Indo-China / चीन ने लद्दाख के पास किया एयरबेस का विस्तार, टरमैक पर दिख रहे लड़ाकू विमान

चीन ने लद्दाख के पास अपने एयरबेस का विस्तार कर लिया है। एक्सक्लूसिव तस्वीरों ये साफ देखा जा सकता है। तस्वीरों में एयरबेस के टरमैक पर लड़ाकू विमानों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। बता दें कि यह एयरबेस यह नगारी कुंशा एयरपोर्ट पर है जो कि पैंगयोंग लेक से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर तिब्बत में स्थित है। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में लद्दाख में भारतीय और चीनी सेना के बीच तनाव की स्थ‍िति है।

NDTV : May 26, 2020, 08:32 PM
नई दिल्ली: चीन ने लद्दाख के पास अपने एयरबेस का विस्तार कर लिया है। एक्सक्लूसिव तस्वीरों ये साफ देखा जा सकता है। तस्वीरों में एयरबेस के टरमैक पर लड़ाकू विमानों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। बता दें कि यह एयरबेस यह नगारी कुंशा एयरपोर्ट पर है जो कि पैंगयोंग लेक से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर तिब्बत में स्थित है। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में लद्दाख में भारतीय और चीनी सेना के बीच तनाव की स्थ‍िति है।

6 अप्रैल 2020 की सैटेलाइट तस्वीर में इस एयरपोर्ट और रनवे को देखा जा सकता है। लेकिन 21 मई 2020 की तस्वीरों में काफी कुछ बदला हुआ देखा जा सकता है। नई तस्वीर में बड़े पैमाने पर एयरबेस के निर्माण की गतिविध‍ियां दिखाई दे रही हैं।

नई तस्वीर में एक नया ट्रैक भी दिख रहा है जो एक समानांतर टैक्सी ट्रैक हो सकता है। या हो सकता है कि इस ऊंची जगह पर हेलीकॉपटर के लिए इस जगह का निर्माण किया गया हो।

एक अन्य तस्वीर है जो भारत के लिए चिंता का विषय हो सकती है। इस तस्वीर में इस एयरबेस पर 4 लड़ाकू विमान खड़े दिख रहे हैं। ये या तो J-11 या J-16 हो सकते है जो रूसी सुखोई-27 या सुखोई-30 के वैरिएंट हैं। यह चीन के प्रमुख लड़ाकू विमान हैं और भारतीय सीमा से केवल 200 किलोमीटर दूर इनकी तैनाती वाकई भारत के लिए चिंता का विषय है। ये तस्वीरें पहली बार ऑनलाइन जारी की गई हैं।

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास कई क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव की स्थिति बरकरार है और 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद यह सबसे बड़ी सैन्य तनातनी का रूप ले सकती है। उच्च पदस्थ सैन्य सूत्रों का कहना है कि भारत ने पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में अपनी स्थिति मजबूत की है। इन दोनों विवादित क्षेत्रों में चीनी सेना ने अपने दो से ढाई हजार सैनिकों की तैनाती की है और वह धीरे-धीरे अस्थायी निर्माण को मजबूत कर रही है।

सेना की उत्तरी कमान के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा (अवकाशप्राप्त) ने कहा था, “यह गंभीर मामला है। यह सामान्य तौर पर किया गया अतिक्रमण नहीं है।” लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि गलवान क्षेत्र पर दोनों पक्षों में कोई विवाद नहीं है, इसलिए चीन द्वारा यहां अतिक्रमण किया जाना चिंता की बात है। रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ एवं चीन में भारत के राजदूत रह चुके अशोक कांत ने भी लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा से सहमति जताते हुए कहा था, “चीनी सैनिकों द्वारा कई बार घुसपैठ की गई है। यह चिंता की बात है। यह सामान्य गतिरोध नहीं है। यह परेशान करने वाला मामला है।”