Live Hindustan : Dec 11, 2019, 05:24 PM
श्रीहरिकोटा, ISRO ने पीएसएलवी-सी 48 रॉकेट को भारत के पृथ्वी निगरानी उपग्रह रिसैट-2बीआर1 और नौ विदेशी उपग्रहों के साथ श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया। इमेजिंग सैटेलाइट सीमाओं की निगरानी में सेना के लिए भी मददगार साबित हो सकता है।सेना को मिलेगी विशेष मदद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) का रीसैट-2बीआर1 इतना ताकतवर निगरानी कैमरा उपग्रह है कि यह बादलों के ऊपर से भी उच्च गुणवत्ता की साफ तस्वीरें ले सकता है। यह इमेजिंग उपग्रह एक्स-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार से लैस है जो कि रक्षा उपयोग के लिए सबसे अनुकूल है। यह दिन और रात के साथ ही सभी मौसम में प्रभावी ढंग से काम कर सकता है। सीमाओं की निगरानी में भी इसका बेहतर उपयोग हो सकता है। हालांकि, इसका मुख्य उद्देश्य कृषि, वन क्षेत्र और आपदा प्रबंधन कार्यों की निगरानी है। रॉकेट सभी 10 उपग्रहों को 576 किलोमीटर ऊपर स्थित अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करेगा।मील के पत्थर- 75वां मिशन छोड़ा जाएगा श्रीहरिकोटा केंद्र से- 50वीं उड़ान होगी पीएसएलवी रॉकेट की- 37वां प्रक्षेपण होगा फर्स्ट लॉन्च पैड से- 06वां प्रक्षेपण इसरो द्वारा 2019 मेंक्या है रीसैट-2बीआर1 सैटेलाइट रीसैट-2बीआर1 इसरो के द्वारा तैयार एक राडार इमेजिंग अर्थ ऑर्ब्जवेशन सैटेलाइट है। 628 किेलोग्राम वजनी इस सैटेलाइट की मिशन अवधि 05 वर्ष की होगी।इन क्षेत्रों में होगा मुख्य प्रयोग :- कृषि- वन- आपदा प्रबंधन- रक्षानौ विदेशी सैटेलाइट भी मिशन के साथ नौ विदेशी सैटेलाइट भी अतंरिक्ष में भेजे जा रहे हैं। इनमें जापान, इटली और इजरायल के एक-एक सैटेलाइट हैं। जबकि छह सैटेलाइट अमेरिका के हैं। इसके इसरो की व्यावसायिक कंपनी न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के साथ करार किए गए हैं।किसके कौनसे सैटेलाइट - जापान : राडार इमेजिंग अर्थ ऑर्ब्जवेशन सैटेलाइट- इटली : खोज एवं बचाव उपग्रह- इजरायल : रिमोट सेंसिंग (दूरसंवेदी उपग्रह)- अमेरिका : तकनीक प्रदर्शन, अर्थ इमेजिंग और चार बहुउद्देशीय रिमोट सेंसिंग (दूरसंवेदी उपग्रह)