देश / कारोबारियों के लिए बड़ी खबर- GST कंपोजिशन स्कीम को लेकर हुआ बड़ा फैसला

GST Composition Scheme का फायदा उठाने वाले कारोबारियों के लिए बड़ी खबर आई है। सरकार ने GST कंपोजिशन स्कीम से जुड़े कारोबारियों को राहत दी है। अब ये कारोबारी हर तिमाही के बजाय सालाना रिटर्न भर सकते हैं। वहीं, FY19-20 के लिए सालाना GSTR-4 फाइलिंग की अंतिम तारीख बढ़ गई है।

News18 : Jul 22, 2020, 09:25 AM
नई दिल्ली। GST Composition Scheme का फायदा उठाने वाले कारोबारियों के लिए बड़ी खबर आई है। सरकार ने GST कंपोजिशन स्कीम से जुड़े कारोबारियों को राहत दी है। अब ये कारोबारी हर तिमाही के बजाय सालाना रिटर्न भर सकते हैं। वहीं, FY19-20 के लिए सालाना GSTR-4 फाइलिंग की अंतिम तारीख बढ़ गई है। सालाना GSTR-4 फाइलिंग की अंतिम तारीख 31 अगस्त 2020 हो गई है। आपको बाता दें कि GST का भुगतान करने वाला कोई भी सर्विस प्रोवाइडर 31 जुलाई तक यह फैसला कर सकता है कि उसे जीएसटी की कंपोजीशन स्कीम में खुद को रजिस्टर कराना है या नहीं। 50 लाख तक का कारोबार करने वाले सभी सर्विस प्रोवाइडर्स जीएसटी की कंपोजीशन स्कीम में खुद को रजिस्टर करा सकते हैं।

1 अप्रैल 2019 में जीएसटी काउंसिल ने कंपोजीशन स्कीम के लिए एलिजिबल सभी सर्विस प्रोवाइडर्स को 30 अप्रैल 2019 तक कंपोजीशन स्कीम में खुद को रजिस्टर कराने का विकल्प दिया था।अब इस तारीख को बढ़ाकर 31 जुलाई कर दिया गया है। जीएसटी कंपोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड होने के बाद उन सर्विस प्रोवाइडर को 6 फीसदी की दर से जीएसटी का भुगतान करना होगा। बता दें कि जीएसटी के तहत ज्यादातर सर्विसेज पर 12 फीसदी और 18 फीसदी का टैक्स लगता है।

पहले मैन्यूफैक्चरर के लिए थी कम्पोजिशन स्कीम- सेंट्रल बोर्ड ऑफ इंडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम (CBIC) ने सर्कुलर में कहा कि ऐसे सप्लायर जो कंपोजीशन स्कीम का विकल्प चुनना चाहते हैं उन्हें फॉर्म जीएसटी CMP-02 भरना होगा। उन्हें यह फॉर्म 31 जुलाई, 2019 तक भरना होगा। इससे पहले CBIC ने कंपोजीशन स्कीम का विकल्प चुनने के लिए अंतिम तारीख 30 अप्रैल,2019 तय की थी।टी कंपोजीशन स्कीम अब तक सिर्फ उन व्यापारियों और मैन्यूफैक्चर्रस को उपलब्ध थी जिनका सालाना कारोबार एक करोड़ रुपये तक है। इस सीमा को एक अप्रैल से बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

स्कीम के तहत व्यापारियों और मैन्यूफैक्चर्रस को गुड्स पर सिर्फ एक फीसदी जीएसटी देना होता है। वैसे इन गुड्स पर 5 फीसदी, 12 फीसदी या 18 फीसदी का जीएसटी लगता है। ऐसे डीलरों को अपने कंज्यूमर्स से जीएसटी लेने की अनुमति नहीं है।जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड 1।22 करोड़ कंपनियों और कारोबारियों में से 17।5 लाख ने जीएसटी कंपोजीशन स्कीम के विकल्प को चुना है।