AajTak : Sep 19, 2020, 05:17 PM
मॉनसून सत्र: लॉकडाउन के दौरान कितने प्रवासी मजदूरों की जान गई? सोमवार से शुरू संसद के मॉनसून सत्र में विपक्ष ने इस सवाल को लेकर सरकार को घेरा। बवाल तब और अधिक बढ़ गया जब केंद्र सरकार की तरफ से जवाब आया कि इस संबंध में उनके पास कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। जिसके बाद शुक्रवार को एक बार फिर से सरकार से सवाल किया गया कि लॉकडाउन के दौरान श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में कितने लोगों की जान गई। सरकार ने राज्यसभा में इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि 9 सितंबर तक कुल 97 लोगों की जान गई है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ'ब्रायन की ओर से राज्यसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में रेलमंत्री पीयूष गोयल ने बताया, ''9 सितंबर तक कुल 97 लोगों की जान गई है। इन 97 मौतों में से 87 डेड बॉडीज को राज्य पुलिस ने पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। संबंधित राज्यों पुलिसों से अब तक 51 पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट हासिल हुए हैं। इनमें मौतों की वजह कार्डिएक अरेस्ट, दिल की बीमारी, ब्रेन हेमरेज, लंग और लीवर डिजीज बताया गया है।'इससे पहले मई महीने में 80 श्रमिक मजदूरों के मौत की रिपोर्ट सामने आई थी। रेलवे प्रोटेक्शन पुलिस के हवाले से बताया गया था कि 9 मई से 27 मई के बीच श्रमिक स्पेशल ट्रेन के अंदर 80 लोगों की जान गई थी। बता दें, कोरोना वायरस संकट के बाद जब देश में लॉकडाउन लगा था, तो प्रवासी मजदूरों पर काफी असर हुआ था। लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर सड़कों पर थे, इस दौरान कई लोगों की मौत की खबर भी सामने आई थी। इसी मसले को लेकर सोमवार को संसद में सवाल पूछा गया था कि लॉकडाउन के दौरान हजारों मजदूरों की मौत हुई है, क्या सरकार के पास कोई आधिकारिक आंकड़ा है। इस पर सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि उनके पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है। सरकार की ओर से ये भी जवाब दिया गया कि लॉकडाउन में करीब 80 करोड़ लोगों को अतिरिक्त राशन दिया गया है, ये प्रक्रिया नवंबर तक जारी रहेगी।