PM Modi / समुद्र के नीचे से ऑप्टिकल फाइबर केबल से जोड़े गए चेन्नई और पोर्ट ब्लेयर, पीएम मोदी ने किया उद्घाटन

भारत ने अपने दम पर चेन्‍नई से पोर्ट ब्‍लेयर के बीच अंडर-सी केबल लिंक तैयार कर लिया है। यानी अब समुद्र के भीतर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने के लिए उसे किसी और देश की जरूरत नहीं है। 2,300 किलोमीटर लंबे इस केबल लिंक का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को किया। पीएम मोदी ने दिसंबर 2018 में इस प्रोजेक्‍ट की नींव रखी थी। इस केबल की वजह से भारतीय द्वीपों तक बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी सुलभ हो सकेगी।

Vikrant Shekhawat : Aug 10, 2020, 02:05 PM
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (सीएएनआई) के लिए पनडुब्‍बी के‍बल कनेक्टिविटी की शुरुआत की
  • प्रधानमंत्री ने कहा कनेक्टिविटी से अंडमान और निकोबार द्वीप में अवसर बढेंगे
  • कारोबार को सुगम बनाने को बढ़ावा देना और समुद्री लॉजिस्टिक्‍स को सरल बनाने पर सरकार का ध्‍यान केन्द्रित – प्रधानमंत्री  
  • अंडमान और निकोबार द्वीप को बंदरगाह संचालित विकास केन्‍द्र के रूप में विकसित किया जाएगा – प्रधानमंत्री  
  • अंडमान और निकोबाद द्वीप अंतर्राष्‍ट्रीय समुद्री व्‍यापार के लिए एक प्रमुख बंदरगाह केन्‍द्र होगा – प्रधानमंत्री 
New Delhi | भारत ने अपने दम पर चेन्‍नई से पोर्ट ब्‍लेयर के बीच अंडर-सी केबल लिंक (Under Sea Cable Link) तैयार कर लिया है। यानी अब समुद्र के भीतर ऑप्टिकल फाइबर केबल (Optical fiber cable) बिछाने के लिए उसे किसी और देश की जरूरत नहीं है। 2,300 किलोमीटर लंबे इस केबल लिंक का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को किया। पीएम मोदी ने दिसंबर 2018 में इस प्रोजेक्‍ट की नींव रखी थी। इस केबल की वजह से भारतीय द्वीपों तक बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी सुलभ हो सकेगी। इस केबल से पोर्ट ब्‍लेयर को स्‍वराज द्वीप, लिटल अंडमान, कार निकोबार, कमोरटा, ग्रेट निकोबार, लॉन्‍ग आइलैंड और रंगत को भी जोड़ा जा सकेगा। आइए जानते हैं कि समुद्र के भीतर आखिर ये केबल बिछाई कैसे जाती हैं।

अंडमान निकोबार आइलैंड्स से चेन्‍नई को समुद्र के भीतर एक ऑप्टिकल फाइबर लिंक (Optical fiber cable in Andaman) से जोड़ा गया है। 'सबमरीन केबल कनेक्टिविटी' (Submarine cable connectivity) प्रोजेक्‍ट का आज पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने उद्घाटन किया। यहां पीएम मोदी ने कहा कि अंडमान निकोबार के लोगों को केबल नेटवर्क के जरिये देश के सभी नागरिकों की तरह ऑनलइन शिक्षा, बेहतर इंटरनेट समेत सभी डिजिटल लाभ मिलेंगे।अंडमान निकोबार द्वीप समूह के सभी द्वीपों में बेहतर संपर्क सुविधा समेत बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का काम जारी है।आने वाले समय में अंडमान निकोबार बंदरगाह से जुड़ी गतिविधियों के विकास के केंद्र के रूप में विकसित होने वाला है, अंडमान निकोबार दुनिया के कई बंदरगाहों से प्रतिस्पर्धी रूप से करीब स्थित है। अंडमान निकोबार में आज जितनी भी आधुनिक ढांचागत सुविधायें तैयार हो रही हैं, वो समुद्री क्षेत्र से जुड़ी अर्थव्यवस्था को भी गति देगें।

