Congress CWC Meeting: बेलगावी में आयोजित कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में कांग्रेस ने संगठन को पुनर्जीवित करने और उसे मजबूती प्रदान करने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने स्पष्ट किया कि वर्ष 2025 संगठन के पुनर्निर्माण और सशक्तिकरण का वर्ष होगा। उन्होंने कहा कि सभी रिक्त पदों को भरने के साथ संगठनात्मक ढांचे को दुरुस्त किया जाएगा।
संविधान यात्रा का प्रस्ताव
कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर सक्रिय बनाए रखने के लिए "संविधान यात्रा" की शुरुआत करने का प्रस्ताव रखा है। यह पहली बार नहीं है जब सीडब्ल्यूसी ने संगठन को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाने का फैसला किया है, लेकिन पिछले अनुभवों को देखते हुए यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार पार्टी अपने निर्णयों को कितनी प्रभावी तरीके से लागू कर पाती है।
10 वर्षों में कांग्रेस का संघर्ष
2014 में मनमोहन सिंह की सरकार के पतन के बाद से अब तक सीडब्ल्यूसी की 24 बैठकें हो चुकी हैं। इन बैठकों के बावजूद, कांग्रेस पिछले 10 वर्षों में 40 से अधिक चुनाव हार चुकी है। 2014 के बाद कांग्रेस को केवल कुछ चुनिंदा राज्यों में जीत मिली है, जैसे पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, और कर्नाटक। हालांकि, इन सफलताओं के बावजूद पार्टी देश के कई प्रमुख राज्यों में लगातार पराजित होती रही है।
सीडब्ल्यूसी का महत्व
कांग्रेस कार्यसमिति पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्माण इकाई है। यह समिति न केवल पार्टी के प्रमुख फैसले लेती है, बल्कि संगठन को दिशा देने का काम भी करती है। इसमें 25 सदस्य हो सकते हैं, जिनमें स्थायी और विशेष सदस्य भी शामिल होते हैं।
बैठकों के निष्कर्ष और उनकी प्रासंगिकता
सीडब्ल्यूसी की बैठकों में पार्टी के पुनर्गठन और कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने पर अक्सर चर्चा होती रही है। 2018 में वर्धा की बैठक में संगठन को मजबूत करने की बात की गई थी, लेकिन कई फैसले केवल कागजों तक सीमित रहे। इसी तरह, 2022 के उदयपुर चिंतन शिविर में लिए गए निर्णय भी बड़े स्तर पर अमल में नहीं लाए गए।
भविष्य की राह
पिछले अनुभवों को देखते हुए, कांग्रेस के लिए यह जरूरी है कि वह अपने फैसलों को लागू करने की ठोस योजना बनाए। संगठन को मजबूत करने के साथ पार्टी को ग्राउंड स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखने और युवाओं को पार्टी से जोड़ने की आवश्यकता है।कांग्रेस की चुनौतियां और चुनावी प्रदर्शन पार्टी की स्थिति को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। अब देखना होगा कि बेलगावी की बैठक के फैसले पार्टी को नई दिशा दे पाते हैं या नहीं।