Zee News : Aug 28, 2020, 05:04 PM
नई दिल्ली: फ्रांस (France) से आए 5 राफेल लड़ाकू विमान (5 Rafale, fighter aircraft) 10 सितंबर को औपचारिक रूप से एयरफोर्स में शामिल किए जाएंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) की मौजूदगी में हरियाणा के अंबाला एयरबेस (Ambala Airbase) में एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय वायु सेना (IAF) में शामिल किया जायेगा। इस कार्यक्रम के लिए फ्रांस के रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पैली (French Defense Minister Florence Paley) को भी आमंत्रित किया जाएगा।
रूस में रक्षा मंत्रियों की मीटिंग में शामिल होंगे राजनाथ रक्षा सूत्रों ने बताया कि यह समारोह रूस से रक्षा मंत्री की वापसी के बाद आयोजित किया जाएगा। राजनाथ सिंह रूस में 4 से 6 सितंबर तक शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने वाले हैं। सूत्र ने कहा, 'राफेल विमान को वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल करने वाला समारोह 10 सितंबर को आयोजित किया जाएगा। भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक दोस्ती को चिह्नित करने के लिए फ्रांस के रक्षा मंत्री को इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए निमंत्रण भी भेजा जा रहा है।'
5 राफेल 29 जुलाई को फ्रांस से भारत आये बता दें कि पांच राफेल लड़ाकू विमान 29 जुलाई को फ्रांस से भारत पहुंचे और देश में 24 घंटों के भीतर व्यापक प्रशिक्षण शुरू कर दिया। ये फ्रांसीसी लड़ाकू विमान वायु सेना के 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन (17 Golden Arrow Squadron) का हिस्सा हैं। लड़ाकू विमान पहले ही लद्दाख क्षेत्र में उड़ान भर चुके हैं। वे उस इलाके से परिचित हैं, जिस पर उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में उड़ान भरनी है। देश में जो पांच राफेल पहुंचे हैं उनमें तीन एक सीट वाले हैं और दो में दो सीट लगे हैं।
हवा से हवा में, हवा से जमीन पर युद्ध करने वाला विमान राफेल में हवा से हवा में, हवा से जमीन पर मार करने की क्षमता है। राफेल में लगे हैमर मिसाइल (Hammer Missile) भारतीय वायु सेना को अपने पारंपरिक विरोधी चीन और पाकिस्तान पर दक्षिण एशियाई आसमान में लंबी दूरी से मारने की क्षमता के कारण बढ़त मिलने की उम्मीद है। आपको भता दें कि भारत करीब 60,000 करोड़ रुपये की लागत से फ्रांस से 36 राफेल खरीदने का अनुबंध किया है, जिसमें से अधिकांश भुगतान पहले से ही फ्रांसीसी फर्म डसॉल्ट एविएशन को किए गए हैं। मनोहर पर्रिकर ने किया था करारगौरतलब है कि 2016 में रक्षा मंत्री रहते हुए मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) ने इस करार पर साइन किया है। इसके बाद 2018-2019 में तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण (Defense Minister Nirmala Sitharaman) ने विपक्ष के द्वारा इस सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों का करारा जवाब दी थीं। रक्षा मंत्री बनने के बाद राजनाथ सिंह ने दशहरा के अवसर पर अक्टूबर 2019 में भारत के लिए पहला राफेल लेने फ्रांस गए। इस दौरान उन्होंने पारंपरिक अनुष्ठान के साथ पूजा की और बाद में विमान में उड़ान भी भरी। आपको बता दें कि भारत को अगले 10-12 वर्षों में विभिन्न प्रकार के 300 से अधिक लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है, जो भारतीय और विदेशी दोनों स्रोतों से मिलने की योजना है। भारत-चीन सीमा विवाद के बाद राफेल के भारत आने से 'शक्ति प्रदर्शन' को ताकत मिली है। (इनपुट एएनआई)
रूस में रक्षा मंत्रियों की मीटिंग में शामिल होंगे राजनाथ रक्षा सूत्रों ने बताया कि यह समारोह रूस से रक्षा मंत्री की वापसी के बाद आयोजित किया जाएगा। राजनाथ सिंह रूस में 4 से 6 सितंबर तक शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने वाले हैं। सूत्र ने कहा, 'राफेल विमान को वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल करने वाला समारोह 10 सितंबर को आयोजित किया जाएगा। भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक दोस्ती को चिह्नित करने के लिए फ्रांस के रक्षा मंत्री को इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए निमंत्रण भी भेजा जा रहा है।'
5 राफेल 29 जुलाई को फ्रांस से भारत आये बता दें कि पांच राफेल लड़ाकू विमान 29 जुलाई को फ्रांस से भारत पहुंचे और देश में 24 घंटों के भीतर व्यापक प्रशिक्षण शुरू कर दिया। ये फ्रांसीसी लड़ाकू विमान वायु सेना के 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन (17 Golden Arrow Squadron) का हिस्सा हैं। लड़ाकू विमान पहले ही लद्दाख क्षेत्र में उड़ान भर चुके हैं। वे उस इलाके से परिचित हैं, जिस पर उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में उड़ान भरनी है। देश में जो पांच राफेल पहुंचे हैं उनमें तीन एक सीट वाले हैं और दो में दो सीट लगे हैं।
हवा से हवा में, हवा से जमीन पर युद्ध करने वाला विमान राफेल में हवा से हवा में, हवा से जमीन पर मार करने की क्षमता है। राफेल में लगे हैमर मिसाइल (Hammer Missile) भारतीय वायु सेना को अपने पारंपरिक विरोधी चीन और पाकिस्तान पर दक्षिण एशियाई आसमान में लंबी दूरी से मारने की क्षमता के कारण बढ़त मिलने की उम्मीद है। आपको भता दें कि भारत करीब 60,000 करोड़ रुपये की लागत से फ्रांस से 36 राफेल खरीदने का अनुबंध किया है, जिसमें से अधिकांश भुगतान पहले से ही फ्रांसीसी फर्म डसॉल्ट एविएशन को किए गए हैं। मनोहर पर्रिकर ने किया था करारगौरतलब है कि 2016 में रक्षा मंत्री रहते हुए मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) ने इस करार पर साइन किया है। इसके बाद 2018-2019 में तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण (Defense Minister Nirmala Sitharaman) ने विपक्ष के द्वारा इस सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों का करारा जवाब दी थीं। रक्षा मंत्री बनने के बाद राजनाथ सिंह ने दशहरा के अवसर पर अक्टूबर 2019 में भारत के लिए पहला राफेल लेने फ्रांस गए। इस दौरान उन्होंने पारंपरिक अनुष्ठान के साथ पूजा की और बाद में विमान में उड़ान भी भरी। आपको बता दें कि भारत को अगले 10-12 वर्षों में विभिन्न प्रकार के 300 से अधिक लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है, जो भारतीय और विदेशी दोनों स्रोतों से मिलने की योजना है। भारत-चीन सीमा विवाद के बाद राफेल के भारत आने से 'शक्ति प्रदर्शन' को ताकत मिली है। (इनपुट एएनआई)