पनडुब्बी ओएफसी लिंक चेन्नई और पोर्ट ब्लेयर के बीच 2x200 गीगाबिट्स प्रति सेकंड (Gbps) और पोर्ट ब्लेयर और अन्य द्वीपों के बीच 2x100 Gbps की बैंडविड्थ वितरित करेगी। इन द्वीपों में विश्वसनीय, मजबूत और हाई स्पीड दूरसंचार और ब्रॉडबैंड सुविधाओं का प्रावधान उपभोक्ताओं के दृष्टिकोण के साथ-साथ रणनीतिक और शासन कारणों से एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। दूरसंचार और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से द्वीपों में पर्यटन और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा, अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और जीवन स्तर में वृद्धि होगी। 

पीएमओ की प्रेस विज्ञिप्ति के अनुसार- बेहतर कनेक्टिविटी से ई-गवर्नेंस सेवाओं जैसे टेलीमेडिसिन और टेली-एजुकेशन की सुपुर्दगी में भी मदद मिलेगी, ई-कॉमर्स में अवसरों से छोटे उद्यमों को फायदा होगा, जबकि शिक्षण संस्थान ई-लर्निंग और नॉलेज शेयरिंग के लिए बैंडविड्थ की बढ़ी उपलब्धता का उपयोग करेंगे। 2300 किलोमीटर की इस सबमरीन ओएफसी को बिछाने में 1224 करोड़ रुपये लगे हैं। इससे इंटरनेट की  400 GBPS स्पीड मिलेगी।

चेन्नई और पोर्ट ब्लेयर के बीच समुद्र के भीतर बिछायी गई केबल संपर्क सुविधा (ओएफसी) के उद्घाटन से एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इससे अंडमान निकोबार द्वीपसमूह को डिजिटल माध्यम से देश और दुनिया से जुड़ने में अब कोई समस्या नहीं आएगी। उन्होंने कहा था कि यह द्वीपसमूह आत्मनिर्भर भारत में प्रमुख भूमिका निभाएगा। केंद्र शासित प्रदेश के विकास के लिए केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए विभिन्न कदमों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नए भारत के निर्माण के लिए पूरे देश का संतुलित विकास आवश्यक है और इसी को ध्यान में रखकर उनकी सरकार काम कर रही है।

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के भाजपा कार्यकर्ताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संवाद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा था कि यह द्वीपसमूह आत्मनिर्भर भारत और नये भारत के विकास और उसकी सुरक्षा में प्रमुख भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा था, ''नए भारत के निर्माण के लिए पूरे देश का संतुलित विकास आवश्यक है। हमने सुनिश्चित किया है कि सरकार भले ही एक जगह से काम करती हो लेकिन उसके कार्यों का लाभ देश के कोने-कोने तक पहुंचना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सरकार के कार्यक्रमों का लाभ समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति ही नहीं, बल्कि देश के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति को भी मिलना चाहिए। एक तरफ हम गरीबों के घर, शौचालय, रसोई गैस, पीने का पानी, बिजली, मोबाइल, इंटनरनेट, सड़क, रेल कनेक्टिविटी जैसी बहुत ही मूल ज़रूरतों को पूरा कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ मेगा और आधुनिक परियोजनाओं पर भी तेज़ी से काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस अंडमान निकोबार द्वीप समुह ने भारत की आज़ादी के आंदोलन को ताकत दी उसकी आत्मनिर्भर भारत के लिए, नए भारत की रक्षा-सुरक्षा और समृद्धि के लिए भी व्यापक भूमिका है। 

