Jansatta : Sep 24, 2020, 03:12 PM
नई दिल्ली | नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने एमआई-17 हेलीकॉप्टरों के अपग्रेड प्रोग्राम में जरूरत से ज्यादा देरी पर बुधवार को रक्षा मंत्रालय की आलोचना की है। संसद में पेश की गई कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि वायुसेना का एमआई-17 हेलिकॉप्टरों का बेड़ा जिस क्षमता के साथ उड़ रहा है, उससे वायुसेना की अभियानगत तैयारियों पर असर पड़ रहा है। संसद में रखी गई रिपोर्ट में कैग ने कहा कि इन हेलीकॉप्टरों की अभियानगत सीमा से संबंधित दिक्कतों से निपटने के लिए 2002 में प्रस्तावित उन्नयन कार्यक्रम 18 साल बाद भी अंजाम पर नहीं पहुंच पाया है।रिपोर्ट में कहा गया है कि इस देरी की वजह से एमआई-17 हेलीकॉप्टर सीमित क्षमता के साथ उड़ान भर रहे हैं और इसके चलते देश की अभियानगत तैयारियों के साथ समझौता हो रहा है। कैग ने कहा, “खराब योजना और विभिन्न चरणों में फैसला न कर पाने की स्थिति से रक्षा मंत्रालय को 90 एमआई-17 हेलीकॉप्टरों के अपग्रेड के लिए एक इजराइली कंपनी के साथ समझौता करने में 15 साल (जनवरी 2017) लग गए।”कैग ने कहा कि हेलिकॉप्टरों के अपग्रेडेशन जुलाई 2018 से शुरू हुआ, जो कि 2024 तक पूरा हो पाएगा। ऑडिट में कहा गया है कि आधुनिकीकरण के बाद 56 हेलिकॉप्टर अब अपग्रेड के बाद भी सिर्फ ढाई साल तक ही ऑपरेट करने लायक रहेंगे।कैग ने पांच यूएवी रोटैक्स इंजनों की आपूर्ति के लिए बढ़ी हुई कीमत-87.45 लाख रुपये प्रति इंजन-में मार्च 2010 में इजराइल एरोस्पेस इंडस्ट्रीज के साथ करार करने पर भारतीय वायुसेना की भी आलोचना की। कैग ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इंजन की औसत कीमत 21 से 25 लाख रुपए के बीच में थी। इतनी महंगी डील की वजह से वेंडर को पांच यूएवी इंजन बेचने पर भी 3.16 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वेंडर ने वायुसेना को कॉन्ट्रैक्ट वाले सर्टिफाइड इंजन देने के बजाय असत्यापित इंजन सप्लाई किए।