South China Sea / भारत के समर्थन में आया ऑस्‍ट्रेलिया, चीन को लेकर कही ये बड़ी बात

ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओफैरेल ने दक्षिण चीन सागर में चीन के अस्थिरता लाने वाले प्रयासों पर की गयी अपनी टिप्पणियों का विरोध करने पर भारत में चीन के राजदूत सुन वीदोंग पर शुक्रवार को पलटवार किया। उन्‍होंने कहा कि बीजिंग को उन गतिविधियों से दूर रहना चाहिए जो क्षेत्र में यथास्थिति को एकपक्षीय तरीके से बदल सकती हैं।

News18 : Aug 01, 2020, 07:35 AM
नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त (Commissioner of Australia) बैरी ओफैरेल ने दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में चीन के अस्थिरता लाने वाले प्रयासों पर की गयी अपनी टिप्पणियों का विरोध करने पर भारत (India) में चीन के राजदूत सुन वीदोंग पर शुक्रवार को पलटवार किया। उन्‍होंने कहा कि बीजिंग को उन गतिविधियों से दूर रहना चाहिए जो क्षेत्र में यथास्थिति को एकपक्षीय तरीके से बदल सकती हैं। ओफैरेल ने गुरुवार को कहा था कि दक्षिण चीन सागर में चीन की अस्थिरता लाने वाली और तनाव बढ़ाने वाली गतिविधियों से ऑस्ट्रेलिया अत्यंत चिंतित है।

खनिज संपन्न दक्षिण चीन सागर जहाजों के लिए एक महत्वपूर्ण जलमार्ग भी है। सुन ने ऑस्ट्रेलियाई राजनयिक की टिप्पणियों पर विरोध जताते हुए ट्वीट किया और कहा कि वे बिना मतलब की बातें कर रहे हैं। ओफैरेल ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया में चीनी राजदूत को हेग में 2016 में स्थायी मध्यस्थता अदालत द्वारा सुनाये गये फैसले की याद दिलाई जिसमें दक्षिण चीन सागर पर चीन के संप्रभुता के दावे को खारिज कर दिया गया था। ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त ने ट्वीट किया, 'धन्यवाद चीनी राजदूत महोदय। मैं उम्मीद करुंगा कि आप 2016 के दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता फैसले को याद करेंगे जो अंतिम है तथा अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत बाध्यकारी है। यह सामान्य तौर पर उन गतिविधियों से रोकता है जो एकपक्षीय तरीके से यथास्थिति को बदलती हैं।'अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि भारत के पूर्वी लद्दाख में चीन की हालिया आक्रामकता और भूटान में भूमि के लिए दावे उसके इरादों को दिखाते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व में बीजिंग यह देखने के लिए दुनिया की परीक्षा ले रहा है कि क्या कोई उसकी धमकियों और उकसावे वाली गतिविधियों के खिलाफ खड़ा होता है। भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में पांच मई के बाद से गतिरोध चल रहा है। पिछले महीने हालात तब बिगड़ गए जब गलवान घाटी में झड़पों में भारतीय सेना के 20 कर्मी शहीद हो गए।

चीन ने हाल ही में ग्लोबल एनवायरमेंट फैसिलिटी (जीईएफ) काउंसिल में भूटान में साकतेंग वन्यजीव अभयारण्य पर दावा जताया और परियोजना के वित्त पोषण का विरोध किया। पोम्पिओ ने गुरुवार को कांग्रेस में सुनवाई के दौरान प्रतिनिधिसभा की विदेश मामलों की समिति के सदस्यों से कहा कि वे दशकों से दुनिया को जिसका संकेत दे रहे हैं उनके कार्य भी पूरी तरह से उसके अनुरूप हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि चीन अपनी शक्ति और पहुंच बढ़ाना चाहता है। उन्होंने कहा, 'भूटान में जमीन पर अब उन्होंने जो दावा किया है, भारत में जो आक्रमण किया ये सभी चीन के इरादों को दिखाते हैं और वे यह देखने के लिए दुनिया की परीक्षा ले रहे हैं कि क्या हम उनके खतरों और उकसावों के खिलाफ खड़े होते हैं।'

उन्होंने कहा, 'एक साल पहले के मुकाबले अब मैं ज्यादा विश्वास के साथ कह सकता हूं कि दुनिया यह करने के लिए तैयार है। बहुत काम अभी करने बाकी हैं और हमें इसके बारे में गंभीर होने की जरूरत है।' पोम्पिओ ने सांसदों से कहा कि भारत ने चीन की 106 ऐप को प्रतिबंधित कर दिया जो उसके नागरिकों की 'निजता और सुरक्षा' के लिए खतरा थी। उन्होंने कहा, 'हमारे कूटनीतिक प्रयास काम कर रहे हैं और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से पैदा खतरे दूर करने की कोशिशें चल रही हैं। सभी 10 आसियान देशों ने जोर दिया कि दक्षिण चीन सागर विवाद अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर हल किया जाए। जापान ने हांगकांग को निशाना बनाने वाले चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की निंदा करने में जी-7 देशों का नेतृत्व किया।'