खास तरह के जहाजों का इस्तेमाल होता है

समुद्र में केबल बिछाने के लिए खास तरह के जहाजों का इस्‍तेमाल किया जाता है। ये जहाज अपने साथ 2,000 किलोमीटर लंबी केबल तक ले जा सकते हैं। जहां से केबल बिछाने की शुरुआत होती है, वहां से एक हल जैसे उपकरण का यूज करते हैं जो जहाज के साथ-साथ चलता है। समुद्र में एक खास उपकरण के जरिए फ्लोर पर केबल के लिए जमीन तैयार की जाती है। इसे समुद्रतल पर जहाज के जरिए मॉनिटर करते हैं। इसी से केबल जुड़ी होती हैं। साथ-साथ केबल बिछाई जाती रहती है। टेलिकॉम केबल्‍स बिछाने के दौरान रिपीटर का यूज होता है जिससे सिग्‍नल स्‍ट्रेंथ बढ़ जाती है। अगर दो केबल्‍स को आपस में क्रॉस कराना है तो उसके लिए फिर से वही प्रक्रिया अपनाई जाती है जो दूसरे स्‍टेप में अपनाई गई थी। जहां केबल को खत्‍म होना होता है, वहां सी फ्लोर से केबल को उठाकर ऊपर लाते हैं। आखिर में रिमोटली ऑपरेटेड अंडरवाटर व्‍हीकल (ROV) के जरिए पूरे केबल लिंक का इंस्‍पेक्‍शन किया जाता है कि कहीं कोई चूक तो नहीं हुई। सबसे आखिर में केबल शिप के जरिए यह चेक किया जाता है कि केबल सी-बेड यानी समुद्र की सतह पर ठीक से बिछी है या नहीं। चूंकि समुद्र की सतह भी पहाड़ और खाइयां होती हैं इसलिए यह चेक करना बहुत जरूरी है वर्ना दबाव बढ़ने पर केबल टूट भी सकती है।

अंडमान-निकोबार कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के लोकार्पण के अवसर पर बोले पीएम मोदी

भारत की आज़ादी की तपोस्थली, संकल्पस्थली, अंडमान-निकोबार की भूमि और वहां रहने वाले सभी लोगों को मेरा नमस्कार !!!

आज का दिन अंडमान-निकोबार के दर्जनों द्वीपों में बसे लाखों साथियों के लिए तो अहम है ही, पूरे देश के लिए भी महत्वपूर्ण है।

साथियों, नेता जी सुभाषचंद्र बोस को नमन करते हुए, करीब डेढ़ वर्ष पहले मुझे Submarine Optical Fibre Cable Connectivity परियोजना के शुभारंभ का अवसर मिला था। मुझे खुशी है कि अब इसका काम पूरा हुआ है और आज इसके लोकार्पण का भी सौभाग्य मुझे मिला है। चेन्नई से पोर्टब्लेयर, पोर्टब्लेयर से लिटिल अंडमान और पोर्टब्लेयर से स्वराज द्वीप तक, अंडमान निकोबार के एक बड़े हिस्से में ये सेवा आज से शुरु हो चुकी है।


मैं अंडमान-निकोबार के लोगों को इस सुविधा के लिए, अनंत अवसरों से भरी इस कनेक्टिविटी के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं। स्वतंत्रता दिवस से से पहले ये अंडमान के लोगों के लिए एक प्रकार से 15 अगस्‍त के पूर्व इसी सप्‍ताह एक स्नेह भरे उपहार की तरह यह अवसर मैं देखता हूं।


साथियों, समंदर के भीतर करीब 2300 किलोमीटर तक केबल बिछाने का ये काम समय से पहले पूरा करना, अपने आप में बहुत प्रशंसनीय है। गहरे समंदर में सर्वे करना, केबल की क्वालिटी मेनटेन रखना, विशेष जहाजों के जरिये केबल को बिछाना इतना आसान भी नहीं है। ऊपर से ऊंची लहरों, तूफान और मॉनसून की रुकावट। जितना बड़ा ये प्रोजेक्ट था, उतनी ही विराट चुनौतियां थीं। ये भी एक वजह थी कि बरसों से इस सुविधा की जरूरत महसूस होते हुए भी इस पर काम नहीं हो पाया था। लेकिन मुझे खुशी है कि सारी रुकावटों को किनारे करके, इस काम को पूरा किया गया। यहां तक कि कोरोना जैसी आपदा, जिसने सब कुछ ठप कर दिया था, वो भी इस काम को पूरा होने से रोक नहीं पाई।


