाएं 30 सितंबर तक आयोजित करवाने का निर्देश दिया था। इसके लिए दिशानिर्देश भी जारी कर दिए गए थे जिसका कई राज्य विरोध कर रहे हैं। यूजीसी के फैसले का 31 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर विरोध किया है। छात्रों की दलील है कि कोरोना संकट काल में हर जगह हर छात्र के लिए परीक्षाओं में शामिल हो पाना संभव नहीं है। इस मामले पर सोमवार को सुप्रीम में सुनवाई होनी है।
इधर, दिल्ली सरकार ने तो कोरोना संकट के चलते अपने सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की इस साल आयोजित न हो सकी परीक्षाओं को न करवाने का फैसला ले लिया है। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को सूचित किया है कि दिल्ली राज्य के विश्वविद्यालयों की ऑनलाइन और ऑफलाइन परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में गुरुवार को यूजीसी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि फाइनल ईयर की परिक्षाएं 30 सितंबर तक आयोजित करवाने का मकसद छात्रों का भविष्य संभालना है ताकि छात्रों की अगले साल की पढ़ाई में विलंब न आए और उनका समय बर्बाद न हो। साथ ही यूजीसी ने कहा था कि किसी को भी इस धारणा में नहीं रहना चाहिए कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा रोक दी है। छात्रों को अपनी पढ़ाई की तैयारी जारी रखनी चाहिए।सुनवाई में याचिकाकर्ता छात्रों के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि देश में बहुत से विश्विद्यालय में ऑनलाइन परीक्षा के लिए जरूरी सुविधा नहीं है। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑफलाइन का भी विकल्प है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि लेकिन बहुत से लोग स्थानीय हालात या बीमारी के चलते ऑफलाइन परीक्षा नहीं दे पाएंगे। उन्हें बाद में परीक्षा देने का विकल्प देने से और भ्रम फैलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट कमेटी की तरफ से लिए गए फैसले की कॉपी रिकॉर्ड पर रखने को कहा है और अगली सुनवाई के लिंए सेमव की तारीख लगाई थी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कोरोना को लेकर छात्रों के स्वास्थ्य के मद्देनजर परीक्षा आयोजित न करने की गुजारिश की गई है। याचिकाओं में 6 जुलाई को जारी किए गए यूजीसी दिशानिर्देशों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से निर्देश जारी करने की मांग की गई है। 6 जुलाई को यूजीसी के दिशानिर्देशों में सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने का निर्देश दिया गया था।केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विश्वविद्यालयों और संस्थानों द्वारा 6 जुलाई, 2020 को अधिसूचना जारी करते हुए परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी थी और विश्वविद्यालयों को यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया था।याचिकाकर्ताओं में COVID पॉजिटिव एक छात्र भी शामिल है, उसने कहा है कि ऐसे कई अंतिम वर्ष के छात्र हैं, जो या तो खुद या उनके परिवार के सदस्य COVID पॉजिटिव हैं। ऐसे छात्रों को 30 सितंबर, 2020 तक अंतिम वर्ष की परीक्षाओं में बैठने के लिए मजबूर करना, अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन के अधिकार का खुला उल्लंघन है।
इधर, दिल्ली सरकार ने तो कोरोना संकट के चलते अपने सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की इस साल आयोजित न हो सकी परीक्षाओं को न करवाने का फैसला ले लिया है। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को सूचित किया है कि दिल्ली राज्य के विश्वविद्यालयों की ऑनलाइन और ऑफलाइन परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में गुरुवार को यूजीसी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि फाइनल ईयर की परिक्षाएं 30 सितंबर तक आयोजित करवाने का मकसद छात्रों का भविष्य संभालना है ताकि छात्रों की अगले साल की पढ़ाई में विलंब न आए और उनका समय बर्बाद न हो। साथ ही यूजीसी ने कहा था कि किसी को भी इस धारणा में नहीं रहना चाहिए कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा रोक दी है। छात्रों को अपनी पढ़ाई की तैयारी जारी रखनी चाहिए।सुनवाई में याचिकाकर्ता छात्रों के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि देश में बहुत से विश्विद्यालय में ऑनलाइन परीक्षा के लिए जरूरी सुविधा नहीं है। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑफलाइन का भी विकल्प है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि लेकिन बहुत से लोग स्थानीय हालात या बीमारी के चलते ऑफलाइन परीक्षा नहीं दे पाएंगे। उन्हें बाद में परीक्षा देने का विकल्प देने से और भ्रम फैलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट कमेटी की तरफ से लिए गए फैसले की कॉपी रिकॉर्ड पर रखने को कहा है और अगली सुनवाई के लिंए सेमव की तारीख लगाई थी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कोरोना को लेकर छात्रों के स्वास्थ्य के मद्देनजर परीक्षा आयोजित न करने की गुजारिश की गई है। याचिकाओं में 6 जुलाई को जारी किए गए यूजीसी दिशानिर्देशों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से निर्देश जारी करने की मांग की गई है। 6 जुलाई को यूजीसी के दिशानिर्देशों में सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने का निर्देश दिया गया था।केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विश्वविद्यालयों और संस्थानों द्वारा 6 जुलाई, 2020 को अधिसूचना जारी करते हुए परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी थी और विश्वविद्यालयों को यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया था।याचिकाकर्ताओं में COVID पॉजिटिव एक छात्र भी शामिल है, उसने कहा है कि ऐसे कई अंतिम वर्ष के छात्र हैं, जो या तो खुद या उनके परिवार के सदस्य COVID पॉजिटिव हैं। ऐसे छात्रों को 30 सितंबर, 2020 तक अंतिम वर्ष की परीक्षाओं में बैठने के लिए मजबूर करना, अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन के अधिकार का खुला उल्लंघन है।