Vikrant Shekhawat : Jul 19, 2021, 04:29 PM
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार 24 जुलाई की देर रात साढ़े 12 बजे अंतरिक्ष से एक बड़ी मुसीबत धरती की कक्षा की ओर आ रही है। बिग बेन जितना बड़ा एस्टेरॉयड 8 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती के पास से गुजरेगा। इस एस्टेरॉयड का नाम '2008 GO20' है। इसकी गति ही इसके सामने आने वाले किसी ग्रह या वस्तु पर तबाही लाने के लिए काफी है।
नासा के मुताबिक '2008 GO20' नाम का ये एस्टेरॉयड 220 मीटर चौड़ा है। ये धरती से करीब 2870847।607 km की दूरी से निकलेगा। ये दूरी धरती से चांद की दूरी से करीब 8 गुना ज्यादा है। इसकी रफ्तार 8 किमी प्रति सेकंड की है।बेवसाइट डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार इस एस्टेरॉयड के धरती से टकराने की आशंका 'बहुत ही कम' है। इस एस्टेरॉयड का आकार लगभग चीन के बर्ड नेस्ट स्टेडियम के बराबर है। जिस कक्षा से यह एस्टेरॉयड गुजरेगा, उसे अपोलो कहा जाता है। नासा ने इसे खतरनाक एस्टेरॉयड की श्रेणी में रखा है। बताया गया है कि इससे पहले धरती की कक्षा से एस्टेरॉयड 2020 PMZ गुजरा था, जो सैन फ्रांसिस्को के गोल्डन गेट ब्रिज जितना लंबा था। ये एस्टेरॉयड करीब 18 लाख मील की दूरी से धरती के बगल से निकला था। अब अगले शनिवार को धरती की कक्षा से गुजरने वाला '2008 GO20' एस्टेरॉयड, 2020 PMZ की तुलना में ज्यादा आगे से निकलेगा। बता दें नासा इन दिनों दो हजार एस्टेरॉयड पर लगातार नजर रखे हुए है, जो धरती के लिए खतरा बन सकते हैं।बता दें आखिर क्यों सुरक्षित कक्षा में घूमते हुए एस्टेरॉयड अचानक धरती की ओर अपना रुख कर लेते हैं। स्पेस डॉट कॉम के मुताबिक, होता ये है कि जब अंतरिक्ष में घूमने वाला कोई पत्थर सूरज की गर्मी से अपने रास्ते में थोड़ा बदलाव करता है, तो उसे यार्कोवस्की प्रभाव कहते हैं।इस प्रभाव के तहत एस्टेरॉयड की दिशा और गति बदल जाती है। कई बार यह कम हो जाती है। कई बार यह तेज हो जाती है। यह तेजी अंतरिक्ष में उस एस्टेरॉयड की तरफ आने वाली वस्तुओं के लिए खतरनाक होती है।
नासा के मुताबिक '2008 GO20' नाम का ये एस्टेरॉयड 220 मीटर चौड़ा है। ये धरती से करीब 2870847।607 km की दूरी से निकलेगा। ये दूरी धरती से चांद की दूरी से करीब 8 गुना ज्यादा है। इसकी रफ्तार 8 किमी प्रति सेकंड की है।बेवसाइट डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार इस एस्टेरॉयड के धरती से टकराने की आशंका 'बहुत ही कम' है। इस एस्टेरॉयड का आकार लगभग चीन के बर्ड नेस्ट स्टेडियम के बराबर है। जिस कक्षा से यह एस्टेरॉयड गुजरेगा, उसे अपोलो कहा जाता है। नासा ने इसे खतरनाक एस्टेरॉयड की श्रेणी में रखा है। बताया गया है कि इससे पहले धरती की कक्षा से एस्टेरॉयड 2020 PMZ गुजरा था, जो सैन फ्रांसिस्को के गोल्डन गेट ब्रिज जितना लंबा था। ये एस्टेरॉयड करीब 18 लाख मील की दूरी से धरती के बगल से निकला था। अब अगले शनिवार को धरती की कक्षा से गुजरने वाला '2008 GO20' एस्टेरॉयड, 2020 PMZ की तुलना में ज्यादा आगे से निकलेगा। बता दें नासा इन दिनों दो हजार एस्टेरॉयड पर लगातार नजर रखे हुए है, जो धरती के लिए खतरा बन सकते हैं।बता दें आखिर क्यों सुरक्षित कक्षा में घूमते हुए एस्टेरॉयड अचानक धरती की ओर अपना रुख कर लेते हैं। स्पेस डॉट कॉम के मुताबिक, होता ये है कि जब अंतरिक्ष में घूमने वाला कोई पत्थर सूरज की गर्मी से अपने रास्ते में थोड़ा बदलाव करता है, तो उसे यार्कोवस्की प्रभाव कहते हैं।इस प्रभाव के तहत एस्टेरॉयड की दिशा और गति बदल जाती है। कई बार यह कम हो जाती है। कई बार यह तेज हो जाती है। यह तेजी अंतरिक्ष में उस एस्टेरॉयड की तरफ आने वाली वस्तुओं के लिए खतरनाक होती है।