साथियों, देश के इतिहास, वर्तमान और भविष्य के लिए इतने महत्वपूर्ण स्थान को, वहां के परिश्रमी नागरिकों को आधुनिक टेलीकॉम कनेक्टिविटी देना देश का दायित्व था। एक बेहद समर्पित टीम के द्वारा, टीम भावना से आज एक पुराना सपना साकार हुआ है। मैं इस प्रोजेक्ट से जुड़े हर साथी को भी बहुत-बहुत बधाई देता हूं, नमन करता हूं।


साथियों, ऐसे चुनौतीपूर्ण काम तभी हो सकते हैं, जबपूरी क्षमता के साथ, पूरे कमिटमेंट के साथ काम किया जाता है। हमारा समर्पण रहा है कि देश के हर नागरिक, हर क्षेत्र की दिल्ली से और दिल से, दोनों दूरियों को पाटा जाए। हमारा समर्पण रहा है कि, देश के हर जन, हर क्षेत्र तक आधुनिक सुविधाएं पहुंचे, उनका जीवन आसान बने। हमारा समर्पण रहा है कि, राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़े बॉर्डर एरिया और समुद्री सीमा पर बसे क्षेत्रों का तेज़ी से विकास हो।


साथियों, अंडमान निकोबार को बाकी देश और दुनिया से जोड़ने वाला ये ऑप्टिकल फाइबर प्रोजेक्ट, Ease of Living के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। अब अंडमान निकोबार के लोगों को भी मोबाइल कनेक्टिविटी और तेज़ इंटरनेट की वही सस्ती और अच्छी सुविधाएं मिल पाएंगी, जिसके लिए आज पूरी दुनिया में भारत अग्रणी है। अब अंडमान निकोबार के लोगों को, बहनों को, बच्चों को, युवाओं को, व्यापारियों-कारोबारियों को भी डिजिटल इंडिया के वो सभी लाभ मिल सकेंगे, जो बाकी देश के लोगों को मिल रहे हैं। ऑनलाइन पढ़ाई हो, टूरिज्म से कमाई हो, बैंकिंग हो, शॉपिंग हो या दवाई हो, अब अंडमान निकोबार के हज़ारों परिवारों को भी ये ऑनलाइन मिल पाएंगी।


साथियों, आज अंडमान को जो सुविधा मिली है, उसका बहुत बड़ा लाभ वहां जाने वाले टूरिस्टों को भी मिलेगा। बेहतर नेट कनेक्टिविटी आज किसी भी टूरिस्ट डेस्टिनेशन की सबसे पहली प्राथमिकता हो गई है। पहले देश और दुनिया के टूरिस्टों को मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी का कम होना बहुत अखरता था। अपने परिवार से, अपने बिजनेस से एक प्रकार से उसका निरंतर संपर्क कट जाता था। अब ये कमी भी खत्म होने वाली है। अब इंटरनेट अच्छा मिलेगा, तो मुझे पूरा विश्वास है कि लोग और ज्यादा लंबे के लिए वहां आएंगे। जब लोग ज्यादा रुकेंगे, अंडमान निकोबार के समंदर का, वहां के खान-पान का, आनंद लेंगे तो इसका बहुत बड़ा प्रभाव रोजगार पर भी पड़ेगा, रोजगार के भी नए अवसर बनेंगे।


