देश/भारत-फ्रांस युद्धाभ्यास / हवा में ईंधन भरने वाले विमान में बैठकर सीडीएस बिपिन रावत ने देखा फ्रांस और भारतीय वायुसेना का युद्धाभ्यास

भारत और फ्रांस की एयरफोर्स के बीच जोधपुर में चल रहे युद्धाभ्यास डेजर्ट नाइट-21 पर सामरिक विशेषज्ञों की नजरें जमी हैं। देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत भी जोधपुर में युद्धाभ्यास देखने पहुंचे। जनरल रावत ने फ्रांस के एयर रिफ्यूलर में उड़ान भरकर आसमान में बेहद करीब से युद्धाभ्यास देखा। उन्होंने फ्रांस के विमान में बैठकर हमारी वायु सेना की क्षमता को करीब से परखा।

Vikrant Shekhawat : Jan 22, 2021, 04:07 PM
  • एयर रिफ्यूलर से मतलब ऐसे विमानों से होता है जो हवा में ही लड़ाकू विमानों में फ्यूल भरते हैं
  • रक्षा विशेषज्ञ इस युद्धाभ्यास में सीडीएस जनरल रावत की भागीदारी को बेहद अहम मान रहे हैं

भारत और फ्रांस की एयरफोर्स के बीच जोधपुर में चल रहे युद्धाभ्यास डेजर्ट नाइट-21 पर सामरिक विशेषज्ञों की नजरें जमी हैं। देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत भी जोधपुर में युद्धाभ्यास देखने पहुंचे। जनरल रावत ने फ्रांस के एयर रिफ्यूलर में उड़ान भरकर आसमान में बेहद करीब से युद्धाभ्यास देखा। उन्होंने फ्रांस के विमान में बैठकर हमारी वायु सेना की क्षमता को करीब से परखा।


गुरुवार को पहुंचे सीडीएस जनरल रावत ने सबसे पहले युद्धाभ्यास के बारे में विस्तार से जानकारी ली। फिर फ्रांस से आई एयरफोर्स की टीम से मुलाकात की। थोड़ी देर बाद उन्होंने फ्रांस के एयर रिफ्यूलर में वहां की टीम के मुखिया मेजर जनरल लॉरेंट हरबिटेट के साथ उड़ान भरी। उनके साथ एयरफोर्स के अधिकारी भी थे। करीब 50 मिनट तक आसमान में रहने के बाद जनरल रावत एयरबेस पर लौटे।


आसमान में उन्होंने वहां उड़ान भर रहे हमारे अन्य फाइटर्स को निहारा। साथ ही उनके बीच चल रहे युद्धाभ्यास को समझा। इसके बाद फिर एयर फोर्स अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा करते हुए युद्धाभ्यास की समीक्षा की। रक्षा विशेषज्ञ इस युद्धाभ्यास में सीडीएस जनरल रावत की भागीदारी को बेहद अहम मान रहे हैं।


इस दौरान जनरल रावत ने कहा, 'पिछले साल ही हमने राफेल को हवाई बेड़े का हिस्सा बनाया। आज सुखोई व मिराज के साथ इसे उड़ाकर हमने यह दिखा दिया कि कितने कम समय में हमने इसे स्वीकार कर लिया है।'


पिछले साल एक जनवरी को देश में पहली बार चीफ ऑफ डिफेंस का पद सृजित करते हुए थलसेना प्रमुख जनरल रावत को रक्षा प्रमुख बनाया गया था। उसके बाद ये यह पहला अवसर है जब उन्होंने एयरफोर्स के किसी युद्धाभ्यास को इतना नजदीक से देखा और परखा है।


भारत को लुभा रहा है फ्रांस:


  • फ्रांस एक बार फिर अपने बेहतरीन फाइटर जेट राफेल से भारत का लुभाने में लगा है। चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच घटती स्क्वाड्रन के कारण लगातार कम होती ताकत ने भारत के नए विमान खरीदने की बेसब्री को बढ़ा दिया है और फ्रांस इस बेसब्री को भांप अपनी तरफ से 36 राफेल खरीदने का ऑफर दे रहा है।
  • रक्षा मामलों के जानकार एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) जेएस चौहान के अनुसार, इस विशेष युद्धाभ्यास के जरिए फ्रांस नई डील के लिए प्लेटफार्म तैयार कर रहा है। यदि यह सौदा हो जाता है तो भारत के हित में रहेगा।
  • भारत के पास फाइटर जेट का बेड़ा दिनों दिन कम होता जा रहा है। मौजूदा समय में 30 स्क्वाड्रन ही एयर फोर्स के पास है। जबकि पाकिस्तान और चीन से एक साथ मुकाबला करने के लिए 42 स्क्वाड्रन होना जरूरी है। नए विमान मिलने से पहले मिग-21 की स्क्वाड्रन फेज आउट हो जाएगी। ऐसे में एयरफोर्स को प्राथमिकता के आधार पर नए फाइटर चाहिए।
  • नए फाइटर खरीदने की प्रक्रिया बहुत लंबी और जटिल होती है। इसके पूरा होने में कई बरस लग जाते हैं। जबकि राफेल सौदे को आगे बढ़ाने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी और पुराने सौदे के अनुसार ही नई खरीद का सौदा हो जाएगा।
  • भारत का फ्रांस से 36 राफेल खरीदने का सौदा पहले ही हो चुका है। इनमें से 8 राफेल आ चुके हैं और उन्हें एयरफोर्स में शामिल किया जा चुका है। 28 राफेल आना शेष हैं।
जोधपुर में ही हुई थी राफेल सौदे की भूमिका तैयार:

साल 2014 में भारत-फ्रांस वायुसेना के संयुक्त युद्धाभ्यास 'गरुड़' में राफेल जोधपुर में अपनी ताकत दिखा चुका है। उस समय राफेल और सुखोई के बीच रोमांचक मुकाबला देखने को मिला था। इस युद्धाभ्यास में फ्रांस के एयर चीफ डेनिस मर्सियर ने सुखोई से उड़ान भरी थी। जबकि तत्कालीन एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने सबसे पहले जोधपुर में ही राफेल उड़ा इसकी परीक्षण किया था।


इसके बाद राफेल सौदा तेजी से आगे बढ़ा। इस सौदे की नींव सही मायने में जोधपुर के युद्धाभ्यास के दौरान राफेल की क्षमता को जांचने व परखने के बाद ही रखी गई थी। अब एक बार फिर इसके लिए जोधपुर का चयन किया गया है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि जोधपुर में एक बार फिर एयरफोर्स की आवश्यकता पूरी करने का सौदा आगे बढ़ पाता है या नहीं।