News18 : Aug 04, 2020, 09:43 AM
नई दिल्ली। भारत को रक्षा क्षेत्र, एयरोस्पेस और नेवल शिपबिल्डिंग सेक्टर में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने 'आत्मनिर्भरत भारत' पैकेज के तहत कई ऐलान किए। सरकार ने देश में रक्षा विनिर्माण से 2025 तक 1।75 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का लक्ष्य रखा है। सरकार का मानना है कि इस क्षेत्र में कोविड-19 (Covid-19) के चलते कई चुनौतियों से जूझ रही पूरी अर्थव्यवस्था में फिर से जान फूंकने की जरूरत है। रक्षा मंत्रालय ने देश में रक्षा विनिर्माण के लिए ‘रक्षा उत्पादन एवं निर्यात संवर्द्धन नीति 2020’ का मसौदा रखा है।
अगले पांच के लिए तय किया लक्ष्य-नए तय किये गए लक्ष्य के मुताबिक़ 2025 तक एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं और सेवाओं में 35 हजार करोड़ रुपये के निर्यात सहित 1,75,000 करोड़ रुपये का कारोबार हासिल करना है। इसके अलावा गुणवत्ता वाले उत्पादों के साथ सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एयरोस्पेस और नौसेना जहाज निर्माण उद्योग सहित एक गतिशील, मजबूत और प्रतिस्पर्धी रक्षा उद्योग विकसित करने का भी लक्ष्य रखा गया है।सरकार ने नए मसौदे में दूसरे देशों से हथियारों का आयात करने के बजाय घरेलू डिजाइन और विकास के माध्यम से 'मेक इन इंडिया' पहल को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है। मसौदे में कहा गया है कि घरेलू रक्षा उत्पादन बढ़ने से दूसरे देशों में निर्यात को बढ़ावा मिलने के साथ ही वैश्विक स्तर पर भारत हथियारों के दामों की प्रतिस्पर्धा में शामिल हो सकेगा।अधिकारियों ने कहा कि नीति का लक्ष्य एक गतिशील, वृद्धिपरक और प्रतिस्पर्धी रक्षा उद्योग को विकसित करना है। इसमें लड़ाकू विमानों के विनिर्माण से लेकर जंगी जहाज बनाना भी शामिल है जो देश के सशस्त्र बलों की जरूरत को पूरा करने में सक्षम हो। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में रक्षा क्षेत्र से जुड़े कई सुधारों की घोषणा की थी। इसमें स्वदेश निर्मित सैन्य उत्पादों की खरीद के लिए अलग से बजटीय आवंटन भी शामिल था। साथ ही रक्षा क्षेत्र में स्वत: मंजूरी मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर चौहत्तर प्रतिशत भी किया गया।
तीन सबसे बड़े रक्षा उत्पाद आयातकों में भारत-सीतारमण ने सालाना आधार पर ऐसे हथियारों की प्रतिबंधित सूची बनाने की भी घोषणा की थी जिनके आयात की अनुमति नहीं होगी। भारत वैश्विक रक्षा उत्पाद कंपनियों के लिए पसंदीदा बाजार है, क्योंकि पिछले आठ साल से भारत दुनिया के तीन सबसे बड़े रक्षा उत्पाद आयातकों में बना हुआ है। अगले पांच साल में भारतीय रक्षा बलों के सैन्य उत्पादों पर करीब 130 अरब डॉलर खर्च करने का अनुमान है। रक्षा उत्पादन एवं निर्यात सवंर्द्धन नीति के मसौदे में आयात पर निर्भरता कम करने और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को आगे बढ़ाते हुए घरेलू स्तर पर उत्पादों को डिजाइन और विकसित करने की रुपरेखा भी पेश की गयी है।
अगले पांच के लिए तय किया लक्ष्य-नए तय किये गए लक्ष्य के मुताबिक़ 2025 तक एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं और सेवाओं में 35 हजार करोड़ रुपये के निर्यात सहित 1,75,000 करोड़ रुपये का कारोबार हासिल करना है। इसके अलावा गुणवत्ता वाले उत्पादों के साथ सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एयरोस्पेस और नौसेना जहाज निर्माण उद्योग सहित एक गतिशील, मजबूत और प्रतिस्पर्धी रक्षा उद्योग विकसित करने का भी लक्ष्य रखा गया है।सरकार ने नए मसौदे में दूसरे देशों से हथियारों का आयात करने के बजाय घरेलू डिजाइन और विकास के माध्यम से 'मेक इन इंडिया' पहल को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है। मसौदे में कहा गया है कि घरेलू रक्षा उत्पादन बढ़ने से दूसरे देशों में निर्यात को बढ़ावा मिलने के साथ ही वैश्विक स्तर पर भारत हथियारों के दामों की प्रतिस्पर्धा में शामिल हो सकेगा।अधिकारियों ने कहा कि नीति का लक्ष्य एक गतिशील, वृद्धिपरक और प्रतिस्पर्धी रक्षा उद्योग को विकसित करना है। इसमें लड़ाकू विमानों के विनिर्माण से लेकर जंगी जहाज बनाना भी शामिल है जो देश के सशस्त्र बलों की जरूरत को पूरा करने में सक्षम हो। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में रक्षा क्षेत्र से जुड़े कई सुधारों की घोषणा की थी। इसमें स्वदेश निर्मित सैन्य उत्पादों की खरीद के लिए अलग से बजटीय आवंटन भी शामिल था। साथ ही रक्षा क्षेत्र में स्वत: मंजूरी मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर चौहत्तर प्रतिशत भी किया गया।
तीन सबसे बड़े रक्षा उत्पाद आयातकों में भारत-सीतारमण ने सालाना आधार पर ऐसे हथियारों की प्रतिबंधित सूची बनाने की भी घोषणा की थी जिनके आयात की अनुमति नहीं होगी। भारत वैश्विक रक्षा उत्पाद कंपनियों के लिए पसंदीदा बाजार है, क्योंकि पिछले आठ साल से भारत दुनिया के तीन सबसे बड़े रक्षा उत्पाद आयातकों में बना हुआ है। अगले पांच साल में भारतीय रक्षा बलों के सैन्य उत्पादों पर करीब 130 अरब डॉलर खर्च करने का अनुमान है। रक्षा उत्पादन एवं निर्यात सवंर्द्धन नीति के मसौदे में आयात पर निर्भरता कम करने और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को आगे बढ़ाते हुए घरेलू स्तर पर उत्पादों को डिजाइन और विकसित करने की रुपरेखा भी पेश की गयी है।