Vikrant Shekhawat : Oct 11, 2019, 07:33 PM
पाली | अंग्रेजी का एक शिक्षक था, जो मायड़ भाषा राजस्थानी मारवाड़ी में जब मीठे गीत प्रस्तुत करता तो सरकारी सिस्टम में मृत सदृश होती जा रही आंचलिक कविता जी उठतीं और वहां मौजूद श्रोताओं का संवाद अपनी मिट्टी से करवाती। बात कर रहे हैं राजस्थानी मीठे गीतों के गीतकार अमरसिंह राजपुरोहित चाड़वास की, जिनका लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया।
राजस्थानी भाषा में गीत जैसी विधा को अपनी मधुर वाणी से मिश्री घोलकर काव्यपाठ करने वाले गीतकार अमरसिंह राजपुरोहित बीमारी के चलते बीते कुछ समय से मंचों से दूर थे। बाड़मेर के युवा रणजीतसिंह राजपुरोहित ने बताया कि राजस्थानी भाषा रा मानिता कवि, गीतकार अमरसिंहजी राजपुरोहित, चाड़वास रै निधन री दुखद खबर मिली। घणै दुख री बात, आज मायड़ भाषा रौ एक अनमोल हीरो आपाँ खो दियो।
बचपन से ही प्रतिभाशाली थे राजपुरोहित
पाली जिले के चाड़वास गांव मे जन्मे अमरसिंहजी बचपन से ही प्रतिभाशाली रहे, आप सरकारी सेवा में शिक्षक पद को सुशोभित करते हुए अंग्रेजी लेक्चरर पद से सेवानिवृत्त हुए। हालांकि आप अंग्रेजी विषय के विशेषज्ञ शिक्षक रहे, लेकिन मायड़ भाषा से अथाह लगाव के चलते आपकी काव्य साधना मायड़ राजस्थानी को गौरवान्वित करती रही। आप अच्छे वक्ता, सफल मंच संचालक, कवि और उम्दा गीतकार थे, आपके काव्यपाठ आकाशवाणी जोधपुर सहित कई जगहों से प्रसारित होते रहे।
आपकी दो पुस्तकें इन्दर नै औलमौ और प्रजातंत्र री पीड़ भी प्रकाशित हो चुकी है। आपकी लोकप्रिय कविताओं में..
★आज इन्दर नै औलमौ धरती रौ धीरज टूटो है
★ इण माटी में हालरियौ ,
★बण कंगूरा माळिया चढ़ जावणौ सोरो घणौं
★कंसो रौ वधगो वंश कन्हैया आओ ले अवतार
★कदै तक सूतो रैवैला
★किण नै सुणांऊ मारौ मन रौ दुखड़ौ
★मूमल रो मुकलावो
★जालकिया रा पीलू आदि प्रमुख है ।
देश भर मेंं कवि मंचों पर अमरसिंह राजपुरोहित मायड़ प्रेमियों के खासे पसंदीदा और लोकप्रिय शख्सियत रहे। आपके काव्यपाठ श्रोताओं को झूमने के लिए मजबूर करते थे।