साथियों, अंडमान निकोबार भारत के Economic-Strategic Cooperation और Coordination का प्रमुख केंद्र है। हिंद महासागर हज़ारों वर्षों से भारत के व्यापारिक और सामरिक सामर्थ्य का सेंटर रहा है। अब जब भारत Indo-Pacific में व्यापार-कारोबार और सहयोग की नई नीति और रीति पर चल रहा है, तब अंडमान-निकोबार सहित हमारे तमाम द्वीपों का महत्व और अधिक बढ़ गया है। Act-east policy के तहत पूर्वी एशियाई देशों और समंदर से जुड़े दूसरे देशों के साथ भारत के मज़बूत होते रिश्तों में अंडमान निकोबार की भूमिका बहुत अधिक है और ये निरंतर बढ़ने वाली है। नए भारत में, अंडमान निकोबार द्वीप समूह की इसी भूमिका को मज़बूत करने के लिए, 3 साल पहले Island Development Agency का गठन किया गया था। आज आप देख रहे हैं, कि अंडमान निकोबार में जो प्रोजेक्ट बरसों-बरस पूरे नहीं होते थे, वो अब तेज़ी से कंप्लीट हो रहे हैं।


साथियों, अंडमान और निकोबार के 12 आइलैंड्स में High Impact Projects का विस्तार किया जा रहा है। मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी की एक बहुत बड़ी समस्या का समाधान तो आज हो चुका है। इसके अलावा रोड, एयर और वॉटर के ज़रिए फिजिकल कनेक्टिविटी को भी सशक्त किया जा रहा है। नॉर्थ और मिडिल अंडमान की रोड कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए 2 बड़े ब्रिज और NH-4 के चौड़ीकरण पर तेज़ी से काम हो रहा है। पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट में एक साथ 1200 यात्रियों को हैंडल करने की कैपेसिटी आने वाले कुछ महीनों में बनकर तैयार हो जाएगी।


इसके अलावा दिग्लीपुर, Car Nicobar और Campbell-Bay में भी एयरपोर्ट, ऑपरेशन के लिए तैयार हो चुके हैं। स्वराज द्वीप, शहीद द्वीप और Long Island में Passenger Terminal, Floating Jetty जैसे Water Aerodrome Infrastructure भी आने वाले कुछ महीनों में बनकर तैयार हो जाएंगे। इसके बाद यहां उड़ान योजना के तहत Sea Plane की सेवा शुरु हो जाएगी। इससे एक आइलैंड से दूसरे आइलैंड की कनेक्टिविटी मज़बूत होगी और आने-जाने में आपका समय भी कम लगा करेगा।


साथियों, आइलैंड के बीच और बाकी देश से Water Connectivity की सुविधा को बढ़ाने के लिए कोची शिपयार्ड में जो 4 जहाज़ बनाए जा रहे हैं, उनकी डिलिवरी भी आने वाले कुछ महीनों में हो जाएगी। प्रयास ये है कि अगले एक साल में बड़े जहाजों को रिपेयर करने की सुविधा वहीं आइलैंड में ही विकसित हो। इससे आपका समय बचेगा, खर्च कम होगा और रोजगार के अवसर भी बनेंगे। इसका बहुत बड़ा लाभ फिशरीज सेक्टर को भी होगा।


साथियों, आने वाले समय में अंडमान निकोबार, Port Led Development के हब के रूप में विकसित होने वाला है। अंडमान निकोबार दुनिया के कई Ports से बहुत Competitive Distance पर स्थित है। आज पूरी दुनिया ये मान रही है जिस देश में Ports का नेटवर्क और उनकी कनेक्टिविटी बेहतर होगी, वही 21वीं सदी के ट्रेड को गति देगा। ऐसे में अंडमान-निकोबार में हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कार्य, उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएंगे।


साथियों, आज जब भारत आत्मनिर्भरता के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, Global Manufacturing Hub के रूप में, Global Supply और Value Chain के एक अहम प्लेयर के रूप में खुद को स्थापित करने में जुटा है, तब हमारे Waterways और हमारे Ports के नेटवर्क को सशक्त करना बहुत ज़रूरी है। बीते 6-7 सालों से Port Development और Port Led Development को लेकर जो काम हो रहा है, उससे देश को नई ताकत मिल रही है।


