Dainik Bhaskar : May 23, 2019, 11:52 AM
ज्योति मिर्धा के परिवार का कभी इस सीट पर रहा है दबदबाअजमेर में कांग्रेस के रिज्जू झुंझुनवाला और भाजपा के भागीरथ चौधरी के बीच मुकाबलाअजमेर। अजमेर और नागौर सीट में सुबह 8 बजे मतगणना जारी है। यहां अजमेर से भाजाप भागीरथ चौधरी आगे चल रहे हैं। वहीं, नागौर से भाजापा के साथ गणबंधन में रालोपा के हनुमान बेनिवाल आगे हैं। नागौर हॉट सीट है। कांग्रेस ने इस सीट से मिर्धा परिवार की बेटी ज्योति मिर्धा को मैदान में उतारा है। दूसरी तरफ अजमेर में कांग्रेस के रिज्जू झुंझुनवाला और भाजपा के भागीरथ चौधरी के बीच मुकाबला है। पहले रुझाान में भाजपा को बढ़त मिली है।अजमेर
अजमेर सीट की सबसे ज्यादा चर्चा 2009 लोकसभा चुनाव में रही। जब कांग्रेस के दिग्गज नेता राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट ने यहां से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद 2014 में मोदी लहर में सचिन पायलट इसी सीट से हार गए। भाजपा के सांवर लाल जाट सांसद चुने गए। हालांकि, आजादी के बाद से ही ये सीट कांग्रेस के खाते में जाती रही थी। 1975 में आपातकाल के बाद 1977 के चुनाव में ये सीट कांग्रेस के हाथ से फिसलकर भारतीय लोक दल के खाते में चली गई। इसके बाद लगातार दो बार फिर से कांग्रेस का इस सीट पर दबदबा रहा।
नागौर
राजस्थान में मारवाड़ की राजनीति में आजादी के पहले से ही मिर्धा परिवार का वर्चस्व रहा। बलदेव राम मिर्धा के बेटे रामनिवास मिर्धा और उनके ही परिवार के नाथूराम मिर्धा का यहां की राजनीति में लगभग 6 दशक तक प्रभुत्व रहा, लेकिन धीरे-धीरे मिर्धा परिवार का असर कम होने लगा। अब नई पीढ़ी अपनी इस राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए संघर्ष करती नजर आ रही है। पिछले कुछ समय से दो प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा के बीच नए खिलाड़ी के तौर पर हनुमान बेनीवाल उभरे हैं।
1984 में इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला। मिर्धा परिवार के दो कद्दावर नेता रामनिवास मिर्धा और नाथूराम मिर्धा एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए। इस चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर रामनिवास मिर्धा ने भारतीय लोकदल से उम्मीदवार नाथूराम मिर्धा को शिकस्त दी। भाजपा का तो खाता ही यहां साल 2004 के चुनाव में खुला। तब भाजपा के भंवर सिंह डांगावास ने कांग्रेस के रामरघुनाथ चौधरी को हराकर यह सीट जीती। इसके बाद पिछले चुनाव में मोदी लहर में सीआर चौधरी यहां से चुनाव जीते। देश भर में मोदी के नाम व चेहरे पर वोट मांगने वाली भाजपा ने नागौर सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के हनुमान बेनीवाल पर दांव खेला है। बेनीवाल का मुकाबला कांग्रेस की ज्योति मिर्धा से है।
अजमेर सीट की सबसे ज्यादा चर्चा 2009 लोकसभा चुनाव में रही। जब कांग्रेस के दिग्गज नेता राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट ने यहां से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद 2014 में मोदी लहर में सचिन पायलट इसी सीट से हार गए। भाजपा के सांवर लाल जाट सांसद चुने गए। हालांकि, आजादी के बाद से ही ये सीट कांग्रेस के खाते में जाती रही थी। 1975 में आपातकाल के बाद 1977 के चुनाव में ये सीट कांग्रेस के हाथ से फिसलकर भारतीय लोक दल के खाते में चली गई। इसके बाद लगातार दो बार फिर से कांग्रेस का इस सीट पर दबदबा रहा।
नागौर
राजस्थान में मारवाड़ की राजनीति में आजादी के पहले से ही मिर्धा परिवार का वर्चस्व रहा। बलदेव राम मिर्धा के बेटे रामनिवास मिर्धा और उनके ही परिवार के नाथूराम मिर्धा का यहां की राजनीति में लगभग 6 दशक तक प्रभुत्व रहा, लेकिन धीरे-धीरे मिर्धा परिवार का असर कम होने लगा। अब नई पीढ़ी अपनी इस राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए संघर्ष करती नजर आ रही है। पिछले कुछ समय से दो प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा के बीच नए खिलाड़ी के तौर पर हनुमान बेनीवाल उभरे हैं।
1984 में इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला। मिर्धा परिवार के दो कद्दावर नेता रामनिवास मिर्धा और नाथूराम मिर्धा एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए। इस चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर रामनिवास मिर्धा ने भारतीय लोकदल से उम्मीदवार नाथूराम मिर्धा को शिकस्त दी। भाजपा का तो खाता ही यहां साल 2004 के चुनाव में खुला। तब भाजपा के भंवर सिंह डांगावास ने कांग्रेस के रामरघुनाथ चौधरी को हराकर यह सीट जीती। इसके बाद पिछले चुनाव में मोदी लहर में सीआर चौधरी यहां से चुनाव जीते। देश भर में मोदी के नाम व चेहरे पर वोट मांगने वाली भाजपा ने नागौर सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के हनुमान बेनीवाल पर दांव खेला है। बेनीवाल का मुकाबला कांग्रेस की ज्योति मिर्धा से है।