आज हम नदी जलमार्गों का एक बड़ा नेटवर्क तैयार कर रहे हैं, जो समुद्र के बड़े पोर्ट्स को देश के Land Locked राज्यों से कनेक्ट कर रहा है। Port Infra के विकास में जो कानूनी अड़चनें थीं, उन्हें भी निरंतर दूर किया जा रहा है। सरकार का ध्यान, समंदर में Ease of Business को Promote करने और Maritime Logistics को सरल बनाने पर भी है। ऐसे दुनिया के सबसे बड़े सिंगल विंडो प्लेटफॉर्म को तैयार करने पर भी काम चल रहा है।


साथियों, ऐसे ही अनेक प्रयासों के कारण अब देश के पोर्ट नेटवर्क की कैपेसिटी और कैपेबिलिटी, दोनों का विस्तार हो रहा है। 3 दशक के इंतज़ार के बाद West Coast में भारत के पहले डीप ड्राफ्ट ग्रीनफील्ड सी-पोर्ट को सैद्धांतिक मंज़ूरी दी जा चुकी है। इसी तरह, East Coast में deep draft inner harbour के निर्माण का काम भी तेज़ी से चल रहा है।


अब ग्रेट निकोबार में करीब 10 हज़ार करोड़ रुपए की संभावित लागत से Trans Shipment Port के निर्माण का प्रस्ताव है। कोशिश ये है कि आने वाले 4-5 साल में इसके पहले फेज़ को पूरा कर लिया जाए। एक बार जब ये पोर्ट बनकर तैयार हो जाएगा तो यहां बड़े-बड़े जहाज़ भी रुक पाएंगे। इससे समुद्री व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी, हमारे युवाओं को नए मौके मिलेंगे।


साथियों, आज जितना भी आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर अंडमान निकोबार में तैयार हो रहा है, वो ब्लू इकॉनॉमी भी गति देगा। ब्लू इकॉनॉमी का एक अहम हिस्सा है Fisheries, Aquaculture और Sea Weed farming. Seaweed के फायदे को लेकर आज दुनिया में चर्चा हो रही है, कई देश इसकी संभावनाओं को Explore कर रहे हैं। मुझे खुशी है कि, अंडमान निकोबार में इसकी संभावनाओं को तलाशने के लिए पोर्ट ब्लेयर में जो पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया था, उसके नतीजे उत्साहित करने वाले हैं। अब इसकी खेती को आईलैंड्स में प्रमोट करने के लिए स्टडी शुरु हो चुकी है। अगर ये प्रयोग बड़े स्केल पर सफल होते हैं तो, इसको देश में अन्य जगहों पर भी विस्तार दिया जा सकता है। इससे विशेषतौर पर हमारे मछुआरे साथियों को बहुत बड़ा लाभ होगा। मुझे उम्मीद है, हमारे आज के प्रयास, इस दशक में अंडमान-निकोबार को, वहां के लोगों को, न सिर्फ नई सहूलियत देंगे बल्कि वर्ल्ड टूरिस्ट मैप में भी प्रमुख स्थान के तौर पर स्थापित करेंगे।


एक बार फिर, आप सभी अंडमान-निकोबारवासियों को मोबाइल फोन और इंटरनेट कनेक्टिविटी की इस आधुनिक सुविधा के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं और अब जब कोरोना का समय है तो मैं विशेष रूप से आपके लिए प्रार्थना करूंगा कि आप स्‍वस्‍थ रहें, सुरक्षित रहें, आपका परिवार स्‍वस्‍थ रहें। कोरोना के इस समय में दो गज की दूरी का पालन हमेशा करते रहें, आगे भी बढ़ते रहें।


इसी कामना के साथ स्वतंत्रता की इस तपोभूमि को और 15 अगस्‍त के पूर्व आज मुझे आप सबसे नमन करने का मौका मिला है। मैं आप सबको भी 15 अगस्‍त के पूर्व, आज़ादी के पर्व के पूर्व इस बहुत बड़े अवसर के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं और उज्‍ज्‍वल भविष्‍य की नई छलांग के लिए आपको आगे आने के लिए निमंत्रित करता हूं।


बहुत-बहुत धन्‍यवाद।